Friday, 11 October 2013

नरेन्द्र मोदी-अमित शाह पर सीबीआई का कसता शिकंजा

चुनावी माहौल में जिस तरह सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार सीबीआई को अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से सियासी जंग में इस्तेमाल कर रही है उससे विपक्षी दलों खासकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की नींद हराम होना स्वाभाविक ही है। कल ही सीबीआई ने बसपा सुप्रीमो मायावती को बड़ी राहत देते हुए आय से अधिक सम्पत्ति केस बंद करने की इजाजत मांगी है। संप्रग-2 सरकार के बहुमत की लगातार पांच साल तक गारंटर रहे समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी पर कांग्रेस की अत्यधिक मेहरबानी से भी भाजपा के कान खड़े हो गए हैं। गत दिनों सीबीआई ने मुलायम और उनके संबंधियों के लिए सिरदर्द बने आय से अधिक सम्पत्ति मामले में न्यायालय से मामला बंद करने का अनुरोध किया वहीं मंगलवार को मुख्य प्रतिद्वंद्वी सुप्रीमो मायावती के खिलाफ चल रहे आय से अधिक सम्पत्ति मामले को बंद करने की इजाजत न्यायालय से मांगी पर सीबीआई दूसरी ओर भाजपा और खासकर नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई है। सीबीआई इशरत जहां और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में पूरक आरोप पत्र दाखिल करने से पहले भाजपा नेताओं से पूछताछ करने की तैयारी में जुट गई है। सूत्रों के अनुसार देश में जहां चुनावी माहौल गरम है वहीं सीबीआई द्वारा इशरत जहां और तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में भाजपा नेताओं को पूछताछ के लिए भेजे जा रहे समन ने भाजपा के नेताओं को चौकन्ना कर दिया है। इशरत जहां मुठभेड़ केस में सप्लीमेंट्री चार्जशीट की तैयारी कर रही सीबीआई मोदी के तीन मंत्रियों से तो पूछताछ कर चुकी है। अपनी नई चार्जशीट में सीबीआई मुठभेड़ की साजिश और एनकाउंटर की जांच को प्रभावित करने वाले भाजपा के बड़े नेताओं के नामों का खुलासा कर सकती है। शायद यही वजह है कि न सिर्प नरेन्द्र मोदी अपने हर भाषण में सीबीआई पर निशाना साध रहे हैं बल्कि अरुण जेटली ने भी सीबीआई के कामकाज को लेकर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। भोपाल रैली में नरेन्द्र मोदी ने सीबीआई के हव्वे का जिक्र यूं ही नहीं किया। वो जानते हैं कि आने वाले दिनों में फर्जी एनकाउंटर केस में सीबीआई उनके और उनके इर्द-गिर्द (अमित शाह) पर शिकंजा कसना चाहती है। इशरत जहां एनकाउंटर केस में मोदी के तीन मंत्रियों से पूछताछ करने के बाद सप्लीमेंट्री चार्जशीट की तैयारी जोरों पर चल रही है। यही वजह है कि सीबीआई ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। सूत्रों के मुताबिक अतिरिक्त चार्जशीट में सीबीआई यह बताने वाली है कि इशरत जहां मुठभेड़ को भले ही पुलिस वालों ने अंजाम दिया हो मगर उसके सबूत मिटाने में बड़े लोग शामिल थे। उसमें बताया गया है कि 15 जून 2004 को इशरत जहां, जावेद शेख, उम्राद अली अकबर, अली राणा और निशान जौहर के एनकाउंटर के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस वालों ने घोर लापरवाही बरती थी। सीबीआई के पास एक वीडियो क्लिप बताया जा रहा है जिसमें यह नजारा कैद है। शूटआउट में इस्तेमाल हथियारों को 5 साल तक फोरेंसिग जांच के लिए नहीं भेजा गया यह कहा जा रहा है, यह सब जानबूझ कर नहीं किया गया सीबीआई का दावा है। एनकाउंटर में शामिल अफसरों के कॉल डिटेल्स भी सालभर तक नहीं जांचे गए। सीबीआई के मुताबिक कोई भी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर सिर्प एक साल तक ही पूरी कॉल डिटेल्स रखता है यानि एनकाउंटर से जुड़ा यह अहम सबूत भी जानबूझ कर खत्म कर दिया गया। सप्लीमेंट्री चार्जशीट की तैयारी कर रही सीबीआई को अहमदाबाद के पूर्व निलंबित आईपीएस जीएल सिंगला ने दो पैन ड्राइव दिए हैं जिसमें एक मीटिंग के सबूत हैं। अभी हाल में ही एक स्वतंत्र पत्रकार द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में भाजपा नेता रामलाल के साथ भाजपा के दो अन्य नेता प्रकाश जावेडकर और भूपेन्द्र यादव को बैठक करते दिखाया गया है। इस दौरान तीनों गुजरात के तुलसी प्रजापति मुठभेड़ मामले में प्रजापति की मां के द्वारा दिए गए बयान को प्रभावित करने की रणनीति बनाने पर बातें करते दिख रहे हैं। तुलसी प्रजापति को गुजरात पुलिस द्वारा 28 दिसम्बर 2006 को साबरकांठा जिले के अम्बाजी इलाके में फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था। सूत्रों के अनुसार स्टिंग ऑपरेशन के कारण हाल ही में भाजपा नेता प्रकाश जावडेकर और भूपेन्द्र यादव से गहन पूछताछ की गई थी। प्रकाश जावडेकर के द्वारा इस बात के खुलासे के बाद की स्टिंग ऑपरेशन में दिखाई गई तस्वीर उन्हीं की है और वह इस बैठक में उपस्थित थे, सीबीआई अब रामलाल से भी पूछताछ की तैयारी में है। इस दौरान सीबीआई क्रॉस एग्जामिनेशन भी करेगी जिस पत्रकार ने यह स्टिंग ऑपरेशन किया था उसने आरोप लगाया था कि भाजपा के आला नेताओं ने तुलसी प्रजापति की मां से बिना तारीख के वकालतनामे  पर हस्ताक्षर करवा लिए थे ताकि जांच को प्रभावित किया जा सके। इस सिलसिले में सीबीआई तुलसी प्रजापति की मां नर्मदा देवी से भी आरोपों को सत्यापित करवाएगी। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के आला नेता और नरेन्द्र मोदी के राइट हैंड मैन अमित शाह को भी लपेटे में लिया जा सकता है। दूसरी ओर सीबीआई ने विपक्षी नेताओं खासकर नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को फंसाने के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। जांच एजेंसी के निदेशक रंजीत सिन्हा का कहना है कि सीबीआई बिना सबूत के किसी के गिरेबां नहीं पकड़ सकती है, यह बात लोगों को समझनी चाहिए। साथ ही उनका कहना है कि सीबीआई को पता है कि वह क्या कर रही है। सीबीआई एक प्रोफेशनल एजेंसी है और इसे हाई-प्रोफाइल मामलों का पुराना अनुभव है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं (मोदी और जेटली) के इन आरोपों को रंजीत सिन्हा ने बेतुका और तर्पहीन करार दिया। अमर उजाला समाचार पत्र से विशेष साक्षात्कार में सिन्हा ने कहा कि एजेंसी किसी के दबाव या राय पर नहीं बल्कि सबूतों के आधार पर काम करती है। यूपी में भाजपा के चुनाव प्रभारी अमित शाह तुलसी प्रजापति फर्जी मुठभेड़ मामले में जेल भी जा चुके हैं। सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकरी ने मामले की पृष्ठभूमि समझाते हुए कहा कि शाह पहले ही इन मामलों में इतना फंसे हुए हैं कि उन पर कार्रवाई नहीं हुई तो आश्चर्य की बात होगी। जहां तक नरेन्द्र मोदी का सवाल है वह अपने चहेते पुलिस अधिकारी जीडी बंजारा के हाल के खुलासे से डरे हुए हैं। जेल में बंद बंजारा ने तो मोदी को लिखे पत्र में अमित शाह पर कई सवाल उठाए हैं, एक समय में साथ देने वाले पुलिस अफसरों का साथ छोड़ने की बात करते हुए बंजारा ने मोदी पर भी अंगुली उठाई है। बताया जा रहा है कि बंजारा ने भाजपा नेता हरेन पांड्या मर्डर केस में भी कुछ `क्लू' सीबीआई को दिए हैं। आने वाले कुछ दिन नरेन्द्र मोदी, अमित शाह पर भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

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