Saturday, 18 May 2019

आखिरी चरण में सभी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है

एक महीने से अधिक चले चुनावी सफर का अंतिम चरण क्या एक्स फैक्टर बनेगा? आखिरी चरण यानि 19 मई को बिहार की आठ सीट, चंडीगढ़ की एक सीट, हिमाचल की चारों सीटों, पंजाब की सारी 13 सीटों, यूपी की 13 सीटों, पश्चिम बंगाल की नौ सीटों और झारखंड की तीन सीटों पर मतदान होगा। इसमें किस राजनीतिक दल का क्या दांव पर होगा? 19 मई को होने वाले अंतिम चरण के चुनाव से पहले यही सवाल पूछे जा रहे हैं। 11 अप्रैल से शुरू हुए आम चुनाव 19 तारीख को 58 सीटों पर वोटिंग के साथ खत्म हो जाएगा। अंतिम लड़ाई कितनी अहम है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि लंबी थकान वाले चुनावी अभियान के बावजूद सभी दलों ने अपनी रैलियों की संख्या बढ़ा दी है। भाजपा के लिए इन सीटों पर सबसे अधिक चुनौती है। 2014 में बिहार, उत्तर प्रदेश और हिमाचल की इन सीटों पर जो भाजपा का गढ़ माना जाता है उसके  लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन गई है। चंडीगढ़ की एक मात्र सीट पर भी कमल खिला था। मध्यप्रदेश और झारखंड की सभी सीटें भाजपा को मिली थीं। पार्टी के सामने अपने इन इलाकों को बचाने के साथ पश्चिम बंगाल में नौ सीटों पर खाता खोलने की भी चुनौती है। उसने इस बार सबसे अधिक मेहनत इसी राजय में की है। उत्तर प्रदेश की जिन 13 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें वाराणसी भी है, जहां से  पीएम मोदी खड़े हैं। वाराणसी को छोड़कर बाकी जगह कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। पूर्वांचल में महागठबंधन को बेहद उम्मीद है। दरअसल 2014 में इन 13 में से 10 जगह सपा-बसपा को मिले वोट भाजपा से ज्यादा हैं। इसी चरण में गोरखपुर में वोटिंग है जहां सबसे पहले महागठबंधन का प्रयोग सफल हुआ था। कांग्रेस को सुधार की उम्मीद है। कांग्रेस अंतिम चरण में खासकर मध्यप्रदेश और पंजाब में बेहतर करना चाहेगी। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में उसे अधिकतम बढ़त की उम्मीद है। पार्टी बिहार की दो सीटों और चंडीगढ़ भाजपा से छीनने की कोशिश में लगी है। सभी दल वोटिंग पर नजर रखेंगे। वोटिंग प्रतिशत पर नजर रखने के दो कारण हैं। चुनाव वाले अधिकतर इलाकों में कुछ दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही है। फिर रमजान का महीना भी शुरू हो गया है। 12 मई को छठे चरण में कई मुस्लिम इलाकों में अपेक्षाकृत कम मतदान हुआ था। अब तक का ट्रेंड देखें तो वोटिंग अपेक्षित कम ही रही है। पश्चिम बंगाल में मतदान का प्रतिशत बढ़ा है, जबकि यूपी, बिहार जैसे राज्यों में वोटिंग अपेक्षाकृत कम हुई है।

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