Wednesday 9 October 2013

मनमोहन सिंह जी राष्ट्रपति से तो कुछ प्रेरणा लो

भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की सिंह गर्जना से थोड़ी प्रेरणा व साहस लेना चाहिए। जो बातें मनमोहन सिंह आज तक नहीं कह सके वह महामहिम कह रहे हैं और खुलेआम कह रहे हैं। बेल्जियम की यात्रा पर गए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई। प्रणव दा ने दो टूक कहा कि जब तक अपनी धरती से पाकिस्तान आतंकी ढांचा ध्वस्त नहीं करता तब तक दोनों देशों के बीच बातचीत आगे बढ़ने की गुंजाइश नहीं है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत पाकिस्तान से शांति चाहता है लेकिन वह अपनी भूभागीय अखंडता को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता। सीमा पार से सरकार द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को कतई स्वीकार नहीं  किया जा सकता। राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के इस तर्प को भी खारिज कर दिया कि भारत में आतंकवाद संबंधी गतिविधियों के पीछे राष्ट्रेत्तर तत्वों (नॉन स्टेट एक्टर्स) का हाथ है। उन्होंने कहा कि ये तत्व जन्नत से नहीं आते बल्कि पड़ोसी देश के नियंत्रण वाले भूभाग से आते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि पाकिस्तान नौ साल पहले के अपने वादे से मुकर गया है जिसमें उसने अपनी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ नहीं होने देने की बात कही थी। मुखर्जी ने तुर्की के अखबार `टुडेज जमान' को दिए साक्षात्कार में कहा कि हम पाकिस्तान से मांग करते हैं कि आपकी धरती पर आतंकवादी संगठनों की ओर से बनाए गए ढांचों को ध्वस्त किया जाए। भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पूरी कीजिए। आतंकवादियों को भारत के खिलाफ क्रियाकलापों के लिए अपनी धरती का उपयोग मत करने दीजिए। राष्ट्रपति ने कहा कि जब तक माहौल नहीं बनाया जाता तब तक आप अन्य गतिविधियों के बारे में बात कैसे कर सकते हैं? इसलिए हमें आशा है कि जैसा कि नवाज शरीफ ने कहा कि वह इसे लागू करने का प्रयास करेंगे। राष्ट्रपति की यह कड़ी टिप्पणियां क्या मनमोहन सिंह सरकार की आंखें खोल पाएगी जो जम्मू-कश्मीर सीमा पर चल रहे भारी खूनखराबे के बावजूद पाकिस्तान से अच्छे व्यवहार की उम्मीद लगाए बैठी है और नवाज शरीफ के बातचीत के जाल में फंसती नजर आ रही है। कश्मीर के केरन सेक्टर में पिछले 12-13 दिनों से आतंकियों के खिलाफ हमारी बहादुर सेना जंग लड़ रही है। इन जेहादियों जिनमें पाक सैनिक भी शामिल हैं की जुर्रत देखिए उन्होंने नियंत्रण रेखा पार कर हमारे क्षेत्र में घुसकर हमारे एक वीरान गांव और निगरानी पोस्टों पर कब्जा कर लिया है। हालांकि सेना `कारगिल' जैसी घटना की पुनरावृत्ति की बात से इंकार कर रही है लेकिन वह मान रही है कि आतंकियों से जंग भारत की ही धरती पर हो रही है। सवाल यह भी उठता है कि भारतीय सेना की भारी मौजूदगी और हेलीकाप्टरों से सैनिकों को घटनास्थल पर उतारे जाने के बावजूद मुट्ठीभर आतंकियों से चल रही यह लड़ाई इतनी लंबी खिंचती जा रही है? सैन्य सूत्रों ने बताया कि आतंकियों के पास लंबे अरसे के लिए सामान होने की सूचना है। उन्हें पाकिस्तानी सेना की स्पेशल फोर्सेज से मदद भी मिल रही है। सूत्र बताते हैं कि पाकिस्तानी सेना गोलीबारी इसलिए कर रही है जिससे भारतीय सेना उसका जवाब देने में उलझी रहे और घुसपैठ जारी रखी जा सके। 12000 फुट की ऊंचाइयों पर 12-13 दिनों से चल रही कारगिल टाइप जंग का आलम यह है कि मुट्ठीभर आतंकियों को खदेड़ने के लिए सेना की दो ब्रिगेड जंग लड़ रही हैं। देश में चुनाव का मौसम और अफरातफरी का फायदा उठाकर पाक हम पर निर्णायक हमले को अंजाम दे रहा है और हम उसे फूलों का गुलदस्ता दे रहे हैं।

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