Wednesday 23 October 2013

अंतत डॉ. हर्षवर्धन को बतौर सीएम प्रोजेक्ट करने का फैसला

पिछले कई दिनों से दिल्ली बीजेपी में सीएम कैंडिडेट को लेकर घमासान मचा हुआ है। राजधानी में तमाम समीकरण व माहौल अनुकूल होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी का दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना यह एक बड़ी बाधा थी सीएम की प्रोजक्शन न होना। इसकी वजह से पार्टी के अंदर जबरदस्त अंदरुनी लड़ाई थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। पार्टी एक बार फिर निर्णायक मोड़ पर आपसी गुटबाजी में इस तरह उलझती जा रही थी कि पार्टी कार्यकर्ताओं को भी डर सताने लगा कि कहीं हाथ में आई बाजी कांग्रेस फिर छीन कर न ले जाए और पार्टी के दिग्गज मुख्यमंत्री के लिए ही लड़ते न रह जाएं। सारा विवाद प्रदेशाध्यक्ष विजय गोयल ने खड़ा कर रखा था। विजय गोयल इस बात के लिए अड़ गए थे कि प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते उन्होंने पिछले कुछ महीनों में बहुत मेहनत की है। पार्टी को खड़ा किया है और तमाम सर्वेक्षणों में भी उन्हें ही बीजेपी का सीएम कैंडिडेट प्रोजेक्ट किया जा रहा है, इसलिए वही सीएम पद के उम्मीदवार होने चाहिए। उन्होंने तमाम तरह के दबाव व धमकियां भी दे डालीं कि अगर उन्हें सीएम प्रोजेक्ट नहीं किया गया तो पार्टी को भारी नुकसान होगा इत्यादि-इत्यादि। पार्टी आलाकमान डॉ. हर्षवर्धन को सीएम उम्मीदवार प्रोजेक्ट करना चाहता था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी हर्षवर्धन के हक में है। पूरे घटनाक्रम को कांग्रेस मजे से देख रही थी और उसे उम्मीद थी कि मामला उलझा रहेगा और इससे बीजेपी को नुकसान होगा पर लगता है कि अब मामला सुलझता नजर आ रहा है। सोमवार को पार्टी के आलाकमान द्वारा मुख्यमंत्री के रूप में अपना नाम घोषित न होता देख विद्रोही तेवर अपनाए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विजय गोयल के तेवर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के समझाने के बाद फिलहाल ढीले पड़ गए हैं। दिल्ली में बीजेपी का सीएम कैंडिडेट कौन होगा, इसका भले ही ऐलान अभी न हुआ हो, लेकिन यह अब लगभग फाइनल हो गया है कि पार्टी डाक्टर हर्षवर्धन का नाम आगे करेगी। सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव से महज डेढ़ महीने पहले बीजेपी को यह फैसला क्यों करना पड़ा? इसके पीछे दो कारण रहे ः  पहला आम आदमी पार्टी का असर कम करना और दूसरा क्लीन इमेज के नेता को पार्टी के चेहरे के रूप में पेश करना। बीजेपी मान रही है कि अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सीधे-सीधे कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगी। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की लड़ाई में बीजेपी पिछड़ती नजर आ रही थी। इसकी एक वजह दिल्ली बीजेपी का कोई एक चेहरा न होना माना जा रहा था। मैसेज यह जा रहा था कि केंद्र की तरह प्रदेश में भी नेताओं की आपसी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही। जिस तरह नरेन्द्र मोदी के केंद्र में आने से सारे नेता लाइन पर आ गए और अब न तो कोई दूसरी पंक्ति के नेता रहे न पहली पंक्ति के, वैसे ही डॉ. हर्षवर्धन का फैसला होने से अब दिल्ली बीजेपी में घमासान खत्म होने के आसार नजर आने लगे हैं। बीजेपी नेताओं ने विजय गोयल के सामने स्पष्ट कर दिया है कि अगर उनके समर्थकों की ओर से हंगामा खड़ा करने की कोशिश होती है तो उनका दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष बना रहना भी मुश्किल हो सकता है। हालांकि पार्टी का मानना है कि गोयल और नेगेटिव कदम नहीं उठाएंगे। गोयल ने घोषणा कर दी है कि वह सीएम उम्मीदवार की रेस में नहीं हैं। डॉ. हर्षवर्धन क्लीन छवि के लोकप्रिय नेता हैं अगर उनका नाम फाइनल होता है तो यह दिल्ली बीजेपी के लिए अच्छा कदम होगा।
-अनिल नरेन्द्र



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