Saturday, 19 October 2013

वॉलमार्ट का भारत के रिटेल बाजार में भविष्य?

दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल कम्पनी वॉलमार्ट स्टोर्स ने फैसला किया है कि वह रिटेल बिजनेस भारतीय साझेदारी में नहीं करेगी। वॉलमार्ट ने भारतीय एंटरप्राइजेज से भारत में साझेदारी खत्म करने की घोषणा की है। कैश एण्ड कैरी ऑपरेशन के लिए चलाए जा रहे बेस्ट प्राइस मॉडर्न स्टोर में भारती (एयरटेल) की 50 फीसदी हिस्सेदारी को वॉलमार्ट खरीद लेगी और भारतीय एंटरप्राइजेज लिमिटेड ईजीडे के नाम से चलाए जा रहे मल्टी ब्रांड स्टोर के कारोबार को जारी रखेगी। इस घटनाक्रम को भारत में निवेश को लेकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के भरोसे में कमी से जोड़कर भी देखा जा रहा है।  छह साल पहले शुरू हुई वॉलमार्ट और भारती के बीच साझेदारी टूटने पर हालांकि भारत सरकार ने कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है लेकिन इस घटनाक्रम के बाद निकट भविष्य में वॉलमार्ट के सीधे भारतीय रिटेल बाजार में उतरने की सम्भावनाएं काफी कमजोर हो गई हैं क्योंकि उसे इसके लिए 49 फीसदी हिस्सेदारी वाले नए भारतीय साझेदार को तलाशना होगा। सालाना करीब 440 अरब डॉलर का कारोबार करने वाली वॉलमार्ट स्टोर्स पर भारत में रिटेल कारोबार में एफडीआई के लिए लॉबिंग के आरोप लगते रहे हैं। इन आरोपों के चलते वॉलमार्ट ने अपने कुछ अधिकारियों को हटा दिया था। साथ ही पिछले दिनों भारतीय वॉलमार्ट संयुक्त उद्यम के प्रमुख राज जैन ने भी कम्पनी छोड़ दी थी। अमेरिकी सीनेट को दी गई लॉबिंग की जानकारी ने भारत में वॉलमार्ट की कार्यप्रणाली पर विवाद खड़ा कर दिया था। वॉलमार्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसने भारत सहित दुनिया के दूसरे देशों में लॉबिंग के लिए करीब 25 मिलियन डॉलर की राशि चार वर्षों में खर्च की थी। मामला तूल पकड़ने के बाद भारत सरकार ने जनवरी में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मुकुल मुद्गिल की अध्यक्षता में एक सदस्य वाली समिति का गठन किया था। जांच में कारपोरेट अफेयर मंत्रालय, प्रवर्तन निदेशालय और डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रीयल पॉलिसी और प्रमोशन (डीआईपीपी) भी अपने स्तर पर समिति को सहयोग दे रहे थे। साझेदारी पर विवादों के चलते वॉलमार्ट को अपने कारोबारी विस्तार के लिए लॉबिंग और घूस के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। कम्पनी पर भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए लॉबिंग के आरोप लगे, जिसके बाद भारती वॉलमार्ट के सीईओ राज जैन को हटना पड़ा। दुनियाभर में इस तरह के आरोपों का असर वॉलमार्ट योजनाओं पर पड़ा। अक्तूबर 2012 के बाद भारती वॉलमार्ट ने भारत में कोई नया स्टोर नहीं खोला। इसके अलावा भारती समूह में वॉलमार्ट के निवेश भी सवालों के घेरे में रहा है। गत सितम्बर में मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की राह खोलने के बावजूद अभी तक किसी विदेशी रिटेलर ने मल्टी ब्रांड क्षेत्र में एंट्री नहीं की है। 30 फीसदी स्थानीय खरीद और बुनियादी ढांचे जैसी पाबंदियों के चलते रिटेलर निवेश करने से हिचक रहे हैं। हालांकि होलसेल में भारती के साथ इसकी साझेदारी छह साल से चल रही थी। इन चुनौतियों ने विदेशी ही नहीं बल्कि देसी रिटेलरों को भी अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया। वॉलमार्ट अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बातचीत का ब्यौरा देने से इंकार कर दिया है। आरटीआई से इस ब्यौरे की सूचना को देने से मना करते हुए कहा कि जो सूचना मांगी गई है उसे नहीं देने के लिए इस कानून की धारा 8 में छूट प्राप्त हुई है। जबकि पीएमओ के अधिकारियों के सन्दर्भ में कहा गया है कि मांगी गई सूचना कार्यालय के रिकार्ड का हिस्सा नहीं है। वॉलमार्ट ने 2012 में 33 करोड़ रुपए विभिन्न मुद्दों पर लॉबिंग के लिए खर्च किए, इसमें भारत के खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का भी मुद्दा था।

-अनिल नरेन्द्र


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