Saturday 17 May 2014

महंगाई, उत्पादन में गिरावट नई सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी

देश के औद्योगिक उत्पादन में लगातार गिरावट और बढ़ती महंगाई इस माह के अंत तक सत्ता संभालने वाली नई सरकार के लिए प्रमुख चुनौती साबित होगी। केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (सीएसओ) द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में लगातार दूसरे महीने गिरावट रही और यह घटकर 0.5 फीसदी पर आ गई जबकि अप्रैल में खुदरा महंगाई बढ़कर तीन महीनों में उच्च स्तर 8.59 फीसदी पर पहुंच गई। पिछले साल मार्च में औद्योगिक उत्पादन 3.5 फीसदी था। लोकसभा का नौ चरणों में मतदान सोमवार को समाप्त हुआ और मतगणना शुक्रवार को होगी। एग्जिट पोल की मानें तो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की पूरी संभावना है। मोदी के लिए अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाना एक मुश्किल चुनौती साबित होगी। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी कहते हैं कि इंफ्रास्ट्रक्चर  और मैन्यूफैक्चरिंग परियोजनाओं जैसे दिल्ली, मुंबई इंडस्ट्रीयल कारिडोर (डीएमआईसी) परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाकर और कर नीति में स्पष्टता लाकर निवेशकों को भरोसा लौटाना होगा। एग्जिट पोल के नतीजों से शेयर बाजार में एक नई तेजी जरूर आई है। आंकड़ों को देखें तो महंगाई आसमान छू रही है। सब्जी, फल और दूध की बढ़ी कीमतों के चलते खुदरा महंगाई 8.59 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई जो तीन महीनों में सबसे ज्यादा है। बढ़ती महंगाई के चलते रिजर्व बैंक पर नीतिगत दरों में रियायत न देने का दबाव बनेगा। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक 3 जून को करेगा। तब तक नई सरकार का गठन भी हो चुका होगा और प्राथमिकताएं भी तय हो चुकी होंगी। यदि एनडीए की सरकार बनती है तो सबसे बड़े बदलाव हमें अपनी इकोनॉमी व आर्थिक मोर्चे पर देखने को मिल सकते हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और वित्त सचिव अरविन्द मायाराम नई सरकार के निशाने पर होंगे। एक अहम क्षेत्र जहां नई सरकार को आते ही फैसला करना होगा वह है बैंकिंग सेक्टर। सबसे पहले बैंकिंग सेक्टर के अटके हुए फैसले लेने होंगे। रिजर्व बैंक ने जो भारी-भरकम गलतियां कीं, उनसे ग्रोथ रुक गई है। जब डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हो रहा था तो हमने डॉलर का रिजर्व खड़ा न करने की भारी चूक की। तीन साल से छह प्रतिशत से नीचे चल रही विकास दर के लिए टारगेट 10 प्रतिशत है। अगर यह टारगेट पूरा होता है तब जाकर विकास नजर आएगा। बता दें कि चीन में यह सात प्रतिशत से ऊपर है। देश का सबसे चिंताजनक सेक्टर है उत्पादन सेक्टर यानि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर। इसकी ग्रोथ पिछले साल से 0.2 फीसदी घटकर 0.1 फीसदी रह गई है। दो साल पहले तक यह 7.5 फीसदी थी। मुद्रास्फीति के दावे छह प्रतिशत तक लाने के थे लेकिन मार्च में यह 8.3 फीसदी रही। इसके चार फीसदी रहने पर ही बाजार में चीजों के दाम संतुलित होंगे। देश का एक बहुत अहम क्षेत्र है कृषि। पिछले साल की ग्रोथ 1.4 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 4.6 फीसदी है। लेकिन उम्मीद ज्यादा है, क्योंकि जीडीपी में इस सेक्टर की हिस्सेदारी 16.9 प्रतिशत है। मैंने कुछ प्रमुख क्षेत्रों का जिक्र किया है। ऐसे दर्जनों आर्थिक क्षेत्र हैं जिन पर नई सरकार को न केवल आते ही ध्यान देना होगा पर गलत नीतियों को प्राथमिकता के अनुसार सही करना होगा और उन पर अमल करना होगा।

-अनिल नरेन्द्र

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