कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और गृहमंत्री
राजनाथ सिंह की सीटों पर लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में मतदान छह मई को होगा। इस
कारण पांचवां चरण रोचक बन गया है। इस चरण में कुल 51 सीटों में
से 38 पर भाजपा और एक पर सहयोगी दल होने के कारण भी एनडीए के
लिए महत्वपूर्ण है। पांचवें चरण में रायबरेली से सोनिया गांधी फिर से चुनाव मैदान में
हैं। पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर छह मई को मतदान
है। इनमें से 2014 के चुनाव में कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली
को छोड़कर भाजपा ने 12 सीटें जीती थीं। इस चरण में कांग्रेस को
न केवल इन दोनों सीटों को बरकरार रखने की उम्मीद है बल्कि यह कम से कम चार दूसरी सीटोंöछौरहरा, बाराबंकी, फैजाबाद और सीतापुर
में भाजपा को टक्कर देती नजर आ रही है। 2009 के लोकसभा चुनाव
में कांग्रेस ने इन 14 में से सात सीटों पर कब्जा जमाया था और
पार्टी अपना पुराना प्रदर्शन दोहराने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। इस चरण के चुनाव
में कांग्रेस के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है, वहीं भाजपा
को अपनी साख बचाए रखने की चुनौती भी है। इस बार कांग्रेस के लिए एक बड़ा फर्प आया है
और प्रियंका गांधी वाड्रा के सीट पर आने से उसकी उम्मीदें बढ़ी हैं। पांचवें चरण में
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के रणनीतिक कौशल की अग्निपरीक्षा भी होगी। क्योंकि
पार्टी ने उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी दी हुई है। एक समय उत्तर प्रदेश
में राज करने वाली कांग्रेस 2014 में मोदी लहर में महज दो सीटों
पर सिमट गई थी। माता सोनिया गांधी और पुत्र राहुल गांधी ही यहां से चुनाव जीत सके थे।
छह मई को होने वाले चुनाव में दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, बाकी 12 सीटों पर भाजपा ने विजय प्राप्त की थी। अमेठी
में राहुल गांधी का मुकाबला एक बार फिर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से है। स्मृति
ईरानी के पांच साल से अमेठी में डटे रहने और राहुल का वायनाड से भी चुनाव लड़ने के
कारण इस सीट पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। अमेठी से जहां नेहरू गांधी परिवार के चार
सदस्य सांसद रहे हैं, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां
से चौथी बार मैदान में हैं। दरअसल एक तरफ जहां राहुल गांधी के चुनाव अभियान की कमान
प्रियंका गांधी संभाल रही हैं और नामांकन के बाद सातवीं बार और दो दिनों से लगातार
अमेठी से डेरा जमाए बैठी हैं, वहीं भाजपा की उम्मीदवार स्मृति
ईरानी पिछले पांच साल में तुलसी बनकर घर-घर में अपनी जगह बनाने
के लिए दिन-रात एक की हुई हैं। वह शायद पहली ऐसी प्रत्याशी हैं
जो हारने के बावजूद अमेठी का दौरा एक चुनी हुई प्रतिनिधि की तरह करती रही हैं। भाजपा
ने शुक्रवार को दावा किया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति ईरानी का
जीतना तय है और इस बार लोकसभा में कांग्रेस 44 से भी कम के आंकड़े
पर सिमट सकती है। उधर प्रियंका के बूते जहां कांग्रेस इस बार अमेठी और रायबरेली से
इतर अन्य कई सीटों पर अपनी उम्मीदें लगाई बैठी है तो वहीं गठबंधन को अपने सोशल इंजीनियरिंग
पर भरोसा है।
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