Thursday, 24 October 2013

संत शोभन सरकार के आगे यूं ही नहीं झुके नरेन्द्र मोदी

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को इस चुनावी मौसम में थोड़ा सोच-समझ कर कोई भी बयान देना चाहिए। बयान देकर किसी भी मुद्दे पर यूटर्न लेना न तो उनको शोभा देता है और न ही प्रधानमंत्री  पद की उम्मीदवारी को। ताजा उदाहरण डौंडिया खेड़ा में सोने की खुदाई के मामले का है। चेन्नई में गत शुक्रवार को एक सभा को सम्बोधित करते हुए मोदी ने कहा कि दुनिया हमारे ऊपर इस बेतुके कार्य पर हंस रही है। उन्होंने कहा था कि किसी को सपना आया और सरकार ने खुदाई का कार्य शुरू कर दिया। चोरों और लुटेरों ने भारत के धन को विदेशों में स्थित बैंकों में छिपाकर रखा है जो 1000 टन सोने से ज्यादा है। अगर आप (सरकार) यह धन वापस लाती है तब आपको सोने के लिए खुदाई करने की जरूरत नहीं होगी। मोदी की टिप्पणी से संत शोभन सरकार खासे नाराज हो गए। संत शोभन सरकार के अनुयायी ओमजी ने इस बयान के खिलाफ मोदी को एक पत्र लिखा। पत्र में कहाöप्रिय नरेन्द्र भाई आपका कानपुर की धरती पर स्वागत है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपने केंद्र सरकार और श्रीमती सोनिया गांधी पर हमले करने की जल्दबाजी में संतों की मर्यादा की अवहेलना की है। हम रघुवंशी हैं और शोभन सरकार रघुवंशी शिरोमणि। हम अपने वचन पर अडिग हैं। हम इस मुद्दे सहित सभी मुद्दों पर आपसे बहस करना चाहते हैं। इसी का नतीजा है कि सोमवार को अपने रुख पर यूटर्न लेते हुए नरेन्द्र मोदी ने ट्विट कर शोभन सरकार की तारीफ के पुल बांध दिए। मोदी ने ट्विटर पर लिखा, संत शोभन सरकार के प्रति अनेक वर्षों से लाखों लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। मैं उनकी तपस्या और त्याग को प्रणाम करता हूं। इतना ही नहीं, मोदी ने कानपुर से भाजपा विधायक सतीश महाना को विशेष तौर पर संत शोभन के पास भिजवाया। सोमवार को सतीश महाना मोदी की ओर से उन्नाव के बक्सर स्थित आश्रम में शोभन सरकार से मिले। महाना ने संत को बताया कि नरेन्द्र मोदी का भाव उनकी प्रतिष्ठा पर आंच पहुंचाना नहीं था। संत के शिष्य स्वामी ओमजी के मुताबिक मुलाकात के दौरान संत ने मोदी को माफ कर दिया है। शोभन सरकार के सपने के आगे सरकार ही नहीं पूरी सियासत दंडवत है। भाजपा के पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी के तेवर महज चार दिनों में बाबा के सियासी बाणों के आगे ढीले हो गए हैं। बाबा के ऐलान के खिलाफ कांग्रेस, सपा से लेकर बसपा तक की जुबां अब तक नहीं हिल पाई है। दरअसल यह असर बाबा के तपोबल से कहीं अधिक उस क्षेत्र में उनके प्रभाव का है जो पार्टियों के वोट पर बड़ी चोट कर सकता है। उन्नाव, फतेहपुर, रायबरेली की सीमाएं आपस में जुड़ती हैं। यह वह क्षेत्र है जहां बाबा के चमत्कार के किस्से मशहूर हैं। कानपुर में कई गाड़ियों पर शोभन सरकार के स्लोगन नजर आते हैं। ऐसे में चुनावी आहट ने सियासतदानों को न चाहते हुए भी बाबा का झंडा उठाने पर मजबूर कर दिया है। उन्नाव लोकसभा सीट पर फिलहाल कांग्रेस से अनु टंडन काबिज हैं। बाबा की डौंडिया खेड़ा में सोने के सपने की पहली चिट्ठी को उन्होंने ही सरकार तक बढ़ाया था। फतेहपुर की सीट सपा के पास है जबकि रायबरेली की सीट सोनिया के पास है, इसलिए कांग्रेस भी चुप है। सपा और बसपा के प्रतिनिधि भी संत के चक्कर लगा रहे हैं, इसलिए कोई भी सियासी दल आज की तारीख में संत शोभन सरकार से पंगा नहीं लेना चाहता। शायद यही सियासी मजबूरी के चलते नरेन्द्र मोदी को यूटर्न लेना पड़ा।

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