Thursday, 31 October 2013

राजगीर जद-यू चिंतन शिविर के दो संदेश मोदी से बेचैनी और पार्टी में बगावत

जैसöजैसे चुनाव करीब आ रहे हैं सियासी गर्मी भी बढ़ती जा रही है और इन सबके बीच में हैं गुजरात के मुख्यमंत्री व भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी। गैर भाजपा सभी सियासी दलों के निशाने पर हैं नरेन्द्र मोदी। मुझे शोले पिक्चर याद आ रही है जब फिल्म में सारे हीरो विलेन के पीछे पड़े हुए थे। जब फिल्म रिलीज हुई तो फिल्म का विलेन अमजद खान तो हीरो बन गया और सारे हीरो उसके सामने हल्के पड़ गए। ऐसा ही आज-कल नरेन्द्र मोदी के साथ हो रहा है। चौतरफा हमले से उल्टा मोदी सेंटर आफ एटरेक्शन बनते जा रहे हैं। मंगलवार को हाल में भाजपा की हुंकार रैली में मोदी द्वारा किए गए सियासी हमलों का बिहार के मुख्यमंत्री ने करारा जवाब देकर हिसाब-किताब बराबर करने का पयास किया है। जनता दल (यूनाइटेड) के चिंतन शिविर के समापन सत्र में नरेन्द्र मोदी की हिटलर से तुलना करते हुए नीतीश ने यहां तक कह डाला कि हुंकार से अहंकार की बू आती है। यह भी कहा कि उनका (मोदी) लाल किला पर राष्ट्रध्वज फहराने का सपना पूरा नहीं होगा। उन्होंने मोदी के इतिहास की जानकारी पर सवाल उठाए और हुंकार रैली के भाषण को झूठ पर आधारित करार दिया। नीतीश ने हुंकार रैली के दौरान मोदी के संबोधन की ओर इशारा करते हुए कहा कि उन्हें पानी पी-पीकर कोसा गया। क्या उतावलापन था, कितनी बार पसीने पोंछते रहे। इतना पसीना क्यों आ रहा था। उन्होंने कहा कि किस बात का उतावलापन था? देश के सर्वोच्च पद पर बैठने की तमन्ना रखने वाले आदमी को धैर्यवान होना चाहिए, उतावलापन नहीं दिखाना चाहिए। नीतीश कुमार की सरकार पर कितनी पकड़ है यह तो हमें पता नहीं पर पार्टी पर पकड़ न होने के सबूत इसी बैठक में सामने आ गए। इसी राजगीर चिंतन शिविर में मंगलवार को ही जद-यू के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी ने उल्टा नरेन्द्र मोदी की ही तारीफ करके नीतीश के भाषण पर पानी फेर दिया। उन्होंने मुखर होकर न केवल नरेन्द्र मोदी की तारीफ की बल्कि नीतीश कुमार को आगाह भी कर दिया कि यदि नमो को हल्के में लिया गया तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा। तिवारी ने कहा कि मैं नरेन्द्र मोदी का विरोधी हूं लेकिन संघर्ष क्षमता को देखकर उनकी पशंसा किए बिना नहीं रह सकता। मोदी कहां से शुरू हुए और आज कहां तक पहुंच गए, यह कोई साधारण बात नहीं है। जिस तरह से नरेन्द्र मोदी आगे बढ़ रहे हैं उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। नीतीश, लालू की तरह तिवारी को भी लोकनायक जयपकाश के आन्दोलन की उपज माना जाता है। तिवारी ने कहा एक चाय बेचने वाला आज जिस मुकाम पर है उसे देखकर उसकी पशंसा करनी चाहिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर उन्मुख होकर शिवानन्द तिवारी ने बेबाक होकर चेतावनी भरे स्वर में कहा-आप चाटुकारों से घिर गए हैं। मुझे अच्छी तरह से मालूम है  कि जद-यू और बिहार सरकार कैसे चल रही है अब हम शान्त भी नहीं बैठेंगे। चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कुछ कहे। हमारी हमेशा उपेक्षा होती रही है, मुझे कुछ भी कहने नहीं दिया जाता। उपेक्षा सहने की भी एक सीमा होती है। सत्तर साल की उम्र में वह किसी के आगे माथा नहीं टेक सकते। मंच से मोदी की तारीफ करने के चलते शिविर में उनके खिलाफ नारेबाजी शुरू हो गई लेकिन शिवानन्द रुके नहीं बोलते रहे। जद-यू चिंतन शिविर से दो बातें उभर कर आई। पहली यह कि नरेन्द्र मोदी के बढ़ते ग्राफ से पार्टी के अन्दर चिंता बढ़ रही है और दूसरी यह कि नीतीश कुमार की सरकार और पार्टी दोनों पर पकड़ कमजोर होती जा रही है। 

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