Wednesday, 31 May 2017

क्या जेवर घटना को दूसरा रंग देने का प्रयास हो रहा है?

जेवर में चार महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार, लूटपाट व परिवार के मुखिया की हत्या के मामले में विरोधाभास रिपोर्टें आ रही हैं। मालूम हो कि जेवर कोतवाली क्षेत्र अंतर्गत जेवर-बुलंदशहर हाइवे पर साबोता गांव के पास बुधवार रात कार सवार परिवार को बदमाशों ने बंधक बना लिया था। उन्होंने लूटपाट के बाद कार सवार चार महिलाओं के साथ परिवार के सामने ही गैंगरेप किया। एक महिला के पति ने बदमाशों का विरोध किया तो उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। बदमाशों ने पीड़ित परिवार से 40 हजार रुपए व जेवर समेत करीब एक लाख से अधिक लूटपाट की। स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने वारदात के बाद संकेत दिए कि महिलाओं के बयानों में विरोधाभास है और गैंगरेप जैसी कोई बात नहीं हुई। स्क्रैप व्यापारी के परिवार से मिलने शनिवार को जब केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा जेवर पहुंचे तो पीड़ित परिवार ने केंद्रीय मंत्री से कहा कि प्राथमिक मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देकर पुलिस बेतुके बयान दे रही है। इससे दुष्कर्म पीड़िता और उनके परिजन बेहद आहत हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्राथमिक रिपोर्ट का हवाला देकर पुलिस चार महिलाओं से गैंगरेप जैसी संगीन वारदात को नकारने की कोशिश कर रही है। डॉ. महेश शर्मा ने पीड़ित परिवार को समझाते हुए कहा कि फोरेंसिक रिपोर्ट जब तक लैब से नहीं आती इस संबंध में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। दुख की इस घड़ी में सरकार हर संभव मदद करेगी। शनिवार दोपहर बाद भारतीय किसान यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचा। परिजनों ने पुलिस पर घटना का खुलासा न करने का आरोप लगाया, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधिकारियों से वार्ता कर वारदात के जल्द खुलासे की मांग की। पीड़ित महिलाओं ने शनिवार को कोर्ट में बयान दर्ज कराए। इस दौरान पीड़िताएं फफक  पड़ीं। पीड़ित पक्ष की मानें तो उन्होंने एफआईआर के मुताबिक ही बयान दर्ज कराए हैं। परिजनों के अनुसार महिलाओं ने कोर्ट से यह भी कहा कि दुष्कर्म होने के बावजूद पुलिस इसे मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देकर नकार रही है। पीड़ित महिलाओं ने लूटपाट, दुष्कर्म और विरोध करने के स्क्रैप कारोबारी की हत्या का बयान कोर्ट में दर्ज कराया है। सवाल यह है कि क्या स्थानीय पुलिस व प्रशासन सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रही है? हत्या हुई है, दुष्कर्म का आरोप है, इसे हल्के से नहीं लिया जा सकता। पीड़ितों से इंसाफ होना चाहिए। अगर इस पर लीपापोती की जा रही है तो यह सरासर गलत है। वैसे भी मामला अब अदालत में चला गया है जहां दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।

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