Thursday, 30 May 2019

मध्यपदेश की कमलनाथ सरकार पर मंडरा रहे काले बादल

आम चुनावों के नतीजों ने मध्यपदेश में कांग्रेस की सरकार को संकट में डाल दिया है। दरअसल काफी समय से राजनीति के गलियारों में चर्चा जोरों पर थी कि केन्द्र में अगर नरेन्द्र मोदी की सरकार दोबारा आई तो मध्यपदेश की कांग्रेस की सरकार का अल्पमत में जाना तय है। नवम्बर 2018 में हुए मध्यपदेश विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को अपने दमखम पर बहुमत नहीं मिला था। 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 114 और भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। बहुमत के लिए 116 के आंकड़े की जरूरत थी तब चार निर्दलीय, बसपा के दो और सपा के एक विधायक ने कांग्रेस को समर्थन देकर सरकार बनाने की राह आसान की। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया है कि लोकसभा में कांग्रेस की भारी हार को देखते हुए मुख्यमंत्री को इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए, शिवराज ने कहा कि कमलनाथ ने ये निर्देश दिए थे कि अगर उनके मंत्री के किसी क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार (आम चुनाव) हारा तो संबंधित मंत्री को उसके पास अपना इस्तीफा लेकर आना पड़ेगा। अब भारी पराजय के कारण अब तो उन्हें खुद ही पद छोड़ देना चाहिए। क्योंकि राज्य के दो-चार लोकसभा क्षेत्रों में हारते तो कमलनाथ अपने संबंधित मंत्रियों से इस्तीफा ले सकते थे। लेकिन अब कांग्रेस पत्याशी पूरे पदेश में हार गए हैं तो इसकी जिम्मेदारी तो खुद कमलनाथ को लेनी चाहिए। लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद पहली बार कांग्रेस विधायक दल की रविवार को हुई बैठक में सरकार की स्थिरता को लेकर चिंतन हुआ। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सुबह कैबिनेट की अनौपचारिक बैठक के बाद शाम को विधायकों के साथ भाजपा के अल्पमत की सरकार के आरोपों की चर्चा की। उन्होंने दो टूक कहा कि मेरी सरकार को लंगड़ी-लूली तो कभी अल्पमत तो कभी कमजोर बताया जा रहा है। आप लोगों ने मुझे विधायक दल का नेता चुना, मुख्यमंत्री बनाया, अब आप निर्णय करें कि क्या मैं कुर्सी छोड़ दूं? इस पर निर्दलीय, सपा, बसपा और कांग्रेस के सभी विधायकों ने एकजुट होकर कहा कि हमें आप पर पूरा भरोसा है। आप चाहें तो विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करा लें। राज्यपाल के यहां परेड के लिए भी हम तैयार हैं। कमलनाथ सरकार के कैबिनेट मंत्री पद्युमन सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी अब कांग्रेस विधायकों को खींचने की कोशिश कर रही है। विधायकों को 50 करोड़ रुपए का ऑफर दिया जा रहा है, लेकिन हमारा कोई साथी बिकने वाला नहीं है। कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि भाजपा मध्यपदेश की कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। आने वाले दिनों में कमलनाथ सरकार के भविष्य का पता चलेगा। फिलहाल तो उनकी सरकार पर काले बादल छाए हुए हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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