Friday 4 October 2013

सुशील शिंदे ने फिर चला मुस्लिम कार्ड

इस देश में बहुत से लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि देश में धर्म के आधार पर यह वोट बैंक का सिलसिला बंद हो। अगर कोई आर्थिक दृष्टि से, सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा है, चाहे वह किसी धर्म का हो उसे सरकारी सहायता, सुविधाएं मिलनी चाहिए। कांग्रेस पार्टी के खिलाफ हमेशा यह आरोप लगता रहता है कि वह धर्म के आधार पर समाज को बांटकर तुष्टिकरण की राजनीति करती है। ताजा उदाहरण गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का है जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं की आतंक के नाम पर नाजायज गिरफ्तारी नहीं होने देना सुनिश्चित करने को कहा गया है। एडवाइजरी में शिंदे ने कहा है कि किसी भी निर्दोष मुस्लिम युवक को पुलिस हिरासत में न रखा जाए। पत्र में गृहमंत्री ने लिखा है कि कई प्रतिनिधिमंडल यह शिकायत लेकर आ रहे हैं कि आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम युवकों को परेशान किया जा रहा है। मुस्लिम युवकों को लगने लगा है कि उन्हें जानबूझ कर निशाना बनाया जा रहा है। उन्हें मूलभूत अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। शिंदे ने ऐसे मामलों में हाई कोर्ट से विशेष न्यायालय का गठन कर जल्द सुनवाई करने और निर्दोष लोगों को रिहा करने को कहा है। गलत तरीके से मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की भी बात कही गई है। शिंदे ने कहा कि निर्दोष लोगों को न सिर्प रिहा किया जाए बल्कि उन्हें मुआवजा देकर उनका पुनर्वास भी किया जाए। शिंदे राज्यों में ऐसे मुस्लिम युवकों का ब्यौरा एकत्र कर चुके हैं जो आतंकवादी मामलों में गिरफ्तार हुए थे और सालों से जेल में हैं। पुलिस उनके खिलाफ चार्जशीट तक दाखिल नहीं कर पाई। बिना चार्जशीट और मुकदमा चलाए उन्हें सालों जेल में रखा जा रहा है। हम श्री शिंदे की इस बात का पूरा समर्थन करते हैं कि ऐसे युवकों को जिनके खिलाफ चार्जशीट तक दाखिल नहीं हो सकी उन्हें रिहा किया जाए। हमारा मतभेद इस बात पर है कि उन्हें केवल मुस्लिम युवाओं की तरफदारी नहीं करनी चाहिए। शिंदे को मुस्लिम युवकों की बजाय सभी भारतीयों की बात करनी चाहिए जो पुलिस की धांधली से बेवजह जेलों में सड़ रहे हैं। इनमें सभी धर्म के लोग शामिल हैं। दूसरी बात राज्य का मुख्यमंत्री कैसे तय करेगा कि अमुक युवक निर्दोष है और उसे जबरन फंसाया जा रहा है? उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार ने ऐसा करने का प्रयास किया था पर अदालतों ने साफ कह दिया है कि अमुक व्यक्ति निर्दोष है या नहीं, यह फैसला अदालत को करना है। चाहिए तो यह कि अदालतों से कहा जाए कि वह प्रायोरिटी बेसिस पर ऐसे केसों का निपटारा करें जिन केसों में गिरफ्तार लोगों के खिलाफ चार्जशीट तक पेश नहीं की गई। शिंदे की ताजी एडवाइजरी चुनावी फायदे की मंशा से जनता में धर्म के आधार पर विभाजन करने का एक प्रयास मानी जा रही है। शिंदे जो उत्तर प्रदेश की सरकार से क्यों नहीं प्रश्न करते कि वह मुजफ्फरनगर में दंगा फैलाने के नामजद आरोपी और मदरसा संचालक मौलाना नजीर कैसे अखिलेश और मुलायम सिंह यादव के खास मेहमान बने? शनिवार को मौलाना नजीर को विशेष विमान से लखनऊ लाया गया। बातचीत का मुद्दा कुछ भी हो पर जब मौलाना नजीर के विरुद्ध जानसठ थाने में निषेधाज्ञा के उल्लंघन, भीड़ जुटाने, अधिकारी से हाथापाई और धार्मिक उन्माद भड़काने की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज है। इन्हीं धाराओं में भाजपा के विधायकों सुरेश राणा और संगीत सोम पर भी केस दर्ज है। राणा और सोम को जेल भेजकर उन पर रासुका लगाने की कार्रवाई हो रही है और इन्हीं दंगों में नामजद मौलाना नजीर की मेहमाननवाजी कर रही है उत्तर प्रदेश सरकार। मौलाना को तो शांतिदूत बनाया जा रहा है और राणा और सोम को शैतान? कानून की निगाह में सभी एक समान होते हैं। शिंदे ने जिस तरह सिर्प मुस्लिम युवकों की बात कही है उसमें वोट बैंक की सियासत नजर आती है। इससे पहले भी इसी साल जनवरी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को हिन्दू आतंकवाद की नर्सरी बताकर गृहमंत्री सुशील शिंदे विवादों में आ चुके हैं।


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