Sunday 19 May 2019

बनारस में मोदी का मुकाबला खुद मोदी से है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ यूं तो 25 उम्मीदवार खड़े हैं पर मोदी का मुकाबला खुद से ही है। पिछली बार 2014 में मोदी के खिलाफ वाराणसी से 41 उम्मीदवार खड़े थे पर नरेंद्र मोदी 3,71,784 वोटों से जीते थे। इस बार यह संख्या घटकर 25 हो गई है। इसके बावजूद उनके खिलाफ एक छोटा भारत चुनाव लड़ रहा है। यह स्पेशल 25 उम्मीदवार आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, केरल, उत्तराखंड समेत कई राज्यों के हैं और इनमें से प्रत्येक यहां कुछ न कुछ मुद्दे साबित करने आए हैं। महाराष्ट्र के एक किसान मनोहर आनंद राव पाटिल महात्मा गांधी की तरह कपड़े पहनते हैं और अपने गले में उनका फोटो लटका लिया है। वह कहते हैं कि मैं यहां मोदी को हराने नहीं आया हूं। मैं उनका ध्यान किसानों की दुर्दशा और बढ़ते भ्रष्टाचार की ओर दिलाने आया हूं। हॉकी खिलाड़ी ओलंपियन दिवंगत मोहम्मद शाहिद की बेटी हिना शाहिद भी मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। उनका कहना है कि वह संसद इसलिए जाना चाहती हैं ताकि वह महिलाओं का मुद्दा उठा सकें। उन्होंने कहाöमैं जानती हूं कि मैं मोदी को नहीं हरा सकती, लेकिन किसी को इसलिए घर नहीं बैठना चाहिए कि वह (मोदी) एक मजबूत उम्मीदवार हैं। सपा और कांग्रेस प्रत्याशी सहित 26 उम्मीदवार मैदान में हैं। बीएसएफ से बर्खास्त तेज बहादुर फौजी का पर्चा खारिज होने के बाद अब सपा से पहले पर्चा भरने वाली शालिनी यादव और कांग्रेस के पूर्व विधायक विनय राय मैदान में हैं। 2014 में मोदी को 5,81,022 वोट मिले। उनके खिलाफ नोटा को मिलाकर 4,49,663 वोट पड़े थे। कांग्रेस से तब भी अजय राय ही थे और उन्हें मात्र 75,614 वोट मिले थे जबकि दूसरे नम्बर पर रहे आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल को 2,09,000 वोट मिले थे। इस बार कांग्रेस और सपा में से किसी एक को करीब तीन लाख मुसलमान वोटर ज्यादा दमदार बनाएंगे। यह नम्बर दो की लड़ाई दिलचस्प होगी। वाराणसी में असल लड़ाई मोदी बनाम मोदी है, देखना यह होगा इस बार मोदी कितनी वोटों से जीतते हैं? यह भी देखना दिलचस्प होगा कि महागठबंधन उम्मीदवार शालिनी यादव कितने वोट काट सकती हैं? जहां तक कांग्रेस के अजय राय का सवाल है, हमें नहीं लगता कि वह कोई सम्मानजनक वोट भी पा सकेंगे। कुछ दिन तक बर्खास्त फौजी तेज बहादुर का मामला मीडिया में चला था पर मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने को उतरे 102 दावेदारों में से जिन 71 के पर्चे दाखिल हुए, उनमें तेज बहादुर भी शामिल थे। अगर तेज बहादुर खड़े रहते तो माहौल कुछ  बनता अब तो पीएम को वॉकओवर मिलेगा।

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