Thursday 31 October 2013

चौबे गए छब्बे बनने बनके आए दुबे

पाकिस्तान एक बार फिर बुरी तरह से बेनकाब हुआ। अमेरिकी दौरे के पहले पाकिस्तानी पधानमंत्री मियां नवाज शरीफ पता नहीं क्या-क्या इरादों से अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलने गए थे? दौरे से पहले नवाज शरीफ की ओर से कश्मीर का मसला उठाने और वहां नियंत्रण रेखा पर तनाव भड़काकर परमाणु युद्ध का डर पैदा करने की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई। उल्टा ओबामा ने नवाज शरीफ और पाकिस्तान को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। कश्मीर में अमेरिकी दखल की उम्मीद लेकर जब नवाज शरीफ बराक ओबामा से मिले तो कश्मीर पर अमेरिका ने दखल देने से दो टूक मना कर दिया उल्टा ओबामा ने नवाज शरीफ को आतंकवाद को लेकर कठघरे में खड़ा कर दिया। ओबामा ने अपना वादा पूरा किया। उल्लेखनीय है कि गत 27 सितम्बर को वाशिंगटन में जब ओबामा ने मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी तो ओबामा ने भरोसा दिलाया था कि वह नवाज शरीफ से पूछेंगे कि आतंकवादी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है? तब ही नवाज शरीफ ने मनमोहन सिंह पर देहाती औरतों की तरह शिकायत करने का आरोप लगाया था। ओबामा ने नवाज से सीधा पूछा कि मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमले के मुकदमे का निर्णय अब तक क्यों नहीं हुआ? ओबामा ने लश्कर चीफ हाफिज सईद की गतिविधियों और सीमा पार आतंकवाद पर भी सवाल किए? मई में पाकिस्तान के पीएम बनने के बाद नवाज शरीफ की ओबामा से पहली मुलाकात थी। जम्मू -कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर अचानक गोलाबारी तेज करने और बार-बार संघर्ष विराम तोड़ने का जो ताजा सिलसिला पाकिस्तानी सेना ने शुरू किया वह शरीफ के अमेरिकी दौरे से जुड़ा था। नियंत्रण रेखा पर तनाव भड़काकर पाकिस्तान भारत को उकसाने की कोशिश कर रहा है ताकि भारतीय सेना उसका करारा जवाब दे। इसके जवाब में पाक सेना भी और जोरदार हमले करती और हालात हाथ से बाहर जाने लगते तो शरीफ अपने वाशिंगटन दौरे के मौके पर यह मसला जोर-शोर से उठाकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को डराने की कोशिश करते कि भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध भी छिड़ सकता है। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का मसला सुलझाने के लिए भारत-पाक में बीच-बचाव करना जरूरी है। उल्टे पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रपति ओबामा ने ही कई सवाल पूछे जिसका जिक भी दोनों की बातचीत के बाद साझा बयान में किया गया है। व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में ओबामा के साथ दो घंटे  की मुलाकात के तत्काल बाद  नवाज शरीफ ने संवाददाताओं को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने जमात-उद-दावा (जेयूडी) सीमा पार से आतंकवाद और अल-कायदा पमुख ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में मदद करने वाले पाक डॉक्टर शकील अफरीदी का मुद्दा भी उठाया। डॉक्टर अफरीदी इन दिनों जेल में हैं। पाक अकसर अमेरिका द्वारा ड्रोन हमलों पर हाय-तोबा मचाता रहता है। इस मामले में भी पाकिस्तान बेनकाब हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआईए के ड्रोन हमलों के लिए पाकिस्तान की सेना, सरकार एवं खुफिया सेना के शीर्ष लोगों द्वारा सहमति एवं अनुमति दिए जाने के ठोस सबूत मौजूद हैं। पाकिस्तान की वैश्विक छवि इतनी खराब हो चुकी है कि भारत को किसी बात का सबूत या जवाबी दलील देने की जरूरत नहीं पड़ती। जैसा मैंने कहा कि मियां जी चौबे गए छब्बे बनने बनके आए  दुबे।

    अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment