महाराष्ट्र
के हाई वोल्टेज ड्रामे में अगर किसी को फायदा हुआ है तो वह हैं अजित पवार। सोशल मीडिया
में एक पोस्ट चलीöसुबह का
भूला शाम को घर वापस आ जाए और साथ में क्लीन चिट भी ले आए तो उसे भूला नहीं कह सकते
बल्कि उसे अजित पवार कहते हैं। आनन-फानन में एनसीपी के नेता अजित
आनंद पवार (शरद पवार के भतीजे) के भरोसे
भाजपा ने सत्ता में वापसी का दावा किया और अजित पवार को डिप्टी मुख्यमंत्री पद देकर
सरकार भी बनाई। लेकिन 48 घंटों में राजनीतिक हलचल तेज हुई और
सदन में बहुमत साबित करने से ठीक पहले अजित पवार और देवेंद्र फड़नवीस को इस्तीफा देना
पड़ा। पर अजित पवार ने भाजपा से सौदेबाजी करके अपने खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो
सिंचाई घोटाले से जुड़े नौ केस बंद करवा लिए। सिंचाई घोटाला क्या है? देवेंद्र फड़नवीस और भाजपा, विदर्भ सिंचाई घोटाले को
लेकर हमेशा अजित पवार पर निशाना साधते रहे हैं। फड़नवीस ही नहीं, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान एनसीपी को नैचुरल
करप्ट पार्टी की संज्ञा दी थी। देवेंद्र फड़नवीस ने चुनाव से पहले कहा था, चाहे कुछ भी हो जाए भाजपा एनसीपी के साथ नहीं आएगी, हमने
विधानसभा में एनसीपी के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया है। 2014 में मुख्यमंत्री बनने के बाद जो पहली कार्रवाई फड़नवीस ने की थी वो थी सिंचाई
घोटाले में अजित पवार की कथित भूमिका की जांच के आदेश देना, 1999 से 2009 तक सिंचाई प्रकल्प में घोटाले का मामला सामने
आया था। 2012 में आरोप लगाया गया कि सिंचाई के लिए बांध बनाने
की योजना में भारी घोटाला हुआ है जिसमें राजनेता भी शामिल हैं। उस वक्त डिप्टी मुख्यमंत्री
रहे अजित पवार पर करीब 70,000 करोड़ रुपए का हेरफेर करने का आरोप
लगा। पवार पर ऊंचे दाम पर तीन महीने के भीतर 32 कॉन्ट्रेक्ट देने
का आरोप है। 2014 में भाजपा सरकार आने के बाद भ्रष्टाचार निरोधक
ब्यूरो को इस मामले की जांच के आदेश दिए गए। इस मामले में एनसीपी नेता छगन भुजबल और
सुनील तटकरे पर भी आरोप लगे थे। एक अन्य घोटाला जिससे अजित पवार का नाम जुड़ा है,
वो है महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक से संबंधित 25,000 करोड़ रुपए का घोटाला। यह घोटाला मनी लांड्रिंग यानि पैसों की धोखाधड़ी से
संबंधित है। महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने हाल में बताया कि उसने 74 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई
घोटाले के नौ मामले बंद कर दिए हैं। ब्यूरो के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि इनमें
से किसी मामले का उपमुख्यमंत्री अजित पवार से कोई संबंध नहीं है। दरअसल कांग्रेस के
आरोप के बयान के बाद यह स्पष्टीकरण आया कि महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनाने की
मदद के बदले अजित पवार को दोषमुक्त करार दिया गया। कांग्रेस ने इस पर प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। दावा है कि इससे महाराष्ट्र में प्रजातंत्र के चीर
हरण के अध्याय की असलियत उजागर हो गई है। अजित पवार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने
के बाद यह मामले बंद किए गए हैं, यह सब सरकार बनवाने की एवज में
किया गया है।
-अनिल नरेन्द्र
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