झुलसा देने वाली गर्मी के बीच पूर्वी दिल्ली संसदीय
क्षेत्र का सियासी पारा चरम पर है। तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने सियासी बिसात बिछा
दी है। भाजपा-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के
उम्मीदवार अब आमने-सामने हैं। पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस व आप की त्रिकोणीय लड़ाई में अगर अरविन्दर सिंह लवली जीते तब यह 40
साल बाद दिल्ली से किसी सिख को लोकसभा में पहुंचने का इतिहास बनाएंगे।
उनका मुकाबला भाजपा के गौतम गंभीर और आम आदमी पार्टी की आतिशी से है। आरोपों-प्रत्यारोपों, शिकवा-शिकायतों की
बौछार कर तीनों दल एक-दूसरे पर बढ़त बनाने की कोशिश में हैं।
दूसरी तरफ आम मतदाता विकास व राष्ट्रवाद के बीच अपने प्रतिनिधि की तलाश कर रहा है।
दिलचस्प यह है कि पूर्वी दिल्ली के त्रिकोणीय
मुकाबले को सीधी लड़ाई दिखाने की रणनीति पर तीनों दल काम कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी
(आप) के लिए उसकी सीधी टक्कर भाजपा से है
तो कांग्रेस भी सीधी लड़ाई भाजपा से बता रही है। वहीं भाजपा भी आप को तीसरे पायदान
का खिलाड़ी बताती है। इनकी जगह भाजपा अपना सीधा प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को मान रही
है। आप प्रत्याशी आतिशी बीते करीब छह महीने से प्रचार करने में हैं, जबकि भाजपा ने क्रिकेटर गौतम गंभीर व कांग्रेस ने अरविन्दर सिंह लवली को देर
से अपना उम्मीदवार बनाया। तीनों प्रत्याशी मतदाताओं को अपनी तरफ लामबंद करने की जीतोड़
कोशिश कर रहे हैं। नुक्कड़ सभाओं, रोड शो, मॉर्निंग व इवनिंग वॉक के सहारे मतदाताओं से सम्पर्प करने का सघन अभियान तीनों
प्रमुख प्रत्याशियों ने चला रखा है। अरविन्दर सिंह लवली को जहां सिख होने व कांग्रेस
के प्रदेशाध्यक्ष होने का लाभ मिलेगा वहीं भाजपा अपनी इस जीती हुई सीट को किसी कीमत
पर हारना नहीं चाहेगी। दोनों को आतिशी कड़ी टक्कर दे रही हैं। अगर कांग्रेस और आम आदमी
पार्टी के वोटों का बंटवारा होता है तो इसका सीधा लाभ भाजपा को होगा। गौतम गंभीर से
ज्यादा भाजपा मोदी के नाम पर चुनाव लड़ रही है।
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