Sunday, 18 May 2014

अद्भुत, अकल्पनीय और ऐतिहासिक टर्निंग प्वाइंट है यह चुनाव

के पांव उखड़ गए। देशवासियों ने तुष्टिकरण, जातिवाद और सामाजिक समीकरणों को नकारते हुए एकजुट होकर विकास के लिए, बेहतर भविष्य के लिए नरेन्द्र मोदी को वोट दिया। एग्जिट पोल भी गलत साबित हुए। जितनी सीटें आमतौर पर भाजपा की दिखाई जा रही थीं उससे भी ज्यादा आईं। टाइम्स नाऊ जैसे टीवी चैनल जिसने भाजपा को 249, कांग्रेस को 148 और अन्य को 146 सीटों की भविष्यवाणी करके जनता में भ्रम पैदा किया, उसे मुंह की खानी पड़ी। सबसे करीब एक बार फिर न्यूज 24+ टुडेज चाणक्य साबित हुआ जिसने भाजपा को 340, कांग्रेस को 70 और अन्य को 133 सीटें दीं। नवम्बर के दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय भी यही सही साबित हुआ था। आमतौर पर सिवाय टाइम्स नाऊ-ओआरजी के बाकी सभी सही साबित हुए। तीन दशक बाद नरेन्द्र मोदी की लहर पर सवार भाजपा ने अकेले दम पर 272+ सीटों से आगे पहुंचने का करिश्मा दिखाया। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर मोदी ने वड़ोदरा सीट पर पांच लाख 70 हजार वोट से जीतकर भारतीय चुनावों में एक नया रिकार्ड कायम किया। वाराणसी से भी उनकी जीत शानदार रही। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरविन्द केजरीवाल को तीन लाख 70 हजार से ज्यादा मतों से हराया। पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पीवी नरसिंह राव ने नांदयाल सीट से पांच लाख 80 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था पर वह आम चुनाव नहीं बल्कि उपचुनाव था। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस आधा दर्जन राज्यों में तो खाता ही नहीं खोल सकी और उसके ज्यादातर दिग्गज चुनावी मैदान में हार गए। खुद राहुल गांधी को अपनी सीट जीतने में पसीने छूट गए और अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की हैसियत भी हासिल करने में नाकाम रही। आलम यह है कि अब तक सरकारें गठबंधन से बनती थी लेकिन पहली बार विपक्ष की शक्ल देने के लिए गठबंधन की जरूरत पड़ेगी। गठबंधन की बात करें तो 30 साल बाद पहली बार भारत की जनता ने किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत दिया। उन्होंने गठबंधन की राजनीति के नुकसान देख लिए हैं इसलिए बड़ी समझदारी का परिचय दिखाते हुए उन्होंने भाजपा को स्पष्ट बहुमत दिया है ताकि उसको गुड गवर्नेंस में कोई दिक्कत न हो। इस चुनाव में जातीय और सामाजिक बुनियाद पर बने कई किले भी ध्वस्त हो गए। बसपा, द्रमुक और रालोद जैसे दल तो अपना खाता भी नहीं खोल सके। आम आदमी  पार्टी जो बहुत कूद रही थी, को मुश्किल से चार सीटें मिली हैं और वोट प्रतिशत भी 2.2 प्रतिशत है जिससे उसका राष्ट्रीय पार्टी का सपना भी चकनाचूर हो गया। दिल्ली में जहां नवम्बर में केजरीवाल एण्ड कम्पनी को अभूतपूर्व विजय मिली थी, को इस बार धूल चाटनी पड़ी और सातों सीटों पर उसका सूपड़ा साफ हो गया।  बड़बोले कुमार विश्वास तो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। केजरीवाल एण्ड कम्पनी के राजनीतिक भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। नरेन्द्र मोदी ने एक ही झटके में दोनों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को उसकी औकात दिखा दी। आम चुनाव के दौरान पूरी सियासत पर खुद को केंद्रित रखने में सफल रहे मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर बिना भेदभाव और बिना किसी दबाव में आगे बढ़ने के अपने सुशासन के एजेंडे का संकेत भी दे दिया है। अपने सख्त फैसलों और किसी के दबाव में न आने की पहचान वाले मोदी को जनादेश भी खुलकर काम करने को मिला है। अपने नाम के बूते पर बहुमत से करीब एक दर्जन ज्यादा सीटें (282) लेकर आए मोदी के लिए न पार्टी में किसी से झुकने की जरूरत होगी और न ही गठबंधन की सियासत का उन पर दबाव होगा। अब की बार मोदी सरकार, यह दिल मांगे मोर और कांग्रेस मुक्त भारत जैसे नारों को जनमत ने हकीकत में बदल दिया है। पूरे देश की उम्मीदें और अपेक्षाओं का पहाड़ मोदी के लिए चुनौती है। आम जनता सिर्प इतना चाहती है कि बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आर्थिक विकास पर ठोस नीतियां हों। देश के नौजवान वर्ग ने जमकर मोदी को वोट दिया है। उसको अपने बेहतर भविष्य की उम्मीद है। उसे रोजगार मिलने की उम्मीद है। आर्थिक विकास के नाम पर पिछले 10 सालों से बेरोजगारी और महंगाई की पीड़ा पर झूठे वादे, महंगाई कम करने के लिए डेट पर डेट देती आ रही यूपीए सरकार ने युवाओं में मायूसी का माहौल बना दिया था। अब उन्हें इस माहौल में उम्मीद की एक किरण दिखाई दे रही है। मोदी ने अपने प्रचार में महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, विकास जैसे मुद्दों पर फोकस किया जिसके आधार पर जनता ने रिकार्ड मतदान किया। जनता इस बात के लिए भी बधाई की पात्र है कि उसने तीसरे मोर्चे के आधार को नकार दिया है। अग्नि-परीक्षा में हमें अमित शाह की मेहनत को नहीं भूलना चाहिए। पिछले साल जब मई में अमित शाह को यूपी का प्रभारी बनाया गया था तब भाजपा बुरी तरह खेमों में बंटी हुई थी। 2009 में भाजपा की उत्तर प्रदेश में कुल 10 सीटें थीं। शाह ने न सिर्प गांव-गांव में जमीनी कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी की बल्कि यूपी में सही समय पर प्रभावी मुद्दे उठाए। उदाहरण के तौर पर आजमगढ़ को आतंकगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपमान का बदला लो... (बटन दबाकर) ने अपना रंग दिखा दिया। कांग्रेस शासित राज्यों में भी मोदी की लहर चली। हरियाणा, कर्नाटक व पश्चिम  बंगाल जैसे राज्यों में भाजपा की जीत अद्वितीय है। कांग्रेस की एंटी इंकम्बैंसी वोट जो आप को मिलना  था वह इस बार भाजपा को मिल गया। वर्तमान लोकसभा में भाजपा के 116 सदस्य हैं और उसकी वोट की हिस्सेदारी 18.8 प्रतिशत थी। कांग्रेस 28.55 प्रतिशत वोट हासिल कर 206 सदस्यों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी। इस बार भाजपा को 31.4 प्रतिशत वोट और 282 सीटें मिलीं जबकि कांग्रेस को सिर्प 19.5 प्रतिशत वोट मिले और वह 44 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी स्वीकारते हुए कहा कि जनादेश कांग्रेस के खिलाफ है। आज से एक साल पहले तक अनाम से शायद ही किसी ने सोचा होगा कि गुजरात के एक कस्बे में जन्मे नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जोकि बचपन में चाय बेचते थे एक दिन भारतीय लोकतंत्र में नया इतिहास रचेंगे? 16वीं लोकसभा चुनाव के जैसे नतीजे आए हैं उसकी प्रशंसा करने के लिए शब्द भी कम हैं। बस इतना ही कह सकते हैं कि अद्भुत! अकल्पनीय और ऐतिहासिक। लगता है, अच्छे दिन आ गए हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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