Sunday 12 May 2019

दिल्ली के परिणाम अगले वर्ष विधानसभा चुनाव पर असर डालेंगे

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कांग्रेस यह संदेश देने में कामयाब होती दिख रही है कि वह यहां भाजपा के मुकाबले पूरी मुस्तैदी से लड़ रही है। इसके बावजूद भाजपा विरोधी वोटों का बंटवारा रोकना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। दिल्ली में यह दूसरा चुनाव है जब मैदान में कांग्रेस व भाजपा के अलावा तीसरा  आम आदमी पार्टी (आप) महत्वपूर्ण दल है। 2009 तक के चुनाव में कमोबेश कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधी लड़ाई होती थी। कई बार कांग्रेस ने सातों सीटों पर जीत का परचम लहराया तो 2014 के चुनाव में वह तीसरे नम्बर पर रही। आप दूसरे नम्बर पर रही। कांग्रेस के  लिए पार्टी महासचिव और राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने प्रचार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने गत गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि उन्होंने मोदी से बड़ा कायर और कमजोर प्रधानमंत्री जिन्दगी में नहीं देखा। उन्होंने कहा कि राजनीतिक शक्ति बड़े-बड़े प्रचार से नहीं आती। टीवी पर दिखाने से नहीं आती राजनीतिक शक्ति, वो शक्ति होती है जो यह माने कि जनता सबसे बड़ी है। प्रियंका बोलीं कि जनता की बात सुनने की शक्ति, समस्याओं को सुलझाने की शक्ति, आलोचना सुनने की शक्ति, विपक्षी दलों की बातें सुनने की शक्ति ही असल शक्ति है, लेकिन प्रधानमंत्री न तो आपकी बात सुनना जानते हैं और न ही आपको जवाब देने की आवश्यकता जरूरी समझते हैं। दिल्ली में भाजपा के सामने जहां राजधानी की सातों सीटों पर कब्जा बरकरार रखने की चुनौती है, वहीं विधानसभा में प्रचंड बहुमत पाने के बाद नगर निगम चुनावों में हार का सामना करने वाली आप के ऊपर सियासी रसूख बनाए रखने के लिए बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव है। कांग्रेस पूरी मुस्तैदी से अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल करने की लड़ाई लड़ रही है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.6 प्रतिशत वोटरों का साथ मिला था जिसके सहारे वह सभी सातों सीटें जीतने में सफल रही थी। पर इस बार न तो मोदी लहर है और कई सांसदों के खिलाफ एंटी एनकम्बेंसी फैक्टर काम कर रहा है। कांग्रेस ने दिल्ली की सातों सीटों पर दिग्गजों को खड़ा किया है जिनका जनसम्पर्प और छवि उनके हक में जा रही है। कांग्रेस को लगता है कि अबकी बार भाजपा को क्लीन स्वीप करने से रोकने में सक्षम है। दिल्ली के लोकसभा परिणामों का सीधा अगले वर्ष होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों पर भी असर पड़ेगा।

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