दागी सांसदों-विधायकों को कवच देने वाला कानून रद्द हो गया
है। संसद से अंतत दागी दूर होने लगे हैं। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य रशीद मसूद
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के पहले शिकार बने हैं। मंगलवार को अदालत से चार
साल के कारावास की सजा होते ही वह राज्यसभा सदस्यता से अयोग्य हो गए। उनका अभी
पांच साल का कार्यकाल बाकी था। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव भी भ्रष्टाचार के
जुर्म में दोषी ठहराए गए हैं और उनको पांच साल की सजा हो गई है। भ्रष्टाचार सहित दर्जनभर चुनिन्दा अपराधों में
सिर्प दोषी ठहराया जाना ही सदस्यता के अयोग्य बना देता है चाहे सजा सिर्प जुर्माने
तक की हुई हो। इसके अलावा किसी भी अपराध में दो वर्ष या उससे ज्यादा की सजा होने
पर वह व्यक्ति न सिर्प सजा सुनाए जाने की तिथि से सदन की सदस्यता से अयोग्य हो
जाएगा बल्कि सजा काटकर जेल से बाहर आने के छह साल बाद तक चुनाव नहीं लड़ सकेगा। ऐसे में मसूद की न सिर्प राज्यसभा
सदस्यता गई है बल्कि वह अगला चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हो गए हैं। अगर ऊंची
अदालत में अपील पर सुनवाई के दौरान उनकी सजा के साथ दोषसिद्धि पर रोक लगा देती है
तो वह अगला चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन सदस्यता तो चली ही गई है। सुप्रीम कोर्ट के
इस फैसले से कई दिग्गजों पर तलवार लटक गई है। आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में
मायावती, बीकापुर से सपा विधायक मित्र सेन यादव पर 36 मामले चल रहे हैं जिनमें से
14 हत्या के मामले हैं। डॉन ब्रिजेश सिंह के भतीजे और सकलडीहा से निर्दलीय विधायक
सुशील सिंह के खिलाफ 20 मामले दर्ज हैं। भाजपा नेता कल्याण सिंह, उमा भारती और डॉ.
मुरली मनोहर जोशी पर अयोध्या में विवादित ढांचे के मामले में केस चल रहा है। मऊ से
कौमी एकता दल से विधायक मुख्तार अंसारी पर हत्या के आठ मामलों सहित 15 केस चल रहे
हैं। यह तो सिर्प उत्तर प्रदेश के मामले हैं। पूरे देश में तो दर्जनों मामले चल
रहे हैं। रशीद मसूद कांग्रेस के लिए बोझ ही साबित हुए। उत्तर प्रदेश विधानसभा
चुनाव में कांग्रेस की नैया पार लगाने के मकसद से सपा से कांग्रेस में आए मसूद
पार्टी के काम नहीं आए। उल्टा पार्टी की बदनामी और हो गई। मसूद के गढ़ माने जाने
वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी पार्टी की सीटों में कोई इजाफा नहीं हुआ।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों के मतों के सहारे मसूद सीटें जिता सकें यह
मंसूबा पूरा नहीं हुआ। वे दूसरे उम्मीदवारों को तो क्या जिताते उनका जो भतीजा पहले
से ही विधायक था वह भी कांग्रेस टिकट पर पिछले साल चुनाव हार गया। पिछले काफी समय
से मसूद कांग्रेस की हिमायत करते हुए ऊटपटांग बयान भी देने लगे थे। वे दरअसल राहुल
गांधी के चहेते बनने का कोई अवसर चूकना नहीं चाहते थे। पिछले दिनों जब महंगाई को
लेकर विपक्ष ने यूपीए सरकार की आलोचना की थी तो मसूद ने चमचागीरी की हद पार करते
हुए कहा कि दिल्ली में पांच रुपए में कोई भी भरपेट भोजन कर सकता है। अब तिहाड़ में
मसूद साहब को फ्री खाना मिलेगा, पांच रुपए भी खर्च नहीं करने पड़ेंगे। मसूद ने
अदालत में कई बार रहम की अपील की। लेकिन अदालत ने उनके गुनाह को देखते हुए इन अपीलों
को खारिज कर दिया। 67 वर्षीय मसूद का कहना था कि उन्होंने पिछले 30 साल से सांसद
रहते हुए देश की सेवा की है और कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। उन्होंने अपनी
उम्र और तमाम बीमारियों का भी हवाला दिया लेकिन सीबीआई वकील ने अदालत से मांग की
कि मसूद के अपराध की गम्भीरता को देखते हुए उनके साथ कोई नरमी न बरती जाए। मसूद की
वजह से कई होनहार छात्रों का कैरियर चौपट हुआ। कानून बनाने वाले होते हुए भी
उन्होंने कानून तोड़ा।
-अनिल
नरेन्द्र
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