मध्यप्रदेश में 12 मई के छठे
चरण के तहत लोकसभा की आठ सीटों के लिए मतदान होगा। कांग्रेस को 2014 के लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर सिर्प एक सीट मिली थी। छठे चरण में भोपाल,
गुना, मुरैना, ग्वालियर,
भिंड, सागर, राजगढ़ और विदिशा
सीट पर मतदान होगा। हर किसी की निगाहें भोपाल (सामान्य)
लोकसभा सीट पर टिकी हैं जो देश की राजनीतिक दिशा और दशा के लिए बेहद
महत्वपूर्ण है। कल तक जो भगवा भाजपा का पेटेंट था आज कांग्रेस भी उसी रंग में रंगा
नजर आ रहा है। गुना (सामान्य) सीट से कांग्रेस
और सिंधिया परिवार के मुखिया ज्योतिरादित्य पिछले चार बार से जीतते आ रहे हैं। इनसे
पहले स्वर्गीय माधव राव सिंधिया और भाजपा की पार्टी संस्थापक विजया राजे सिंधिया यहां
से सांसद रहे। 1999 से इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा है। सिंधिया
परिवार के लिए अपराजेय इस सीट पर इस बार मुकाबला सिंधिया और भाजपा के नए प्रत्याशी
डॉ. केपी यादव के बीच है। चूंकि यह ज्योतिरादित्य का गढ़ रहा
है इस]िलए उन्हें यहां से हराना लगभग असंभव है। मुरैना (सामान्य)
लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश और राजस्थान सीमा से लगी है। सात बार भाजपा,
दो बार कांग्रेस, एक-एक बार
जनसंघ, भारतीय लोक दल और निर्दलीय चुनाव जीते हैं। यहां सीधा
मुकाबला भाजपा के केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और बीते विधानसभा चुनाव हारे
कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत में है। बसपा भी यहां ठीक-ठीक स्थिति में है जिससे गुर्जर जाति के करतार सिंह भड़ाना सामने हैं। बसपा
किसका समीकरण बिगाड़ेगी देखना दिलचस्प होगा। हालांकि मुख्य मुकाला भाजपा और कांग्रेस
में है। विदिशा (सामान्य) मध्यप्रदेश में
सबसे हाई-प्रोफाइल सीट हुआ करती थी। अटल जी, सुषमा स्वराज, रामनाथ गोयनका, शिवराज
सिंह जैसे दिग्गजों ने
यहां प्रतिनिधित्व किया। लेकिन इस बार नए व सीधे सरल स्वभाव के रमाकांत भार्गव को भाजपा
का टिकट मिला जो जिला सहकारी बैंक और एपेक्स बैंक के अध्यक्ष हैं, जिनके ब्राह्मण होने से जातिगत समीकरण बिठाने की कोशिश भी लगती है। कांग्रेस
ने अपने कद्दावर नेता पूर्व विधायक शैलेन्द्र पटेल को खड़ा किया है। इस बार भिंड (अनुसूचित जाति) लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने एकाएक सुर्खियों
में आए युवा देवाशीष जटारिया को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने पूर्व नौकरशाह और
मौजूदा सांसद भागीरथ प्रसाद का टिकट काट कर मुरैना के दिमनी की पूर्व विधायक संध्या
राय पर दांव खेल कर सबको चौंका दिया है। इतिहास में झांकें तो आठ बार भाजपा तो केवल
तीन बार कांग्रेस यहां परचम लहरा सकी है। ग्वालियर (सामान्य)
सीट पर भी भाजपा ने मौजूदा सांसद व केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर
का टिकट काट कर यहीं से मेयर विवेक नारायण रोजवलकर को मैदान में उतार मराठा मतदाताओं
को साफ सुमित्रा महाजन की भरपाई की कोशिश की है। कांग्रेस ने तीन बार से लगातार हार
का सामना कर रहे अशोक सिंह को टिकट दिया है। 2014 की मोदी लहर
के बावजूद भाजपा यहां से महज 29,600 मतों से जीत पाई थी। मध्यप्रदेश
के तीसरे चरण में जहां भोपाल सबसे अलग रंग में है वहीं तीन अन्य सीटें अब भी हाई-प्रोफाइल हैं। कुल मिलाकर छह में नाक की लड़ाई तो दो में प्रभाव के दमखम पर
मुहर 12 मई को लग जाएगी जो देखने लायक होगी।
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