Sunday, 10 January 2016

पठानकोट हमलावरों को कहीं ड्रग्स तस्करों ने पनाह तो नहीं दी?

पठानकोट में आतंक के खिलाफ 100 घंटे से ज्यादा चला ऑपरेशन तो खत्म हो गया है पर यह सवाल जस का तस है कि आखिरकार भारतीय सीमा में आतंकियों को पनाह कौन देता है? माना जा रहा है कि आतंकियों ने ड्रग तस्करों के रूट का इस्तेमाल किया। ड्रग और आतंक के इस खतरनाक गठजोड़ की जांच चल रही है। क्या पंजाब में फैले नशा व हथियार तस्करों का नेटवर्प कहीं आतंकियों का सहायक तो नहीं बना? सरहद पर हेरोइन, हथियारों की तस्करी करने वाले तस्करों के संबंध पाक तस्करों से हैं। कई बार तस्कर हथियार और आरडीएक्स की तस्करी करते हुए पकड़े जा चुके हैं। कई बार पाक तस्कर भारतीय सीमा में घुसकर यहां के तस्करों के पास रह चुके हैं। कुछ साल पहले लगभग पांच नागरिक सरहद पर लगी कंटीली तार पार कर फिरोजपुर छावनी रेलवे स्टेशन पहुंच गए थे। उसमें से एक को काबू किया था बाकी फरार हो गए थे। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इसमें आश्चर्य नहीं होगा कि भारतीय तस्करों ने पठानकोट में हमला करने आए आतंकियों को पनाह दी हो। यह भी पता चला है कि भारत-पाक सरहद पर रहने वाले अधिकतर लोगों के पास पाकिस्तानी मोबाइल कंपनी के सिम कार्ड हैं। पंजाब पुलिस के पूर्व डीजीपी शशिकांत लंबे समय से ड्रग्स माफियाओं के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। शशिकांत ने कहा कि जब तक ड्रग रूट बंद नहीं होगा तब तक आतंकी यूं ही आते रहेंगे। उन्होंने बताया कि पंजाब में बॉर्डर दो तरह का है। एक वह हिस्सा जहां कंटीले तारों की फेसिंग की हुई है जबकि दूसरे में कंटीले तार नहीं हैं। यह नदी के किनारे वाला हिस्सा है। जहां कंटीले तार हैं, वहीं खाली मोटे पाइप के जरिये ड्रग्स और आरडीएक्स भेजा जाता है। जबकि बिना तार वाले बॉर्डर से बोट के जरिये यह काम होता है। आतंकियों के लिए कंटीले तारों वाले बॉर्डर से आना मुश्किल है, क्योंकि इसके लिए सुरंग बनानी होगी। इसलिए दीना नगर और पठानकोट दोनों मामलों में आतंकी नदी वाली साइड से आए। इसका साफ मतलब है कि स्लीपर सेल वहां मौजूद हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब गवर्नेंस का एक हिस्सा अनआर्गेनाइज्ड ड्रग माफिया के हाथ में है। इसमें नेता पुलिस, बीएसएफ सब जगह के लोग शामिल हैं। पंजाब में पाक के साथ लगती हुई करीब 550 किलोमीटर की सीमा में नदियों और नालों ने तस्करी के लिए घुसपैठ आसान कर दी है। छोटे-छोटे नालों, नदियों के कारण न तो यहां पर कंटीली तारें लगाई जा सकती हैं और न ही पूरी तरह चौकसी रखी जा सकती है। नशा व हथियार तस्करों पर शक की सूई ठहरने की बड़ी वजह यह है कि जब भी तस्करों की गिरफ्तारी व बरामदगी होती है तो पाक हथियार व सिम की बरामदगी जरूर होती है। इस मामले में सुरक्षा बलों की उदासीनता व मिलीभगत भी सामने आती है। सीमा पर तस्करों से बरामद पाकिस्तानी सिम कार्डों की जांच सिरे नहीं चढ़ पाती है। सूत्रों की मानें तो पिछले तीन वर्षों में सीमा पर बरामद 42 सिम कार्डों की बीएसएफ या अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने सही ढंग से जांच नहीं की। बीएसएफ से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन सालों में तीन पाक आतंकियों और इतने ही तस्करों को पंजाब से सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करने की कोशिश करते हुए बीएसएफ ने मार गिराया। 20 घुसपैठियों को जिन्दा पकड़ा। इसी साल एके 47 समेत 17 हथियार, 24 मैगजीन, 286 राउंड गोलियां व 15 पाकिस्तानी मोबाइल बरामद किए गए। सारी कोशिशों के बावजूद पंजाब में सीमा पार से ड्रग तस्करी बढ़ती जा रही है। इसके लिए पंजाब सरकार भी बार-बार सीमा पर चौकसी बढ़ाने की बात केंद्र सरकार के सामने उठाती है। क्या गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह भी इस ड्रग्स रैकेट में शामिल हैं? संभव है कि उन्हें यह बताया गया हो कि ड्रग्स की सप्लाई आ रही है और उन्होंने इन आतंकियों को ड्रग्स तस्कर समझा हो?

-अनिल नरेन्द्र

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