Sunday, 17 January 2016

जेल की नौबत आने तक बिल्डर काम नहीं करते ः कोर्ट

पिछले कुछ समय से दिल्ली और एनसीआर के बिल्डर्स में हड़कंप मचा हुआ है। कारण है कि अदालतों का रुख बिल्डरों के खिलाफ हो गया है। वादा करके, पैसे लेकर वर्षों तक निवेशकों के फ्लैट लटकाना आम बात हो गई है। ये बिल्डर इतने शातिर हैं कि यह फ्लैट खरीदने वालों के साथ जो एग्रीमेंट करते हैं उसमें अपने आपको बचाने की शर्तें पहले से ही डाल देते हैं। जब फ्लैट ऑनर अदालत जाता है तो यह उस एग्रीमेंट का हवाला देकर साफ निकल जाते हैं और निवेशक हाथ पर हाथ धरे रह जाता है पर कुछ समय से अदालतों का रुख बदला है और उन्होंने इस प्रकार के एग्रीमेंटों को रिजेक्ट करना शुरू कर दिया है। गत दिनों राजधानी-एनसीआर के एक प्रतिष्ठित बिल्डर यूनिटेक के वरिष्ठ पदाधिकारियों को अदालत ने जेल भेज दिया। निवेशकों से धोखाधड़ी के मामले में यूनिटेक के चेयरमैन और निदेशकों को शिकायतकर्ता की सहमति के बाद बृहस्पतिवार को रिहा कर दिया। हालांकि कोर्ट ने बड़े सख्त लहजे में कहाöआपने आश्वासन दिया और भाग गए। आप तब तक काम नहीं करते जब तक आपको जेल भेजने की नौबत न आ जाए। बाकी सैकड़ों लोगों के पैसे का क्या होगा? उनका हिसाब कौन करेगा? सभी आरोपी तीन दिन की अंतरिम जमानत खत्म होने पर बृहस्पतिवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव की कोर्ट में पेश हुए थे। इस मामले में अदालती समन के बाद भी पेश न होने पर यूनिटेक के चेयरमैन रमेश चन्द्रा, एमडी संजय चड्ढा, अजय चन्द्रा और निदेशक मिनोती बाहरी को निवेशकों से वादा करने के बाद की गई धोखाधड़ी के लिए सोमवार को हिरासत में लिया गया था। अदालत ने इससे पहले गैर जमानती वारंट जारी किया था। सत्र अदालत ने आरोपियों के आश्वासन पर उन्हें तीन दिन की अंतरिम जमानत दे दी थी। साकेत जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव से आरोपियों ने कहा कि उन्होंने शिकायतकर्ता को उसका पैसा लौटा दिया है और वह अपनी शिकायत वापस लेने को तैयार हैं। शिकायत करने वाले सीए संजय कालरा व उनके साझेदार देवेश वाधवा का आरोप था कि उन्होंने ग्रेटर नोएडा में यूनिटेक के प्रोजेक्ट हैविटेट अपार्टमेंट में प्रॉपर्टी बुक करवाई थी, लेकिन उन्हें कब्जा नहीं दिया गया। उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा कि अदालती आदेश के बाद भी आरोपियों ने उनका पूरा पैसा वापस नहीं किया। गौरतलब है कि संजय व देवेश की शिकायत पर कोर्ट ने यूनिटेक के चारों अधिकारियों को सोमवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। हालांकि एक घंटे के अंदर ही अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने तीन दिन की अंतरिम जमानत दे दी थी पर कोर्ट से समय पर रिलीज ऑर्डर न मिलने पर चारों को एक रात जेल में बितानी पड़ी।

-अनिल नरेन्द्र

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