Saturday 13 May 2017

कुलभूषण मामले में आईसीजे आदेश पाक के लिए झटका

आखिरकार न्याय की जीत हुई, सत्य की जीत हुई और भारत की नैतिकता की जीत हुई। भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा तामील पर अंतर्राष्ट्रीय न्याय अदालत ने अंतरिम रोक लगा दी। अब पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट इस केस की सुनवाई करने पर मजबूर है। जिस बेवकूफी, क्रूरता और नासमझी से पाकिस्तान जाधव के मामले को निपटाने की कोशिश कर रहा था, उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कहीं जाधव के साथ अनिष्ट न हो जाए। भारत लगातार पाक को जाधव की फांसी रोकने के लिए समझाने की कोशिश करता रहा। पर पाकिस्तान को तो भारत से अपनी दुश्मनी निकालने का जरिया बनाना था। जाहिर है कि इसके पीछे कोई कानूनी या तकनीकी बाध्यता कम, भारत के प्रति दुराग्रह ज्यादा था। भारत ने जाधव की फांसी की सजा रोकने की अपील की थी और कहा था कि यह सजा आरोपी बेबुनियाद मानवाधिकारों का उल्लंघन है। पाक को ऐसा करने से रोका जाए। यदि पाकिस्तान इस फैसले को रद्द नहीं करता तो इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) को इसे अवैध और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन घोषित करना चाहिए। कुलभूषण जाधव को कैद में रखने, उस पर मुकदमा चलाने तथा उसे फांसी की सजा दिए जाने को भारत ने वियना समझौते का घोर उल्लंघन करार दिया था और पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। भारत का कहना था कि जाधव की गिरफ्तारी के  बाद लंबे समय तक भारत को इसकी जानकारी नहीं दी गई और पाकिस्तान ने उनके अधिकारों से उन्हें वंचित रखा। भारत के बार-बार अनुरोध के बावजूद जाधव को राजनयिक सम्पर्क की सुविधा नहीं दी गई जो उनका अधिकार है। हेग में मौजूद विश्व अदालत के नाम से जानी जाने वाली आईसीजे संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण न्यायिक हिस्सा है। अमन बहाली की जोर-आजमाइश के बदले किसी को ईरान से अगवा करने के बाद बलूचिस्तान से गिरफ्तारी का दिखावा करने और फिर कंगारू कोर्ट का गठन कर फांसी की सजा सुनाने जैसे काम सिर्फ पाकिस्तान ही कर सकता है। भारत सरकार की कूटनीति की प्रशंसा करनी होगी कि उसने इस मामले में हर दृष्टिकोण से अध्ययन करने के बाद बेहद सुनियोजित और समझदारी के साथ अपने काम को अंजाम दिया। अंतर्राष्ट्रीय अदालत में जाने का फैसला और सही तरह से अमलीजामा पहनाने के लिए भारतीय विदेश मंत्री व अधिकारी बधाई के पात्र हैं और इस फैसले से निश्चित तौर पर पाकिस्तान को झटका लगा है। देखना अब यह है कि जाधव मामले में पाकिस्तान क्या रणनीति अपनाता है?

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