Wednesday 8 May 2019

राजनीति में गिरावट की पराकाष्ठा

यह तो इंतहा होती जा रही है। चुनाव प्रचार के दौरान आरोप-प्रत्यारोप तो लगते ही रहते हैं पर मामला मां-बाप तक जाए, यह किसी सभ्य समाज को शायद ही स्वीकार हो। वह भी जब आप ऐसे व्यक्ति के बारे में इतनी घटिया टिप्पणी करें जो अब इस दुनिया में न हो और जिसने देश की खातिर जान दी हो। मैं बात कर रहा हूं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वर्गीय राजीव गांधी के बारे में टिप्पणी करने की। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण से एक दिन पहले मोदी ने प्रताप गढ़ की चुनावी रैली में बोफोर्स घोटाले की तरफ इशारा करते हुए राजीव गांधी पर बिना नाम लिए हमला बोला था। मोदी ने कहा थाöआपके (राहुल गांधी) पिताजी को आपके दरबारियों ने गाजे-बाजे के साथ मिस्टर क्लीन बना दिया था। लेकिन देखते ही देखते भ्रष्टाचारी नम्बर वन के रूप में उनका जीवनकाल समाप्त हो गया। नामदार यह अहंकार आपको खा जाएगा। यह देश गलतियां माफ करता है, मगर धोखेबाजों को कभी माफ नहीं करता। मुझे प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर निराशा भी हुई और अफसोस भी हुआ। मुझे मालूम है कि राजीव गांधी वीपी सिंह के इन निराधार आरोपों से कितने आहत थे। मुझे कई बार उनके दर्द का अहसास भी हुआ। वह निर्दोष थे और देश की अदालतों ने उन्हें क्लीन चिट भी दे दी थी। इसी बोफोर्स गन ने हमें कारगिल जंग जिताई और आज भी सरहदों पर दुश्मन के सारे हमलों का तगड़ा जवाब दे रही है। यह मेरा सौभाग्य था कि राजीव जी मुझे अपना मित्र मानते थे और मेरी कई याददशात हैं जिन्हें मैं आज भी याद करके उनकी महानता का स्मरण करता हूं। जब मैंने मोदी की यह टिप्पणी सुनी तो मुझ से रहा नहीं गया और मैंने ट्विटर और फेसबुक पर उनकी इस घटिया टिप्पणी पर कमेंट भी किया। मैंने लिखा था `यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के बारे में टीका-टिप्पणी की जाए खासकर उसके बारे में जो इस दुनिया में नहीं। हमारे गिरते स्तर को दर्शाता है। राजीव जी की बहुत इज्जत है इससे कांग्रेस को उलटा लाभ भी हो सकता है।' मेरे फेसबुक वॉल पर यह लिखने से बहुत से मित्रों के कमेंट आए। इनमें से कुछ को मैं यहां बताना चाहता हूं ताकि आपको भी पता चले कि आज भी राजीव जी की बहुत इज्जत है लोगों में। एक पाठक ने लिखाöबिल्कुल ठीक कहा आपने। मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं। राजनीति का नैतिक स्तर गर्त से भी नीचे जा रहा है, बहुत दुखद है। सकारात्मक दृष्टिकोण ही देश को बचा सकता है। शीर्ष स्तर पर बैठे पत्रकारों और संपादकों को यह निर्णय ले लेना चाहिए। राजनीतिज्ञों को आपने मजबूत किया है। आईना भी आप ही दिखा सकते हैं। एक पाठक की टिप्पणी थीöभाई साहब बहुत ही निम्न स्तर पर आ गए हैं। एक अन्य पाठक ने लिखाöसत्ता के लिए भूतकाल में जी रहे हैं वर्तमान में सरकार ने पांच साल क्या किया वो नहीं बता रहे, ओछी राजनीति करने पर उतारू हैं। एक ने लिखा कि दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी राजनीति से धिक्कर है, सही कहा सर आपने, वोट की चाह में किसी को भी कुछ भी कह सकते हैं। कनाडा के एक मित्र ने लिखा कि पहली बार इतिहास में यह देख रहे हैं कि किसी प्रधानमंत्री ने राजीव गांधी के बारे में ऐसे घटिया अंदाज में टीका-टिप्पणी की हो। आपकी लड़ाई कांग्रेस पार्टी से है न कि राजीव गांधी, राहुल और प्रियंका से। शेम ऑन यू। एक अन्य मित्र ने लिखा कि सत्ता चरस है सही कहा गया है, इसका नशा ही है कि आज पीएम ऐसे बयान दे रहे हैं और अपने पद की गरिमा को गिरा रहे हैं। एक करीबी मित्र ने लिखा कि सर जब रास्ते से गुजर रही किसी की भी शवयात्रा को अपने मन से प्रणाम करते हैं और मन से ही उसकी आत्मा को शांति मिले ऐसा सोचते हैं तो फिर हिन्दुस्तान की सत्ता के शीर्ष स्थान पर बैठे लोग ही इस तरह की अभद्र भाषा का इस्तेमाल करेंगे तो यह उनकी मानसिकता को दर्शाता है। इन लोगों ने उनकी एवं उनके परिवार के द्वारा दी गई देश के प्रति कुर्बानियों को भी भुला कर केवल सत्ता की लोलुपता ही दिखाई दे रही है। बहुत शर्म की बात है। सर राजीव जी आपके परम मित्र थे। वीर अर्जुन के कार्यक्रमों में भी वो आते थे। एक ने लिखा कि राजनीति से ऊपर स्थान है राजीव गांधी जी का... रही राजनीति की बात आज राजनीति का अर्थ है... सब जानते हैं सर। अंत में एक मित्र ने लिखाöमोदी का घटिया बयान उनका सबसे बड़ा और घटिया झूठ है। यह उनके चुनाव में हारने की हताशा का प्रमाण है। जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब ही न्यायालय ने अपने निर्णय में साफ-साफ कहा था कि राजीव गांधी बिल्कुल निर्दोष हैं। किस हद तक कोई राजनीति में गिर सकता है, यह मोदी ने दिखा ही दिया। मोदी है तो मुमकिन है। वैसे तो और बहुत कमेंट्स आए हैं कुछ का जिक्र किया है। मुझे आज भी वह मनहूस दिन याद है  जब पेरुम्बदूर से खबर आई थी कि राजीव जी की हत्या कर दी गई है। दिल्ली की सड़कों पर सन्नाटा छा गया था। लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि राजीव जी अब हमारे बीच नहीं रहे।

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