Tuesday, 24 December 2019

अब अदालतों में जज भी सुरक्षित नहीं

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था इतनी खराब हो गई है कि अब तो अदालतों में जज तक सुरक्षित नहीं हैं। बिजनौर जजी परिसर की सीजेएम कोर्ट में गोलियां चलीं और जज महोदय को अपने आपको बचाने के लिए मेज के नीचे छिपना पड़ा। नजीबाबाद के हाजी अहसान और शादाब हत्याकांड में आरोपी हिस्ट्रीशीटर शाहनवाज निवासी कनकपुर (नजीबाबाद) और जब्बर निवासी जलालाबाद (बिजनौर) को दिल्ली की तिहाड़ जेल से पेशी पर बिजनौर लाया गया था। सीजेएम कोर्ट में पेशी के दौरान हाजी अहसान के बेटे साहिल निवासी बिजनौर, इकराम निवासी किरतपुर और सुमित निवासी जिलौन (शामली) ने गोलियां बरसाकर शाहनवाज की हत्या कर दी। हिस्ट्रीशीटर शाहनवाज को मारने के लिए शूटरों ने एकदम नजदीक से गोलियां बरसाईं। एक गोली उसके सिर पर मारी गई जबकि 9 गोलियां पेट और सीने पर मारी गईं और एक गोली पैर में मारी गई। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजनौर सीजेएम कोर्ट में अभियुक्त की हत्या की वारदात को गंभीरता से लेते हुए स्वत संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर गठित विशेष पीठ ने बुधवार को सुनवाई करते हुए कहा कि एक दशक से प्रदेश की जिला अदालतों में लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। आतंकी हमले भी हुए, इसके बावजूद सरकार ने अभी तक ठोस कदम नहीं उठाए। अदालतों में सबसे नाकारा पुलिस वालों को तैनात किया जाता है। यहां तक कि अदालत में आज जज भी सुरक्षित नहीं हैं। क्योंकि घटनाएं कोर्ट रूम में हो रही हैं। कोर्ट ने जिला जज बिजनौर व सीजेएम की रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को और अपर मुख्य सचिव गृह को तलब किया है। जस्टिस सुधीर अग्रवाल तथा जस्टिस सुनीत कुमार की पीठ ने राज्य सरकार से अदालतों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी है। कोर्ट ने कहा कि वास्तव में यह गंभीर और चौंकाने वाली घटना है। कुछ वर्षों से ऐसी घटनाएं मुजफ्फरनगर व आगरा जैसे जिलों की अदालतों में हो चुकी हैं। एक दशक से अधिक समय से अदालतों में आपराधिक और 2008 में आतंकी घटनाएं हुई है जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे मामलों में कदम उठाने का यह एकदम उपयुक्त समय है। हम इस मामले को और नहीं टाल सकते। समय आ गया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति से ऐसे मामलों को निपटाया जाए। बिजनौर के सीजेएम कोर्ट में हत्या के मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर होती है। एसपी बिजनौर ने जजी पुलिस चौकी सहित 18 पुलिसकर्मियों को निलम्बित कर दिया है। पीएसी के जवान और दिल्ली पुलिस के कर्मियों के खिलाफ उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा गया है। सुप्रीम कोर्ट कई बार कह चुका है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज है।

No comments:

Post a Comment