Saturday, 26 October 2013

महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी महत्वपूर्ण नहीं महत्वपूर्ण है भावुकता

हमारे राजनेता चुनाव के मौके पर सभी तरह के हथकंडे अपनाते हैं यह सभी जानते हैं। कांग्रेस पार्टी 2014 में सत्ता पुन पाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद सभी तरीकों का इस्तेमाल करने में माहिर है। इसके साथ एक और श्रेणी जोड़ दी जानी चाहिए वह है भावुकता। भावुक बातें करके भोली जनता को अपनी ओर खींचने का प्रयास भी अकसर किया जाता है और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी लगता है कि अब इस भावुकता का सहारा लेना चाह रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से राहुल से देश के युवाओं को बहुत उम्मीदें हैं। वह महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, बिजली-पानी-प्याज की बढ़ती कीमतों जैसे ज्वलंत मुद्दों को नजरअंदाज करके भावुकता पर उतर आए हैं। कुछ मायनों में इस प्रकार का हमला काउंटर-प्रोडक्टिंग भी हो सकता है। खेडली (अलवर) में राहुल ने बगैर नाम लिए भाजपा पर सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप तो लगाया ही साथ-साथ यह भी कह दिया कि इस पार्टी की घृणा की राजनीति देश के ताने-बाने को नुकसान पहुंचा रही है और आशंका जताई कि उनकी दादी और पिता की ही तरह उनकी भी हत्या हो सकती है। राहुल महात्मा गांधी और चाचा संजय गांधी का नाम जोड़ना शायद भूल गए। उन्होंने अपनी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि वे खुद हिंसा और आतंकवाद का शिकार हैं, इसलिए वे उन बच्चों और मां के दर्द को अच्छी तरह समझ सकते हैं, जो दंगे और आतंकवादी हिंसा का शिकार होते हैं। हिंसक भावना गुस्से की वजह से बढ़ती है और इस तरह का गुस्सा भाजपा आम लोगों के दिलों में डालकर लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करती है। वे गुजरात, कश्मीर, मुजफ्फरनगर में ज्वाला भड़का देंगे। इसके पहले चुरू में भी उन्होंने अपने भाषण में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए कहा था कि पिता और दादी की हत्या के बाद उनके लिए भी खतरा बना हुआ है। उन्होंने एक वाकया का जिक्र करते हुए बताया कि पंजाब का एक विधायक हाल में उनके कार्यालय में आया और उनसे कहा कि अगर वे 20 साल पहले मिले होते तो उसने गुस्से में कांग्रेस उपाध्यक्ष की हत्या कर दी होती। राहुल जी से हम सवाल करना चाहते हैं कि वह हमें बताएं कि उनकी दादी और पिता यानि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या में किस तरह उन लोगों की कहीं से भी कोई भूमिका थी जो कथित तौर पर नफरत फैलाने की राजनीति करते हैं? यह तो हम समझ सकते हैं कि राहुल को भाजपा सांप्रदायिक नजर आती है पर इस तरह के अनाप-शनाप बेतुके आरोप लगाने से वह खुद को हल्का साबित कर रहे हैं। इंदिरा जी को किसने मारा और क्यों मारा यह सारी दुनिया जानती है। इसी तरह राजीव गांधी की हत्या लिट्टे ने करवाई जिनके समर्थक डीएमके आपकी सरकार का आज सहयोगी है। राहुल कभी-कभी तो चौंकाने वाली बातें बोल जाते हैं। गत दिवस उन्होंने यह सनसनीखेज दावा किया कि मुजफ्फरनगर दंगों में पीड़ित परिवारों के नौजवानों से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सम्पर्प स्थापित कर लिया है। राहुल को यह अत्यंत महत्वपूर्ण गोपनीय जानकारी किसने दी? वह यूपीए सरकार के तो हिस्सा हैं नहीं? एक समय था जब राहुल गांधी की सभाओं में भीड़ होती थी और लोग उन्हें गम्भीरता से सुनते थे पर पिछले कुछ दिनों से वह हल्की बातें करने लगे हैं जिनका शायद ही जनता पर कोई प्रभाव हो।

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