Friday, 10 May 2019

दो सियासी घरानों में बादशाहत की जंग

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर बसा आईटी सेक्टर का गढ़ गुरुग्राम प्रति व्यक्ति आय में चंडीगढ़ और मुंबई के बाद तीसरे नम्बर पर आता है। हरियाणा को अपने इस शहर पर बेहद गुमान है। गुरुग्राम एक ऐसा गलियारा बन चुका है जिसका रास्ता देश-दुनिया के कई बड़े शहरों तक पहुंचता है। यहां गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों को शिक्षा दी थी। जिसके बाद युधिष्ठिर ने अपने गुरु द्रोणाचार्य को गुरुग्राम उपहार में दिया था। नाम भले ही बदल गया हो लेकिन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में गुरुग्राम का नाम अब भी गुड़गांव ही दर्ज है। भाजपा ने एक बार फिर केंद्रीय राज्यमंत्री राव इन्द्रजीत सिंह को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने चार बार से सांसद राव इन्द्रजीत को चुनौती देने के लिए पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। इनेलो ने उद्योगपति वीरेन्द्र राणा को टिकट दिया है तो वहीं जननायक जनता पार्टी ने आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन के बाद सोशल इंटरप्रिन्योर डॉ. महमूद खान पर दांव खेला है। राव इन्द्रजीत 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। वह पिछले साल से मोदी सरकार में मंत्री हैं। भाजपा को राव की साफ छवि से जीत की पूरी आस है। वहीं कैप्टन अजय सिंह यादव राजद नेता लालू प्रसाद यादव के समधी हैं और रेवाड़ी से छह बार विधायक और हरियाणा के बिजली और वित्तमंत्री भी रह चुके हैं। 2009 के परिसीमन के बाद अभी तक सिर्प दो चुनाव हुए हैं। 2014 के चुनाव में राव ने मोदी लहर पर सवार होकर उम्मीदवार जाकिर हुसैन को दो लाख, 74 हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। दोनों लोकसभा चुनावों से साफ पता लगता है कि इस सीट पर जातीय समीकरण और शहरी मतदाताओं का दबदबा है। मेवात इलाके की तीन सीटों पर मेव प्रत्याशी का दबदबा रहा है तो वहीं रेवाड़ी जिले की दो विधानसभा सीटों (रेवाड़ी और बावल) और गुरुग्राम जिले की तीन विधानसभा सीटों (गुरुग्राम, बादशाहपुर व पटौदी) पर अहीर मतदाताओं की संख्या अधिक है। 2009 में कांग्रेस व 2014 में भाजपा की टिकट पर लड़ने वाले राव इन्द्रजीत सिंह को अहीरों संग शहरी वोटरों का समर्थन मिला। अहीरवाल क्षेत्र की इस सीट पर मतदाताओं पर मोदी फैक्टर काम कर रहा है, जिन्हें राव इन्द्रजीत से नाराजगी भी है वह भी वोट मोदी को देंगे। भाजपा को उम्मीद है कि राव इन्द्रजीत सिंह इस बार भी बड़ी जीत दर्ज करेंगे तो वहीं कांग्रेस मेव मतों के अपने पक्ष में आने की आस लगाए बैठी है। यहां सैनिक और पूर्व सैनिकों की वोटरों की काफी तादाद है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के चलते पूर्व सैनिकों का झुकाव भाजपा की तरफ है तो वहीं कांग्रेस बेरोजगारी, जीएसटी, नोटबंदी, किसानों की समस्या जैसे मुद्दे उठा रही है, वह 2014 के मुकाबले यह चुनाव काफी अलग हैं, यह बात राव इन्द्रजीत सिंह भी समझ रहे हैं। देखें, ऊंट किस करवट बैठता है।
-अनिल नरेन्द्र


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