Tuesday, 28 May 2019

दिल्ली की इस वोटिंग से निकलते विधानसभा चुनाव के नतीजे तो...

लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के आधार पर अगर दिल्ली में विधानसभा सीटों पर हार-जीत के आंकड़े को देखें तो भाजपा की 70 में से 65 सीटों में पहले नम्बर पर रही और यह सीटें भाजपा के खाते में जा रही हैं। वहीं कांग्रेस ने पांच विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई है और मौजूदा लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर आम आदमी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल रही है। आप किसी भी विधानसभा सीट पर पहले नम्बर पर नहीं आई है। जहां तक नम्बर दो की बात है तो कांग्रेस 42 और आम आदमी पार्टी 23 विधानसभा सीटों पर दूसरे नम्बर पर है। हालांकि आम आदमी पार्टी का साफ कहना है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव बिल्कुल अलग-अलग मुद्दों पर लड़े जाते हैं और लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर विधानसभा चुनावों के नतीजे नहीं निकाले जाते हैं। लोकसभा चुनाव परिणाम भी दर्शाते हैं कि इस बार मुस्लिम बहुल इलाकों में भाजपा को रफ्तार में वोट मिले। मुस्लिम बहुल तीन विधानसभा सीटें तो ऐसी हैं, जहां इस बार भाजपा ने जीत का परचम लहराया है। राजधानी की तीन लोकसभा सीटों की करीब 10 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या बाकी वोटरों से अधिक है। इनमें चांदनी चौक लोकसभा से बल्लीमारान, चांदनी चौक, मटिया महल, सदर बाजार, ईस्ट दिल्ली से ओखला व गांधी नगर तो नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट की बाबरपुर, सीलमपुर, मुस्तफाबाद व सीमापुरी ऐसी विधानसभाएं हैं, जहां मुस्लिम वोटर भारी तादाद में हैं। विशेष बात यह रही कि इन मुस्लिम बहुल सीटों पर इस बार भाजपा को पिछले लोकसभा चुनाव से ज्यादा वोट मिले हैं। लोकसभा चुनावों से पहले अगर दिल्ली में आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो भी जाता तो भी भाजपा ही सातों सीटों पर जीत दर्ज करती। भाजपा को कुल 56.6 प्रतिशत वोट मिले, जो कांग्रेस 22.5 प्रतिशत और आप 18.1 प्रतिशत की कुल वोट के कुल वोट 40.6 प्रतिशत से ज्यादा है। वहीं 2014 में भाजपा ने 46.4 प्रतिशत वोट लेकर सातों सीटें जीती थीं। प्रदेश कांग्रेस दिल्ली लोकसभा चुनाव में भाजपा से सातों सीट हार गई लेकिन परिणामों ने पार्टी के लिए संजीवनी का काम किया है। आम आदमी पार्टी की तुलना में कांग्रेस काफी बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रही। कांग्रेस को कुल 22.5 प्रतिशत मत प्राप्त हुए। आम आदमी पार्टी को मात्र 18 प्रतिशत मत ही प्राप्त हो सके। कांग्रेस चार वर्ष बाद दूसरे नम्बर की पार्टी बनकर उभरी व भाजपा से सीधी टक्कर लेने में सफल रही। शीला दीक्षित बेशक खुद हार गईं पर उनका यह विचार कि कांग्रेस को अकेला लड़ना चाहिए सफल हुआ। रही बात आम आदमी पार्टी की तो आम आदमी पार्टी का वोट बैंक मुस्लिम वोट और कलस्टर वोट भी खिसकता नजर आ रहा है। इस चुनाव में आप को झुग्गी-झोंपड़ी से भी ज्यादा वोट नहीं मिले। सातों संसदीय क्षेत्रों के 70 विधानसभा क्षेत्रों में आने वाले ज्यादातर जेजे कलस्टर ने भी प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट दिए। अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव की स्टेज सज चुकी है। देखना यह होगा कि क्या आप पार्टी अपनी स्थिति बरकरार रख सकती है या नहीं? मुकाबला कड़ा हो गया है। दोनों भाजपा और कांग्रेस परिणामों से उत्साहित हैं।

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