Thursday 3 October 2013

क्या मुजफ्फरनगर दंगों के कारण मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण होगा?

उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक दंगा व संघर्ष थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। मुजफ्फरनगर दंगों के एक महीने बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश फिर सुलग उठा है। सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम की गिरफ्तारी और उन पर रासुका लगाने के विरोध में रविवार को खेड़ा गांव की महापंचायत में रोक के बावजूद बीस हजार की भीड़ जुट गई और हालात इस कदर बिगड़े कि भीड़ उग्र हो गई। आला अफसरों की गाड़ियों समेत 64 सरकारी गाड़ियों और रोडवेज बसों की तोड़फोड़ की गई। चार गाड़ियों को तो आग लगा दी गई। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज, आंसू गैस और फायरिंग करनी पड़ी। फायरिंग-पथराव में एसपी क्राइम समेत 27 पुलिसकर्मी व आठ अन्य लोग घायल हो गए। इन दंगों का सियासी फालआउट भी होगा। लोकसभा चुनाव अभी दूर हैं पर मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पूरे देश के मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण की अभी से चर्चा शुरू हो गई है। मुस्लिम वोटों का असर 120 सीटों पर है, इसलिए धर्मनिरपेक्ष दलों के बीच नई खिचड़ी पकती दिख रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार ही नहीं, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और असम में भी मुस्लिम वोटों के कम मायने नहीं हैं। जहां इनकी तादाद 10 फीसदी या इससे ज्यादा है। लालू प्रसाद यादव के जेल जाने से राजद का मुस्लिम वोट नीतीश के साथ जा सकता है। प्रमुख मुस्लिम नेता महमूद मदनी के संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के सचिव नियाज फारुखी ने कहा कि मुजफ्फरनगर के दंगों को लेकर पूरे देश का मुसलमान गुस्से में है और यह मुस्लिम ध्रुवीकरण का कारण बन सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सिर्प उत्तर प्रदेश में या फिर पूरे देश में तो उन्होंने साफ कहा कि पूरे देश में ऐसा हो सकता है। क्या इस दंगे के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और बसपा के बीच चुनावी तालमेल हो सकता है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है, लेकिन अभी किसी फैसले तक नहीं पहुंचा जा सकता। नियाज ने कहा कि मुस्लिम वोटों का असर 100-120 सीटों पर बहुत ज्यादा है, इसलिए अपने को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले दल कैसे खामोश रह सकते हैं। मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, अमरोहा, मुरादाबाद, अलीगढ़ जैसी देश में कई लोकसभा की सीटें हैं, जहां 30-35 फीसदी मुसलमानों का वोट है। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल स्टडी के प्रो. आनंद कुमार का कहना है कि इन दंगों से मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण उत्तर प्रदेश और उससे लगे हरियाणा में ज्यादा तथा मध्य प्रदेश व राजस्थान में थोड़ा ही होगा। हर क्षेत्र की अपनी समस्याएं हैं, इसलिए दक्षिण भारत, कश्मीर, असम और पश्चिम बंगाल में ध्रुवीकरण की सम्भावना नहीं है। इतना तो तय है कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार से मुसलमान वोट छिटक सकता है। बहुत गौर करने लायक यह बात है कि मुस्लिमों के बीच उस मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाए गए हैं जिन्होंने बहुत जोर-शोर से वोट देकर अखिलेश यादव की सरकार बनवाई थी। यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि इतने थोड़े वक्त के शासन में इससे पहले किसी नेता की लोकप्रियता में ऐसी गिरावट नहीं आई। खुद अखिलेश कहते फिर रहे हैं कि मेरे शासन की उपलब्धियों के लिए नहीं बल्कि मुजफ्फरनगर दंगों के लिए याद किया जाएगा। चार प्रांतों में जहां मुस्लिम वोट महत्वपूर्ण हैं वह हैं उत्तर प्रदेश 18.5 फीसदी, बिहार में 16.5 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 25.2 फीसदी और महाराष्ट्र में 10 फीसदी। असम में भी मुस्लिम वोट महत्वपूर्ण हैं। देखना अब यह है कि दंगों का मुस्लिमों पर क्या असर पड़ता है।

-अनिल नरेन्द्र

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