Saturday 6 May 2017

विजय माल्या केस मजबूत है पर ब्रिटेन की कानूनी प्रक्रिया लंबी है

बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपए लेकर ब्रिटेन भागे शराब कारोबारी विजय माल्या का प्रत्यार्पण कराने के कोशिशों के तहत सीबीआई और ईडी की टीम लंदन पहुंच चुकी है। मंगलवार को इन्होंने शाही अभियोजन सेवा (सीपीएस) के अधिकारियों से मुलाकात की। बता दें कि वेस्ट मिनिस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में 17 मई को भारतीय एजेंसियों का पक्ष सीपीएस ही रखेगी। सीपीएस के प्रवक्ता ने भारतीय टीम से मुलाकात की बात की पुष्टि करते हुए कहाöहर सीबीआई अधिकारियों ने हमारे वकीलों से मुलाकात पर चर्चा की है। सीबीआई और ईडी की टीम की कोशिश है कि ब्रिटिश अदालत में माल्या के खिलाफ मुकदमे पर मजबूती से पक्ष रखा जाए। भारतीय टीम ने लंदन में अधिकारियों को बताया कि विजय माल्या पर कितने केस हैं कितने गंभीर आरोप हैं। यहभी बताया कि भारतीय एजेंसियों को माल्या क्यों चाहिए और भारत न आने की वजह से इंसाफ के लिहाज से कितना नुकसान हो रहा है। भारत के लिए भगोड़े विजय माल्या का ब्रिटेन से प्रत्यर्पण बहुत आसान नहीं होगा। कई अफसर मानते हैं कि महीनों से शुरू कर कई साल तक भी लग सकते हैं। कूटनीतिक मामलों के जानकार मानते हैं कि माल्या की गिरफ्तारी को हम एक शुरुआत मान सकते हैं। वित्तीय मामलों में प्रत्यर्पण को लेकर कई तरह के कानूनी पेंच हैं। ब्रिटेन के साथ प्रत्यर्पण संधि के बावजूद पिछले पांच साल में केवल एक आरोपी का ही प्रत्यर्पण संभव हो पाया है। माल्या समेत 10 मामले अभी ब्रिटेन के पास लंबित हैं जबकि छह मामलों को ब्रिटेन खारिज कर चुका है। इस मामले में अच्छी बात यह है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मामले को निजी तौर पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के साथ उठाया था। वित्तमंत्री अरुण जेटली की ओर से भी इस पर दबाव बनाया गया है। उच्च राजनीतिक स्तर पर प्रयास हुए हैं। फिर भी कितना वक्त लगेगा कहना मुश्किल है। ब्रिटेन ने भारत को प्रत्यर्पण के मामले में द्वितीय श्रेणी के देशों में रखा है। इसके तहत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया कठोर और लंबी है। प्रथम श्रेणी में ब्रिटेन ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को रखा है। पिछले साल मार्च में माल्या के देश छोड़कर जाने के बाद से भारत लगातार ब्रिटेन के सम्पर्क में है। गत वर्ष ब्रिटेन ने माल्या को भारत वापस भेजने की मांग ठुकरा दी थी। भारत को सिर्फ माल्या का ही इंतजार नहीं है, बल्कि ऐसे कई लोग हैं जो ब्रिटेन में रह रहे हैं। बीसीसीआई में वित्तीय गड़बड़ी आरोपी पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित ललित मोदी 2009 से ब्रिटेन में हैं। दोनों देशों में मामला चल रहा है। सट्टेबाज सजीव चावला मैच फिक्सिंग मामले में दक्षिण अफ्रीका क्रिकेटर हैंसी क्रोन्ये से करोड़ों रुपए के लेन-देन का केस भी चल रहा है। गुलशन कुमार की हत्या की साजिश का आरोपी नदीम सैफी भी लंदन में जमा हुआ है। भारत इसके प्रत्यर्पण का केस हार चुका है। इनके अलावा राजेश कपूर, अतुल सिंह, राजकुमार पटेल, जतिन्दर कुमार अंगुशला, आशारानी अंगुराला, सादिक और अशोक मलिक का प्रत्यर्पण अनुरोध ब्रिटेन के साथ लंबित है। इसके अलावा ब्रिटेन भारत की कई याचिकाएं खारिज कर चुका है। इसमें खुफिया जानकारी लीक करने के आरोपी पूर्व नौसेना अधिकारी रवि शंकरन, रेमंड वार्ले, वेलू बुपालन, अजय प्रसाद खैतान, वीरेन्द्र कुमार रस्तोगी और आनंद कुमार जैन शामिल हैं। माल्या के मामले की सुनवाई लंदन की अदालत में जल्द शुरू हो सकती है। माल्या का मामला भारत में राजनीतिक विषय बना हुआ है। इसे लेकर विपक्ष ने सीधे पीएम मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली पर भी वार किए हैं। लेकिन सूत्रों के अनुसार भारत सरकार अपनी कोशिशों में लगी हुई है। मामले में कोई ढील या गुंजाइश न बचे, इसके लिए सीबीआई और ईडी ने सभी पुख्ता सबूत ब्रिटिश अफसरों को दे दिए हैं। सरकार भी अपने स्तर पर प्रयास जारी रखे हुए है। गृह सचिव राजीव महर्षि वहां अपने समकक्ष से बात कर सकते हैं। मकसद माल्या को जल्द से जल्द भारत लाया जा सके। लेकिन जानकारों का मानना है कि विजय माल्या को भारत लाने पर लंबी कानूनी कार्रवाई पूरी होने में महीनों ही नहीं सालों लग सकते हैं।

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