Friday, 8 January 2016

नवाज शरीफ की शराफत पर भरोसा?

पाकिस्तान द्वारा पठानकोट पर हमला सिर्प एक आतंकी घटना नहीं मानी जा सकती, यह तो भारत  पर हमला था, देश की इज्जत पर हमला था। जहां तक हम अभी तक समझ सकेंगे कि इस हमले का जवाब भारत कोई कड़े संदेश, कड़ी कार्रवाई की जगह यह उम्मीद कर रहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे और इस आश्वासन से हमें संतोष करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पाक पीएम नवाज शरीफ से पठानकोट हमले के गुनाहगारों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा। नवाज ने भी बिना देर किए भरोसा जताया कि वे आतंकियों के खिलाफ त्वरित और निर्णायक कदम उठाएंगे। नवाज शरीफ क्या करेंगे। यह हमने कई बार पहले देखा है। दरअसल उन बेचारों के हाथ में है ही कुछ नहीं। चाहते हुए भी वह पाक सेना के हाथ महज कठपुतली हैं। नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर भारत-पाक समग्र वार्ता बचाने की कोशिश की है लेकिन देशवासियों को अब महज इस आश्वासन से संतोष नहीं होगा कि पाकिस्तान जांच में पूरा सहयोग करेगा। भारत-पाक सचिव स्तर की बातचीत रद्द करना भी हम कोई जवाबी कार्रवाई नहीं मानते। यह हमला पाकिस्तानी सेना व अन्य सुरक्षा एजेंसियों की मदद के बिना संभव नहीं था। जो जानकारियां उभरकर आ रही हैं उनसे तो यहां तक लगता है कि इन आतंकियों को पाकिस्तानी एयरफोर्स बेसिस पर एक महीने की बाकायदा ट्रेनिंग दी गई थी। यह बताया गया था कि एयरबेस पर कौन-सी चीज कहां रहती है, कौन-कौन से टारगेट हैं। यह अगर सही है तो पाकिस्तान सरकार, सेना की मदद के बिना कोई नॉन स्टेट एक्टर नहीं कर सकता था। पठानकोट आपरेशन के इतने दिन बाद भी हमारी सुरक्षा एजेंसियां सही में यह भी नहीं बता पा रहीं कि कितने आतंकी एयरबेस में घुसे थे? कहा जा रहा है कि आतंकी दो गुटों में आए थे। एक गुट एयरबेस में पहले ही घुसपैठ कर चुका था। कहा यह भी जा रहा है कि आतंकियों ने खुद को दो और चार के दो गुटों में बांट लिया था। इनमें से दो आतंकी तो अलर्ट जारी होने से पहले ही एयरबेस में दाखिल हो चुके थे। उन्होंने वहीं झाड़ियों में छिपकर शनिवार सुबह तक इंतजार किया। इसके संकेत आतंकियों की पाक में बैठे उनके आकाओं के साथ फोन कॉल से मिलते हैं। छह आतंकियों के मारे जाने के बाद भी रक्षामंत्री या सेना की ओर से कोई अधिकृत बयान नहीं आया है कि सभी आतंकियों का सफाया हो चुका है। अभी तक यह सही से नहीं पता चला कि चूक कहां-कहां हुई। पठानकोट हमले में विभिन्न स्तरों पर हुई चूक के लिए जिम्मेदारी तय होना आवश्यक है। बीएसएफ ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि आतंकी सीमा पर बाड़ काट कर नहीं घुसे। रावी नदी की ओर से आतंकियों के घुसने की संभावना ज्यादा है। उधर पंजाब पुलिस पर अपने ही एसपी की सूचना पर तुरन्त कार्रवाई न करने और सूचना मिलने के बावजूद आतंकियों को एयरबेस पहुंचने से पहले रोकने में नाकामी का आरोप लग रहा है। गुरदासपुर के एसपी सलविंदर सिंह का तबादला दो दिन पहले हो चुका था। 31 दिसम्बर की रात को करीब 11 बजे एसपी इस सीमावर्ती इलाके में एक मजार से लौट रहे थे (जिसमें वह पहली बार गए थे) कि नटोर जमैल सिंह के पास आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया। जहां अपहरण किया गया, वहां से पठानकोट एयरबेस की दूरी 40 किलोमीटर से भी कम है। नीली बत्ती लगी महेंद्रा एसयूवी से यह सफर तय करने में एक घंटा भी नहीं लगा होगा। तीन किलोमीटर पहले पंचर होने के बाद भी उनके पास इतना समय था कि वे डेढ़ या दो बजे तक टारगेट तक पहुंच जाएं। जांच में सामने आ रहा है कि करीब दो बजे ही पंजाब पुलिस के वरिष्ठतम अधिकारियों तक यह खबर पहुंच चुकी थी। पर रेड अलर्ट जारी होने से पहले ही आतंकी एयरबेस में प्रवेश कर चुके थे। दूसरे शब्दों में एसपी के सूचना देने से पहले आतंकियों को इतना समय मिल चुका था कि वे एयरबेस में प्रवेश कर जाएं। सलविंदर सिंह बार-बार अपना बयान भी बदल रहे हैं। पंजाब पुलिस की लापरवाही और हमारी सुरक्षा एजेंसियों में समन्वय की कमी इन पर फिर प्रकाश डालूंगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवाज शरीफ पर जरूरत से ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। वह कुछ नहीं कर सकते। जब उनकी आंख के नीचे अटल जी लाहौर बस पर गए तो जवाब मिला था कारगिल। पठानकोट हमले ने जो जख्म भारतीय जनमानस पर छोड़े हैं वह कोरे आश्वासनों, भाषणों, नारों से शायद ही भरें।

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