Friday 5 May 2017

मोदी की लोकप्रियता सातवें आसमान पर, उनकी सरकार की छवि?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की टीम का अगला निशाना लोकसभा चुनाव 2019 है। 2019 लोकसभा चुनाव में इनका टारगेट है 400 लोकसभा सीटों पर जीतने का। इसमें वे 120 सीटें भी हैं जहां भारतीय जनता पार्टी पहले कभी विजयी नहीं रही। संघ के योद्धाओं की मदद से अमित शाह के सिपहसालारों द्वारा इन 120 नई सीटों पर भी हल चलाकर बंजर भूमि में कमल की फसल उगाकर मिशन 400 के लक्ष्य को लांघने की कोशिश की जाएगी। लोकसभा की कुल 545 सीटें हैं। ऐसे में 400 सीट का मिशन बड़ा टारगेट जरूर है। पिछले चुनाव में 282 सीटों पर भाजपा जीती थी। सूत्रों का कहना है कि ओडिशा की हारी हुई 20 सीटें, बंगाल की 40, केरल की 20 तथा तमिलनाडु और पुडुचेरी मिलाकर 120 सीटों पर शाह का विशेष फोकस है। इस मिशन में सफलता पाने के लिए हमारी राय में मोदी सरकार को पहले उन स्कीमों पर मंथन करना चाहिए जहां अभी तक उसे सफलता नहीं मिली है। उसे यह जानने का प्रयास करना होगा कि आखिर इन स्कीमों को अब तक सफलता क्यों नहीं मिली? ब्लैक मनी खुलासा स्कीम, गोल्ड बांड स्कीम, जनधन योजना, न्यू पेंशन स्कीम और एफडीआई बढ़ाने की योजनाओं में अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री इसको लेकर चिंतित भी हैं। यही कारण है कि मोदी चाहते हैं कि इन स्कीमों की विफलता पर मंथन हो ताकि इन स्कीमों में बदलाव किया जा सके या फिर उनकी जगह नई स्कीमें लाई जाएं। यही कारण है कि वे अब वित्त मंत्रालय के उच्चाधिकारियों के साथ इन स्कीमों को रिव्यू करने जा रहे हैं। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार सभी उच्चाधिकारियों को कहा गया है कि वह इन स्कीमों और इसमें खामियों की डिटेल लाएं। इन स्कीमों की पूरी रूपरेखा तैयार करने में प्रमुख आर्थिक सलाहकार से लेकर रेवेन्यू सैक्रेटरी कार्यालय की अहम भूमिका रही है। मगर इसके बावजूद इन स्कीमों को मार्केट और लोगों ने एक तरह से नकार दिया है। उनकी तरफ से कोई पॉजिटिव रिस्पांस नहीं आया। सरकार को उन ग्राउंड रियलिटी को जानना और समझना होगा ताकि भविष्य में इस तरह की स्कीम तैयार करते समय उन गलतियों को दोहराया न जाए। सरकार को उम्मीद थी कि ब्लैक मनी, गोल्ड बांड्स और अन्य स्कीमों से टैक्स कलैक्शन बढ़ेगा मगर ऐसा हुआ नहीं। पहले ब्लैक मनी खुलासा स्कीम के तहत 65 हजार करोड़ रुपए की ब्लैक मनी का खुलासा किया गया। मगर दूसरी बार जब सरकार ने इस स्कीम को मार्केट में उतारा तो मात्र 10 हजार करोड़ रुपए की ब्लैक मनी का खुलासा ही सामने आया। सरकार ने 24 से 28 अप्रैल के लिए गोल्ड बांड्स जारी किए। पिछले दो सालों में सरकार सात बार गोल्ड बांड जारी कर चुकी है। लेकिन इसमें लोगों का रुझान उम्मीद से काफी कम रहा है। कमाल का विरोधाभास देखने को मिल रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि सातवें आसमान पर है। मोदी-मोदी के नारों से पूरा देश गूंज रहा है। पर जहां तक उनकी सरकार का सवाल है बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो इस सरकार की कारगुजारी से खुश नहीं हैं। चाहे मामला नक्सलियों को हैंडल करने का हो, चाहे पाकिस्तान नीति हो, चाहे कश्मीर की ज्वलंत समस्या हो सभी मोर्चों पर मोदी सरकार से जनता नाखुश है। महंगाई, बेरोजगारी, कानून व्यवस्था, गरीबों का विकास आदि हो जनता को अभी तक वह नतीजे नहीं मिले जिसकी उन्हें उम्मीद थी। विदेश नीति पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। मोदी के लिए सबसे फायदेमंद साबित हो रहा है कमजोर विपक्ष। आज इस सरकार को सही मायने में चुनौती देने वाला कोई विपक्ष ही नहीं है। यह खुशी की बात है कि पीएम मोदी ने आम लोगों से अपना संवाद और मजबूत बनाने की योजना बनाई है। अब वह सीधे किसी से सरकारी योजनाओं के बारे में फीड बैक ले सकते हैं। अब आपको सीधे पीएम का फोन आ सकता है और आपसे सरकार की कारगुजारी के बारे में पूछा जा सकता है। हमारे देश की राजनीति का दुर्भाग्य रहा है कि उसमें नेतागण तो ऊंचे मंचों से अपनी बात रखते रहे हैं, पर जनता की आवाज तभी सुनी जाती है जब वह किसी तकलीफ से आजिज होकर धरना-प्रदर्शन करे और कभी-कभार अतिरंजना भरे कोई कदम उठा ले। अच्छा है कि पीएम मोदी ने दो तरफा संवाद की इस जरूरत को समझा है। असल में राजनीति को जमीन से जोड़ने का जरिया यही है।

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