Sunday, 25 May 2014

इन आतंकियों के दुस्साहस की पराकाष्ठा का करारा जवाब देना होगा

प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेन्द्र मोदी को एक क्षेत्र पर विशेष ध्यान देना होगा। यह है आतंकवाद और हिंसात्मक सियासत आतंकवाद। पहली श्रेणी में तो यह जेहादी गुट आते हैं जिन्हें पाकिस्तान पूरा समर्थन दे रहा है चाहे वह भारत के अंदर हों या बाहर। दूसरी श्रेणी में नक्सली आते हैं जो अलग कारणों से मौत का तांडव मचाए रहते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि नरेन्द्र मोदी और भाजपा सरकार के सत्ता में आने से पाकिस्तान दहशत में है पर देश के अंदर इन जेहादी आतंकियों के साहस आसमान छू रहे हैं। दरअसल पिछले 10 वर्षों से उनका सामना एक कमजोर, इच्छाशक्तिविहीन संप्रग सरकार से हुआ और उन्हें विश्वास हो गया कि कुछ ठोस करना तो दूर रहा यह सरकार तो वोट बैंक के चक्कर में हमारी मदद ही करती है। इसी कमजोर नीति का नतीजा है कि भोपाल की अदालत में पेशी के बाद स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के आतंकियों ने जिस तरह देश के भावी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध आपत्तिजनक नारेबाजी की वह उनके  दुस्साहस की पराकाष्ठा है। यह घटना तब हुई जब प्रतिबंधित सिमी के गिरफ्तार आतंकियों को पेश करने के बाद जेल परिसर में खड़ी वैन की तरफ ले जाया जा रहा था। तभी खांडवा जेल से फरार आतंकी अबु फैजल ने मोदी के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने बताया कि उसने नरेन्द्र मोदी को धमकी देते हुए नारे लगाए `अब की बार मोदी का नंबर है।' इसके अलावा इन सिमी आतंकियों ने यह भी नारे लगाए कि `दुनिया की एक ही ताकत अल्लाह है, तालिबान आएगा और नरेन्द्र मोदी जाएगा और अब की बार मोदी की बारी है।' जिन सिमी आतंकवादियों को अदालत में पेश किया गया था उनमें खांडवा जेल से फरार अबु फैजल, जिसे बाद में बडवानी के निकट पकड़ा गया था, अकील खिलजी, रकीब सादिक हबीब, इसरार, खालिद अहमद, इरफान नागौरी, अब्दुल अजीज, अब्दुल वाहिद, मोहम्मद खालिद, अब्दुल माजिद व जुबेर शामिल थे। वैसे देश वोट के माध्यम से इन भभकियों और उनके आकाओं को करारा जवाब तो दे चुका है पर मोदी सरकार से उम्मीद की जाती है कि वह इस ओर विशेष ध्यान दे। मेरी राय तो यह है कि फिर से आंतरिक सुरक्षा का अलग मंत्रालय बनाया जाना चाहिए जो विभिन्न इंटेलीजेंस व सुरक्षा एजेंसियों में बेहतर तालमेल स्थापित करे। एनआईए जैसी बकवास एजेंसी को या तो ओवर हॉल करके प्रभावी बनाया जाए या फिर इसे समाप्त करके नई फोर्स तैयार की जाए। आईबी, रॉ व अन्य इंटेलीजेंस एजेंसियों में रिक्त स्थानों को भरा जाए और फील्ड स्टाफ बढ़ाया जाए। मुखबिर की स्कीम को फिर से प्रभावी बनाया जाए। यह सब गृहमंत्रालय के अधीन प्रभावी ढंग से नहीं हो सकता। जरूरत इस बात की भी है कि पाकिस्तान को कड़ा स्पष्ट संदेश दिया जाए कि अगर उसकी धरती का इस्तेमाल इन जेहादी गुटों ने किया तो भारत कड़ा जवाब देगा। सीमा पर सेना व अर्द्धसैनिक बलों को जवाबी कार्रवाई करने की खुली छूट दी जाए। मोदी शासन को पाकिस्तान को यह समझाना होगा कि अगर उसकी धरती से आए आतंकियों ने चाहे वह किसी देश में क्यों न हों, हमारे जवानों के फिर सिर काटे तो भारत मूकदर्शक नहीं बना रहेगा, भारत ईंट का जवाब पत्थर से देगा।

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