Wednesday 15 May 2019

दिल्ली में राष्ट्रवाद और रोजगार के मुद्दे पर वोट पड़े

दिल्ली में रविवार को मतदाताओं ने दोपहर में दिखाया उत्साह, सुबह-शाम रहे सुस्त। वैसे तो दिल्ली में दिनभर वोट बरसा पर 2014 के मुकाबले (65.09 पतिशत) से 2019 में कम (60.27 पतिशत) वोट ही पड़ा। शुरुआती दो घंटे में दिल्ली के 8 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का पयोग किया, दिन चढ़ते थोड़ी बढ़ोतरी हुई और आखिरी घंटे में मतदान में छह फीसदी इजाफा हुआ। रमजान का असर सुबह दिखा। मुस्लिम बहुल इलाकों में असली रौंनक 11 बजे के बाद ही देखने को मिली। चांदनी चौक, मटिया महल और बल्लीमारान में सुबह की वोटिंग में रमजान का असर नजर आया। पॉश इलाकों में मिला-जुला उत्साह दिखा। शालीमार बाग, माडल टॉउन, अशोक विहार समेत कई जगह मतदान केन्द्राsं में दोपहर बाद अच्छी वोटिंग हुई। साउथ दिल्ली में वोटिंग के लिए इस बार भी लोग घरों से नहीं निकले। ज्यादातर इलाकों में सुबह 10 बजे तक 15 से 20 पतिशत वोटिंग हुई। गांव-देहात और बस्तियों वाले इलाकें में दोपहर तक चहल-पहल fिदखी। राजधानी में बिजली, पानी, शिक्षा, महंगाई जैसे मुद्दों पर राष्ट्रवाद और रोजगार का मुद्दा हावी रहा। दिल्ली में हर वर्ग और उम्र के लोगों ने राष्ट्रवाद और रोजगार को ध्यान में रखकर अपने पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया। हालांकि कुछ लोगों ने बिजली, पानी, शिक्षा, सरकारी स्कूलों में सुविधाएं व निजी स्कूलों में फीस को ध्यान में रखकर वोट डाला। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के लोकसभा क्षेत्र पल्ला बख्तावरपुर में मतदान के बाद एक 50 वर्षीय वोटर ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रवाद को ध्यान में रखकर वोट दिया। उन्होंने कहा कि मतदान करते वक्त उनके जहन में सिर्प और सिर्प देश की सुरक्षा का ख्याल रहा। वहीं दक्षिण दिल्ली के एक मतदाता ने वोट डालने के बाद कहा कि हमें यह सरकार हटानी है हर कीमत पर। चांदनी चौक क्षेत्र के दरियागंज में मतदान करने के बाद एक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने रोजगार को ध्यान में रखकर वोट किया है। उन्होंने कहा कि आज चारों तरफ बेरोजगारी है। रेहड़ी-पटरी वालों को भगाया जा रहा है। आखिर यह छोटे कारोबारी जाएं तो जाएं कहां? उन्होंने कहा कि ऐसी सरकार बनाने के लिए मतदान किया है जो सबको रोजगार का अवसर मुहैया करवा सके। यह हमारी सबसे बड़ी जरूरत है। एक मतदाता का कहना था कि देश की तरक्की के लिए मतदान किया है। देश को सुरक्षित रखने के साथ-साथ देश की तरक्की को भी ध्यान में रखें। कुल मिलाकर लगता है कि दिल्ली का वोटर घर से मन बनाकर आया था कि उसने किसको वोट देना है।
-अनिल नरेन्द्र
�िर अपनी पसंद के अनुरूप अपना मत देती है। लोकतंत्र का महोत्सव जारी है, पिक्चर अभी बाकी है दोस्त।

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