Tuesday 31 December 2019

डिटेंशन सेंटरों की सच्चाई?

देश में डिटेंशन कैंप, हिरासत केंद्रों को लेकर विवाद छिड़ गया है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की एक रैली में बयान दिया था कि देश में कोई डिटेंशन कैंप नहीं है। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी देश में कोई हिरासत केंद्र न होने की बात कही थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने दो दिन पहले गुवाहाटी में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व वाली असम सरकार ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश पर डिटेंशन कैंप बनाया था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अवैध प्रवासियों के लिए डिटेंशन कैंप बनाने का सुझाव दिया था। प्रधानमंत्री मोदी के बयान कि देश में कोई डिटेंशन कैंप नहीं है, का हवाला देते हुए गोगोई ने कहा कि मोदी झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार ने 2018 में असम में गोलपाड़ा में तीन हजार अवैध प्रवासियों के लिए देश का सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर बनाने की खातिर 46 करोड़ रुपए मंजूर किए। अब अचानक वे कह रहे हैं कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं  है। गोगोई ने कहा कि भाजपा के लोग कह रहे हैं कि डिटेंशन कैम्प कांग्रेस के समय बने। हमने हाई कोर्ट के आदेश पर उन लोगों के लिए कैंप बनवाए, जिन्हें फोरेंस ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किया जा चुका था। भाजपा सरकार को अवैध प्रवासियों को असम से निकालने के लिए कोई नहीं रोक रहा है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के तमाम दावों के बावजूद कई डिटेंशन सेंटर होने की बात सामने आई है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार असम में छह डिटेंशन सेंटर हैं। इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्टों में कर्नाटक में पहले डिटेंशन सेंटर बनने की बात सामने आई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार असम के डिटेंशन सेंटरों में पिछले तीन सालों में 28 लोगों की मौत भी हुई है। इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने एक डिटेंशन सेंटर बनाए जाने की बात पर सफाई दी। उन्होंने कहा कि डिटेंशन सेटर बनाया जाना एक सतत् प्रक्रिया है। अगर कोई विदेशी नागरिक पकड़ा जाता है तो उसे इसमें रखा जाता है। हालांकि जब उनसे पूछा गया कि देश में ऐसे कितने सेंटर हैं तो उन्होंने कहाöअभी असम में एक है। इसके अलावा मेरी जानकारी में कोई और नही है। मैं कन्फर्म नहीं हूं। इससे पहले गत रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिटेंशन सेंटर बनाने की बातों को अफवाह बताया था। रॉयटर्स की सितम्बर में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक असम के गोलपाड़ा में अवैध प्रवासियों के लिए पहला डिटेंशन सेंटर बनाया जा रहा है। इसमें करीब 3000 लोगों को रखा जा सकता है, टीवी चैनल आज तक ने भी एक रिपोर्ट में बताया कि गोलपाड़ा के डिटेंशन सेंटर में महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग रखने की व्यवस्था की जा रही है और यहां एक अस्पताल भी बनाया जा रहा है। अगस्त 2016 में सरकार ने लोकसभा में बताया था कि असम में छह डिटेंशन सेंटर हैं। एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक असम में छह डिटेंशन सेंटर हैं और इनमें 900 अवैध प्रवासियों को रखा गया है। असम सरकार ने पिछले कुछ दशकों में जेलों के हिस्से को ही हिरासत केंद्र बना दिया है। ऐसे केंद्र गोलपाड़ा, कोकराझार, तेजपुर, जोरहाट, डिब्रूगढ़ और सिल्चर की जेलों में हैं। दिल्ली में सेवा सदन लाभपुर, महिलाओं को महिला सदन, पंजाब में अमृतसर की केंद्रीय जेल, राजस्थान में अलवर जेल, पश्चिम बंगाल में सुधार गृह और भुज में ऐसे हिरासत केंद्र हैं। अगर यह सब सत्य है तो मोदी जी ने किस बिनाह पर कह दिया कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है?

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