Saturday, 21 December 2019

आखिर इतने दिन बाद सरकार को विज्ञापन क्यों देना पड़ा?

तारीख 18 दिसम्बर 2019 स्थान रांची। गृहमंत्री अमित शाह कहते हैंöदुनिया में कोई देश ऐसा नहीं है, जहां कोई भी जाकर बस सकता है। देश के नागरिकों का रजिस्टर होगा, यह समय की जरूरत है। हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र में देश की जनता से वादा किया है। न केवल असम बल्कि देशभर के अंदर हम एनआरसी को लेकर आएंगे। एनआरसी के अलावा देश में जो भी लोग हैं, उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत बाहर किया जाएगा। यह पहली दफा नहीं है, जब अमित शाह ने यह बात कही हो। वह इससे पहले भी कई जगहों और मौकों पर पूरे दम-खम से देशभर में एनआरसी लागू करने की अपनी सरकार और पार्टी की प्रतिबद्धता को जताते रहे हैं। वो हमेशा जोर देकर सरकार के इस कार्यकाल में पूरे देश में एनआरसी को लागू करने की बात करते हैं, लेकिन एनआरसी और नागरिकता कानून को लेकर आज देशभर में आग लगी हुई है और धरना-प्रदर्शन, गोली व लाठीचार्ज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट की सख्त फटकार के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को पहली बार वास्तविक शर्तों को स्पष्ट करने के लिए अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाए और अपनी स्थिति फिर से स्पष्ट की। सरकार को यह काम बहुत पहले करना चाहिए था। आज पूरे देश में इसको लेकर आग लगी हुई है। विज्ञापन में लिखा हैöअधिनियम से जुड़ी कई प्रकार की अफवाहें और गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं, लेकिन यह किसी भी तरह से सच नहीं हैं। इसके बाद तीन बिन्दुओं में अफवाहों और उनके बारे में सच क्या है, इसका जिक्र किया गया है। पहले दो बिन्दुओं पर सरकार ने स्पष्ट किया है कि सीएए किसी भारतीय नागरिक को, चाहे वो मुसलमान ही क्यों न हो, प्रभावित नहीं करता है। यह तर्प पहले भी सरकार और गृहमंत्री अमित शाह देते आए हैं, लेकिन विज्ञापन का तीसरा बिन्दु लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। तीसरा बिन्दु कुछ इस तरह हैöअफवाह-ऐसे दस्तावेज जिनसे नागरिकता प्रमाणित होती हो, उन्हें अभी से जुटाने होंगे अन्यथा लोगों को निर्वासित कर दिया जाएगा। सच-गलत किसी राष्ट्रव्यापी एनआरसी की घोषणा नहीं की  गई है। अगर कभी इसकी घोषणा की जाती है तो ऐसी स्थिति में समय और निर्देश ऐसे बनाए जाएंगे ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को परेशानी न हो। एनआरसी पर सरकार ने जो विज्ञापन प्रकाशित करवाया है, उसे जानकर सीएए के खिलाफ देशभर में पनपे गुस्से को शांत करने की एक कोशिश भी समझी जा रही है। देशभर में एनआरसी ः एनआरसी को मूल रूप से सुप्रीम कोर्ट की तरफ से असम के लिए लागू किया गया था। इसके तहत अगस्त के महीने में यहां के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया था। प्रकाशित रजिस्टर में करीब 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया था। जिनका नाम इस रजिस्टर में नहीं है, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करनी होगी। मामले ट्रिब्यूनल में चल रहे हैं। अब सीएए के विरोध प्रदर्शनों में एनआरसी की भी बात की जा रही है और यह कहा जा रहा है कि अब सभी नागरिकों को यह साबित करना होगा कि यहां के नागरिक हैं। सीएए के खिलाफ देशभर में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। पूर्वोत्तर राज्यों से शुरू हुआ विरोध धीरे-धीरे पूरे देश में और यहां तक कि देश की राजधानी दिल्ली में भी पहुंच गया। कई राज्यों में विश्वविद्यालय के छात्र सड़क पर उतर आए हैं और सरकार से कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं। विभिन्न राजनीतिक पार्टियां, संस्थाएं, बुद्धिजीवी सीएए और देशव्यापी एनआरसी के एक साथ लागू हो जाने की स्थिति में उत्पन्न होने वाले खतरों पर लोगों को आगह कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहाöजो लोग पाकिस्तान से आएंगे उनके दस्तावेज भारत सरकार बनाएगी और जिन अपने लोगों के पास दस्तावेज नहीं होंगे उन्हें सरकार देश से बाहर निकालेगी। इससे पहले कांग्रेस के गौरव वल्लभ ने भी सरकार को इस मुद्दे पर घेरते हुए कहा है कि सरकार लोगों से उनके नागरिक होने के दस्तावेज मांग रही है और प्रधानमंत्री और उनके मंत्री अपनी शैक्षिक योग्यता के दस्तावेज तक नहीं दिखा पा रहे हैं। हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि विपक्ष एकजुट होकर सीएए के खिलाफ अफवाहें फैला रहा है और इससे अल्पसंख्यकों को रत्तीभर नुकसान नहीं पहुंचेगा। जिस तरह से देशभर के युवा सड़कों पर उतर आए हैं, उससे लग रहा है कि सरकार अब  दबाव में आ रही है और उसे इस तरह का विज्ञापन देना पड़ रहा है और यह स्पष्ट करना पड़ रहा है कि एनआरसी पूरे देश में लागू नहीं किया गया है। जो सरकार एक दिन पहले तक एनआरसी के मुद्दे पर दृढ़ दिख रही थी, गृहमंत्री इसे लागू करने की बात कर रहे थे, आज उसी सरकार का विज्ञापन अगर ऐसा लिखता है तो यह साफ है कि सरकार का रुख नरम पड़ रहा है। असल में, जिस तरह सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी को बिना तैयारी के लागू कर दिया उसी तरह नागरिकता संशोधन कानून को भी जल्दबाजी में बिना किसी तैयारी के लागू किया है।

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