Tuesday 20 May 2014

उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार का भविष्य अब अधर में

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अत्यंत खराब प्रदर्शन के साइड इफेक्ट जल्दी दिखने लगे हैं। असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इस्तीफा दे दिया है। इधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपना पद छोड़ दिया है। अब उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार का भविष्य थोड़ा डांवाडोल जरूर लग रहा है। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए पौड़ी गढ़वाल के सांसद रहे दिग्गज नेता सतपाल महाराज ने कहा कि अब जल्द ही देहरादून में भी कमल खिलेगा। सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों का भाजपा में स्वागत है। सतपाल महाराज ने लोकसभा चुनाव के ऐन मौके पर कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा का थाम लिया था। मुख्यमंत्री हरीश रावत उसी दिन से अपनी सरकार बचाने में लगे हुए हैं। मजेदार बात यह भी है कि सतपाल महाराज की पत्नी अमृता रावत खुद कांग्रेस सरकार में मंत्री हैं। कांग्रेस सरकार में सतपाल के करीबी अब भी चार-पांच विधायक हैं। जब दो महीने पहले सतपाल ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था तभी से सरकार पर खतरा मंडरा रहा था। लेकिन उस वक्त लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती थी जिससे चुनाव पर असर पड़े। अभी 70 विधायकों वाली उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस के 33 विधायक हैं और भाजपा के 30। यूकेडी, बीएसपी और निर्दलीयों को मिलाकर सात विधायक हरीश रावत की कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं। यदि भाजपा इन्हें सरकार से हाथ खींचने के लिए मना लेती है तो विधनसभा में कांग्रेस को बहुमत साबित करना होगा। फिर सतपाल महाराज के समर्थक भी पाला बदल सकते हैं हालांकि उन्हें एंटी डिफेक्शन कानून का ध्यान रखना होगा। चुनाव के नतीजों से हरीश रावत को व्यक्तिगत झटका भी लगा है। वह सूबे की चारों सीटें हार गए हैं। हद तो तब हुई जब हरिद्वार से उनकी पत्नी तक हार गईं। सतपाल महाराज उत्तराखंड के दिग्गज नेताओं में से एक हैं। आध्यात्मिक गुरु होने की वजह से उनका राज्य ही नहीं बल्कि राज्य के बाहर भी खासा जनाधार है। चुनाव के नतीजों के बाद उत्तराखंड सरकार पर संभावित खतरे को देखते हुए कांग्रेस खासी सतर्प हो गई है। बताया जा रहा है कि सरकार को भाजपा से नहीं बल्कि अपनों से भी खतरा है। भीतरखाने तलाश की जा रही है कि कांग्रेस के कौन-कौन विधायक सरकार को अस्थिर करने में भूमिका निभा सकते हैं। हरीश रावत खेमा लगातार कांग्रेसी विधायकों की टोह ले रहा है साथ ही पलटवार करने के लिए भाजपा विधायकों में से कमजोर कड़ियों की तलाश भी की जा रही हैं यानि मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनका खेमा पूरी तरह से संभावित सियासी आपदा के प्रबंधन में जुट गया है। उत्तराखंड सरकार की स्थिरता पर खतरे के अंदेशे को लेकर कांग्रेस में अंदरखाने हलचल मची हुई है। बेशक ऊपरी तौर पर कांग्रेस के नेता सरकार पर किसी भी संकट की संभावना को सिरे से नकार रहे हों लेकिन सरकार व संगठन के रणनीतिकार सियासी हालत पर पैनी नजर रखे हुए हैं। लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल भाजपा ने राज्य सरकार की स्थिरता को मुद्दा बनाते हुए कहा था कि हरीश रावत सरकार कांग्रेसियों की अंतर्पलह से खुद ही गिर जाएगी।

-अनिल नरेन्द्र

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