उत्तर
प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह का मुकाबला कांग्रेस के
आचार्य प्रमोद कृष्णम और सपा-बसपा के उम्मीदवार पूनम सिन्हा से होगा। दिलचस्प बात यह है कि पूनम सिन्हा
समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करते ही लखनऊ सीट से खड़ी हो गईं। ऐसे में सवाल उठता
है कि क्या इस त्रिकोणीय मुकाबले में कोई उलटफेर हो सकता है? लखनऊ एक ऐसी सीट है जिसे भाजपा का गढ़ माना जाता है। साल 1991 से अटल बिहारी वाजपेयी की धमाकेदार जीत के बाद से बीते लोकसभा चुनाव में राजनाथ
सिंह की शानदार जीत तक यह सीट भाजपा के खाते में ही रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल
बिहारी वाजपेयी इस सीट से पांच बार सांसद बने। इसके बाद 2009 के चुनाव में लखनऊ की जनता
ने लालजी टंडन को चुनकर संसद में भेजा। पिछले लोकसभा (2014) चुनाव
में भी राजनाथ सिंह ने कांग्रेस की उम्मीदवार रीता बहुगुणा जोशी को दो लाख
72 हजार मतों से हराया था। लेकिन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव
ने हाल में कहा था कि सपा-बसपा गठबंधन लखनऊ में एक मजबूत उम्मीदवार
उतार रही है। जोधा अकबर जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं पूनम सिन्हा ने इससे पहले कोई
भी चुनाव नहीं लड़ा है। लखनऊ की आबादी में 10 प्रतिशत कायस्थ
हैं। इस वर्ग में चार प्रतिशत हिस्सा सिंधी समुदाय का है। पूनम सिन्हा हैदराबाद के
सिंधी समुदाय से आती हैं और शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी हैं। ऐसे में सपा पूनम सिन्हा
की उम्मीदवारी की बदौलत लखनऊ में कायस्थ और सिंधी मतदाताओं के बीच पैर जमाने की कोशिश
करती हुई दिख रही हैं। इससे पहले के चुनावों में सपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है।
पूनम सिन्हा को उम्मीदवार बनाकर सपा-बसपा ने एक तरह से राजनाथ
सिंह की मदद की है, क्योंकि 10 प्रतिशत
मतों के लिए किसी को बाहर से लाकर उम्मीदवार बना देना एक तरह से चुनावी जंग से पहले
ही हार मान लेना जैसा है। रही बात कांग्रेस के उम्मीदवार आचार्य प्रमोद कृष्णम की तो
वह एक धार्मिक उपदेशक के रूप में पहचाने जाते हैं। ऐसे में सवाल जरूर उठता है कि राहुल
गांधी ने लखनऊ जैसी अहम सीट के लिए प्रमोद कृष्णम को क्यों चुना? बीते लोकसभा चुनाव में हार के बाद रीता बहुगुणा जोशी भाजपा में शामिल हो गई
हैं। ऐसे में कांग्रेस के पास एक तरह से मजबूत उम्मीदवार की कमी थी, लेकिन इसके बाद भी लखनऊ में कांग्रेस काडर में तमाम ऐसे नेता हैं जिन पर भरोसा
किया जा सकता था। लेकिन बावजूद कांग्रेस ने एक धर्मगुरु की पहचान वाले शख्स को अपना
टिकट दिया। हमें लगता है कि लखनऊ सीट पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह की जीत लगभग पक्की लगती
है। वह मिलनसार, मृदुभाषी हैं और लखनऊ में उनका जनसम्पर्प अच्छा
है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के कारण वह स्थानीय नेताओं और मतदाताओं से जुड़े
रहे हैं। राजनाथ सिंह को लखनऊ से वाकओवर मिलना तय है।
-अनिल नरेन्द्र
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