Thursday 11 May 2017

नए निगम पार्षदों के सामने मुंह फाड़ती चुनौतियां

तीनों दिल्ली नगर निगमों में नए पार्षदों का कामकाज 15 मई के बाद ही शुरू हो सकेगा। माना जा रहा है कि 15 मई के बाद ही नए पार्षदों को शपथ दिलाने के लिए निगमों की आम सभा का आयोजन किया जाएगा। इसी बैठक में नए मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति का चुनाव किया जाएगा। निगम में आरक्षण के स्वरूप के अनुसार पहले साल के कार्यकाल में मेयर का पद महिला पार्षद के लिए आरक्षित है। इसलिए तीनों निगमों में महिलाएं ही मेयर होंगी। राजधानी में तीनों निगमों में भाजपा को मिले स्पष्ट बहुमत के चलते मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के चुनाव में किसी भी तरह की बाधा आने की आशंका नहीं है। भाजपा ने हैट्रिक लगाते हुए तीसरी बार दिल्ली के नगर निगमों पर कब्जा कर लिया है, लेकिन अब पार्टी के सामने निगम का चेहरा बदलने की चुनौती है ताकि आम जनता के बीच अभी इसकी नकारात्मक छवि को दूर किया जा सके। इसके लिए निगम में फैले भ्रष्टाचार को खत्म कर इसके कामकाज में पारदर्शिता लानी होगी। बेपटरी हुई सफाई व्यवस्था को भी पटरी पर लाना होगा। निगम के कामकाज को सुधारने और पारदर्शिता लाने के लिए उपयुक्त स्तर के अधिकारियों की तैनाती करनी होगी। प्रत्येक वार्ड में कूड़ा सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा। निगम के आधीन आने वाले अस्पतालों की दशा सुधारनी होगी। निगम स्कूलों में पढ़ाई के स्तर पर विशेष ध्यान देना होगा। मॉडल स्कूलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। स्कूलों में स्वच्छ पानी व सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। रेहड़ी-पटरी वालों को 90 दिनों के भीतर सर्वे कराकर पक्का रजिस्ट्रेशन करने के साथ ही रिक्शा चालकों को मालिकाना हक देने का वादा भाजपा ने किया है। अतिक्रमण मुक्त फुटपाथ, बहुमंजिला पार्किंग व अनधिकृत कॉलोनियों का विकास व उन्हें नियमित कराने का प्रयास किया जाएगा, ऐसा संकल्प पत्र में कहा गया है। भाजपा के पार्षदों से शहर को ढेरों उम्मीदें हैं। अगले कुछ दिनों में नवनिर्वाचित पार्षद अलग-अलग जिम्मेदारी संभालेंगे। उनके समक्ष शहर की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा निगम को वित्तीय संकट से उबारने की सबसे बड़ी चुनौती होगी। निगम के वित्तीय संकट के कारण पिछले वर्ष कर्मचारी कई बार हड़ताल पर चले गए। इस कारण सफाई व अन्य सेवाएं प्रभावित हुईं। शहर की सफाई व्यवस्था में व्यापक बदलाव के लिए घरों व बाजारों से निकलने वाले कूड़े का संग्रह करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा दिल्ली में अलग-अलग एजेंसियों के पास सड़क, फुटपाथ की सफाई व्यवस्था का जिम्मा है। आगामी दिनों में सड़क, फुटपाथ चाहे किसी भी एजेंसी की हो उसे साफ करने की चुनौती होगी। सरकार से निगम को मिलने वाले सारे फंड अपने संवैधानिक अधिकार स्वरूप निरंतर विधि प्रयासों से लिए जाएंगे। वहीं स्वच्छ भारत मिशन के तहत नए शौचालय बनाना व सफाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा। पिछले कुछ वर्षों से बरसात के दौरान व बाद में डेंगू व मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप फैल जाता है इससे बचाव के लिए अभी से उपाय करने होंगे। मच्छरजनित बीमारियों को प्राथमिकता के साथ दूर करने की इसलिए भी जरूरत है क्योंकि चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इन बीमारियों के लिए सीधे तौर पर भाजपा शासित नगर निगम को ठहराया था। भाजपा शासित निगमों का दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के साथ रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। इस लड़ाई का खामियाजा दिल्ली की जनता को उठाना पड़ा है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू व प्रदेश भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मनोज तिवारी ने भी दिल्ली सरकार से निगम के साथ मिलकर काम करने की अपील की है। वहीं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भी जीत के लिए भाजपा को बधाई देते हुए निगम को पूरा सहयोग देने की बात कही है। इससे उम्मीद जगी है कि इस बार टकराव की नहीं दिल्ली के विकास की सियासत होगी।
-अनिल नरेन्द्र
ै।

No comments:

Post a Comment