Saturday, 20 May 2017

केजरीवाल बनाम अरुण जेटली बनाम राम जेठमलानी

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल व अन्य पर दायर 10 करोड़ रुपए के सिविल मानहानि मामले में बुधवार को हाई कोर्ट में दोनों पक्षों के बीच करीब एक घंटे तक ऐसी नोकझोंक हुई जैसी पहले शायद कभी नहीं हुई होगी। कानूनी मुद्दों और कानूनी प्वाइंटों से ज्यादा अरविन्द केजरीवाल के वकील मशहूर वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अरुण जेटली पर ऐसे हमले किए जिनसे निजी खुंदक निकालने की ज्यादा बू आ रही थी। बढ़ते विवाद के चलते अदालत को जेठमलानी को कहना पड़ा कि वह अपनी हदें लांघ रहे हैं और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। ज्वाइंट रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा के समक्ष केजरीवाल व अन्य आप नेताओं की पैरवी कर रहे जेठमलानी के जेटली को शातिर (क्रूर) कहने पर कोर्ट रूम में जमकर हंगामा हुआ। कई बार अदालत को दोनों पक्षों के वकीलों को शांत करवाना पड़ा। जेठमलानी को भी बहस में सही शब्दों का चयन करने की ताकीद की और यहां तक कह दिया कि वह आर्डर में उनके कहे शब्दों का उल्लेख कर रही है। जेठमलानी चाहें तो इसे चुनौती दे सकते हैं। दोपहर करीब दो बजे संयुक्त रजिस्ट्रार दीपाली शर्मा के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई शुरू होते ही जेठमलानी ने जेटली से कहाöआपके खिलाफ एक लेख इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित हुआ। क्या आपने उसे पढ़ा है? जेठमलानी ने जेटली पर आरोप लगाया कि आपने उक्त लेख संडे गार्जियन में प्रकाशित होने से रोका। आपका इस पर क्या कहना है? इस पर जेटली की तरफ से अधिवक्ता राजीव नायर व संदीप सेठी ने इस प्रश्न पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसका केस से कोई लेना-देना नहीं है। जेठमलानी ने वकीलों से कहा कि केस से मतलब है, जेटली की कोई प्रतिष्ठा नहीं, वह साबित करेंगे। जेटली के वकीलों ने इस पर कड़ा विरोध जताया और चेतावनी दी कि वह उनका (जेटली का) अनादर न करें। जेठमलानी ने कई बार यह प्रश्न पूछा और बार-बार जेटली के वकीलों ने इसका विरोध किया। जेटली ने जवाब दिया कि मैं कुछ प्रमुख समाचार पत्रों को पढ़ता हूं। बड़ी संख्या में अखबारों में मेरे खिलाफ छपता है, यह जरूरी नहीं कि वे मेरी जानकारी में हों। सुनवाई के दौरान एक बार ऐसा मौका आया जब जेठमलानी ने कहा कि जेटली बड़े शातिर (क्रूर) हैं। इस पर अरुण जेटली ने कहाöक्या ये शब्द प्रयोग करने के लिए मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आपको अनुमति दी है? अगर हां तो मैं 10 करोड़ की मानहानि की राशि को बढ़ाने वाला हूं। जेटली ने कहा कि अपमान की भी एक सीमा होती है। जेठमलानी अपनी खुद की दुश्मनी निकाल रहे हैं। जेटली ने आगे कहा कि आप निजी जिन्दगी को लेकर हमले कर रहे हैं ये ठीक नहीं। जेठमलानी निजी स्वार्थ के चलते यह सब कर रहे हैं, उन्हें केस से अपना नाम वकील के रूप में वापस लेना चाहिए। जेटली के वकीलों ने कहा कि केस के हिसाब से यह प्रासंगिक नहीं। उनका कहना था कि केस जेठमलानी व मुख्यमंत्री के खिलाफ है। भाजपा या फिर जेठमलानी व जेटली के खिलाफ नहीं। इसके बाद भी जेठमलानी ने सवालों की बौछार जारी रखी और यह भी आरोप लगाया कि जेटली अपने अपराध के दोष को छिपाकर लोगों को ठग रहे हैं। इस पर अदालत ने सभी वकीलों द्वारा मुद्दों से हटकर आरोप-प्रत्यारोप पर हदें लांघने की बात कहते हुए चेतावनी दी। जब जेटली ने राम जेठमलानी से कहाöक्या ये शब्द प्रयोग करने के लिए केजरीवाल ने अनुमति दी है? जेठमलानी ने माना वह यह सब अपने मुवक्किल (मुख्यमंत्री) की हिदायत पर ही बोल रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री की तरफ से पेश एक अन्य वकील ने इस पर अनभिज्ञता जताई। फिर जेठमलानी ने कहा कि मैं अपने मुवक्किल से अपनी मर्जी से मिल रहा हूं। मैं उनसे केस समझने के लिए मिलता हूं। जेठमलानी ने कोर्ट में ये भी कहा कि काला धन लाने में मैंने जितनी लड़ाई लड़ी अरुण जेटली ने इस पर पानी फेर दिया। मैं इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट तक गया। भाजपा ने काला धन विदेशों से वापस लाने के नाम पर चुनाव जीताöलेकिन किया कुछ नहीं। इस पर जेटली के वकीलों ने कहा कि यह सब तर्क बेतुके व अपमानजनक हैं। वहीं कोर्ट ने समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों व भाजपा संबंधी बातों पर कहा कि यह सब इस केस से संबंधित नहीं है। गत 15 मई को भी यह सवाल खारिज कर दिए गए थे। इसके बाद मुख्यमंत्री की तरफ से मौजूद एक अन्य अधिवक्ता ने मामले की सुनवाई किसी दूसरे दिन करने का आग्रह किया। फिर कोर्ट ने सुनवाई 28 31 जुलाई की तारीख तय कर दी। पेश मामले में जेटली ने मुख्यमंत्री के अलावा आप नेता राहुल चड्ढा, संजय सिंह, आशुतोष, कुमार विश्वास और दीपक वाजपेयी समेत छह लोगों के खिलाफ यह मामला दायर किया है। आरोप है कि इन सभी ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) विवाद में उन्हें बदनाम किया है। उनके खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी की है जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली को शातिर (क्रूर) कहना दिल्ली हाई कोर्ट को पसंद नहीं आया है। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि अगर यह टिप्पणियां मुख्यमंत्री के हिदायत पर की गई हैं तो पहले सीएम आएं और इन्हें सही साबित करें। इसके बाद ही मानहानि मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले सुनवाई का कोई औचित्य नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसी टिप्पणियां दुष्कर्मों के मामलों में लगीं तो पीड़िता का तो बार-बार दुष्कर्म होगा। अदालत ने टिप्पणियों को अपमानजनक और अप्रिय करार देते हुए कहा कि इस तरह की बहस की अनुमति नहीं दी जा सकती। बहस तय नियमों के अनुसार होनी चाहिए। एक व्यक्ति जिसने मानहानि का मामला दायर किया है, इस तरह दोबारा उसका अपमान नहीं होना चाहिए। अदालत इसी मामले में आप नेता राहुल चड्ढा की उस अर्जी पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने अपने बयान में संशोधन करने की अनुमति मांगी है, सुनवाई के दौरान जेटली के वकील राजीव नायर व संदीप सेठी ने अदालत के समक्ष बुधवार को जेठमलानी द्वारा की गई टिप्पणियों का मुद्दा उठाया। इस पर अदालत ने इस बारे में अलग से अर्जी दायर करने को कहा। जेटली के वकीलों का तर्क था कि अगर मुख्यमंत्री की हिदायत पर जेठमलानी ने ऐसा कहा है तो वह मानहानि की रकम 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए करेंगे। वहीं अगर जेठमलानी ने खुद ऐसा कहा है तो यह बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के खिलाफ है। चूंकि मामला अदालत में चल रहा है इस पर टिप्पणी नहीं की जा सकती पर बस इतना ही कहेंगे कि जेठमलानी द्वारा बहस का स्तर न तो उन्हें शोभा देता है और न ही उसका इस केस से कोई संबध है। जेठमलानी निजी खुंदक ज्यादा निकाल रहे हैं बनिस्पत ठोस दलीलों के।

-अनिल नरेन्द्र

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