Wednesday 8 May 2019

गुर्जर-जाट-पूर्वांचली वोटरों के हाथ में है जीत की पुंजी

दक्षिणी दिल्ली की लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। भाजपा ने रमेश बिधूड़ी को एक बार फिर मौका दिया है। कांग्रेस ने बॉक्सर विजेंद्र सिंह को और आम आदमी पार्टी ने राघव चड्ढा को मैदान में उतारा है। बिधूड़ी तीनों उम्मीदवारों में से सबसे अनुभवी हैं। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट व लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़े राघव चड्ढा पंजाबी हैं। भाजपा-कांग्रेस की तुलना में राघव ने अपना प्रचार पांच महीने पहले से ही शुरू कर दिया था। वह पूर्वांचलियों में काफी हद तक यह बात फैलाने में कामयाब हो रहे हैं कि बिधूड़ी उन्हें नहीं चाहते। रमेश बिधूड़ी का कहना है कि जनता एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रही है। हमारा लक्ष्य यह है कि इस बार जीत का अंतर पिछले चुनाव से दोगुना हो। वहीं राघव चड्ढा का कहना है कि मैं विजेंद्र का राजनीति में स्वागत करता हूं क्योंकि युवाओं को राजनीति में आना चाहिए। लेकिन वह एक गलत पार्टी से राजनीति में आ गए हैं। विजेंद्र कहते हैंöप्रियंका गांधी की सादगी से मैं बहुत प्रभावित हूं, जिस तरह वह बात करती हैं, जिस तरह वह चलती हैं, उनमें मुझे इंदिरा गांधी की छवि नजर आती है। भिवानी, हरियाणी के जाट समुदाय और विख्यात बॉक्सर विजेंद्र सिंह वसंतपुंज में रहते हैं। वह अपने प्रतिस्पर्धियों का भी नाम अपने अभियान में इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। वह अभियान के दौरान ठेठ देसी ग्रामीण लहजे में लोगों से बात करते हैं। वह जीवन स्तर को उठाने, स्वास्थ्य व शिक्षा सुविधाओं, पानी को मुद्दा बना रहे हैं। रमेश बिधूड़ी अपनी जनसभाओं में मेट्रो के फेज-चार को मंजूर कराने, हर घर तक पानी पहुंचाने, सीवर सुविधा, स्कूल-कॉलेज खोलने और मल्टी स्पेशयलिटी अस्पताल खोलने की चर्चा वह अपने भाषणों में कर रहे हैं। छत्तरपुर के बड़े-बड़े फार्म हाउस के साथ पॉश इलाके वसंतपुंज में अधिकतर लोगों का एक ही फंडा हैöदिल्ली में केजरीवाल और केंद्र में मोदी सरकार। क्षेत्र की 50 प्रतिशत आबादी अवैध कॉलोनियों में, 10 प्रतिशत पुनर्वास कॉलोनियों में, पांच प्रतिशत नियोजित कॉलोनियों में व 35 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में रहती है। इस क्षेत्र की कुल कॉलोनियों में जाटों व गुर्जरों की बड़ी आबादी है। इसके अलावा अवैध कॉलोनियों में यूपी-बिहार के प्रवासी यानि पूर्वांचली बड़ी संख्या में रहते हैं। यह तीनों इस इलाके में चुनाव में निर्णायक स्थिति में हैं। इनका वोट भी एक-तिहाई है। यहां जातियों का वोटिंग पैटर्न में खासा असर दिखाई देता है।

-अनिल नरेन्द्र

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