Wednesday 14 May 2014

एग्जिट पोल 2014 ः अबकी बार मोदी सरकार

16वीं लोकसभा के लिए चुनाव सम्पन्न हो गया है। एग्जिट पोल भी आ गए हैं। जैसी उम्मीद थी एग्जिट पोल भी वही स्थिति दिखा रहे हैं। भाजपा-एनडीए को कम से कम 249 (टाइम्स नाऊ+ओआरजी) और सबसे ज्यादा न्यूज 24+टुडेज चाणक्य (340) दिखा रहे हैं। इंडिया टुडे+सीआईसीईआरओ 261-283, एबीपी+नील्सन 272, सीएनएन-आईबीएन+सीएसडीएस 270-282 और इंडिया टीवी+सी वोटर 289। हम इन एग्जिट पोल की एक्यूरेसी के विवाद में न फंसते हुए यह कहना चाहेंगे कि ऐसा लगता है कि अगली सरकार मोदी की सरकार बनने की पूरी सम्भावना है। आंकड़ों का खेल 16 मई को स्पष्ट हो जाएगा। यह चुनाव कुछ बातों के लिए याद रखा जाएगा। इतिहास में सबसे sज्यादा चरणों में हुए इस चुनाव में मुझसे कोई पूछे तो मैं कहूंगा कि इसमें न तो जातिवाद चला और न ही बाहुबल। पूरे चुनाव में चर्चा का मुद्दा एक ही था, नरेन्द्र मोदी या आप नरेन्द्र मोदी को सत्ता में लाने के लिए लड़ रहे थे या उन्हें रोकने के लिए। जनता ने मोदी का खुलकर साथ दिया। कई स्थानों पर तो मतदाता को यह तक पता नहीं था कि वह जिस उम्मीदवार को वोट देकर आए हैं उसका नाम क्या है? जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने बस यही कहा कि हमने मोदी को वोट दिया, कमल पर बटन दबाया। यह कहने में किसी को हिचक नहीं है कि नरेन्द्र मोदी ने अपने कंधों पर ही भाजपा का पूरा अभियान चलाया। पूरे चुनाव की धुरी ही मोदी थे वरना कश्मीर से कन्याकुमारी तक क्षेत्रीय दलों के लिए भी वही मुद्दा न बनते। मोदी पूरे चुनाव में हावी रहे, अपने विपक्षियों के दिलो-दिमाग पर भी और समर्थकों के उत्साह पर भी, वरना कोई कारण नहीं था कि पारम्परिक रूप से भाजपा के लिए कमजोर रहे पश्चिम बंगाल में भी ममता बनर्जी कांग्रेस और वाम दलों को बख्श कर सबसे ज्यादा तीखा हमला भाजपा और मोदी पर करतीं। दूसरी ओर कांग्रेस ने चुनाव में इस बार अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर ही पूरा दांव लगा दिया। प्रचार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बहुत सीमित भूमिका रही तथा उन्होंने कुछ ही सभाओं को संबोधित किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कई जगह रैलियां कीं लेकिन उनकी सक्रियता पिछले चुनाव की तुलना कम रही। पार्टी के प्रचार अभियान की एक विशेषता यह जरूर रही कि कांग्रेस अध्यक्ष की पुत्री प्रियंका वाड्रा अमेठी और रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित रहने के बावजूद देशभर में अपनी छाप छोड़ गईं। प्रचार अभियान का पूरा जिम्मा अपने कंधों पर लेते हुए राहुल गांधी ने देश के विभिन्न भागों में 100 से अधिक रैलियां और सात रोड शो किए जिनमें लोगों की काफी भागीदारी भी दिखाई दी। वैसे कांग्रेस का तो पुराना फंडा है जीती तो राहुल जीतेंगे और हारी तो कांग्रेस पार्टी हारी। बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले हम। मैं बात कर रहा हूं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की। सुना है कि आजकल वह रोजाना 30-35 फाइलें निपटा रहे हैं। उनके सरकारी आवास सात रेसकोर्स रोड से नए बंगले में सामान पहुंचाया जा रहा है। 16 मई के बाद उनका नया ठिकाना तीन मोती लाल नेहरू रोड स्थित बंगला होगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इतिहास उनकी विदेश यात्राओं और बेबसी के लिए याद रखेगा। उनके कार्यकाल में घोटालों ने नए रिकार्ड कायम किए, महंगाई रिकार्ड स्तर पर पहुंची, बेरोजगारी, लाचारी बढ़ी। 81 वर्ष के मनमोहन सिंह व तमाम उनके मंत्री अपने-अपने दफ्तरों को खाली कर रहे हैं।

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