Sunday, 11 May 2014

बाबा विश्वनाथ की काशी में चुनाव नहीं कुरुक्षेत्र का युद्ध है...(2)

बाबा विश्वनाथ की इस ऐतिहासिक नगरी काशी में सिर्प चुनाव नहीं हों रहा बल्कि यहां तो कुरुक्षेत्र का युद्ध हो रहा है। एक तरफ हैं भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी तो दूसरी तरफ बाकी 41 योद्धा। बनारस के रणक्षेत्र में नाम वापसी के बाद चुनावी रण में 42 योद्धा हैं मैदान में पर 41 योद्धा अकेले नरेन्द्र मोदी से लड़ रहे हैं। लोकसभा के अंतिम चरण के लिए भाजपा ने अपने सारे दांव खेलने शुरू कर दिए हैं। मोदी के लिए अब खुंदक की लड़ाई शुरू हो चुकी है। उनके मिशन 272+ की सारी आशाएं अब 12 मई के मतदान पर टिकी हैं। दरअसल पार्टी के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण उत्तर प्रदेश की बाकी सीटें हैं जिनमें सबसे महत्वपूर्ण बनारस है। मां गंगा और बनारस से पुराना नाता है और गंगा ने बुलाया है जैसे जुमलों से काशीवासियों के दिल में जगह बनाने वाले नरेन्द्र मोदी अब ब्रांड बनारस की बात करते नजर आएंगे। भाजपा ने गत दिनों मोदी के सपने पर आधारित विजन बनारस डाक्यूमेंट जारी किया। नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को मुंबई दिल्ली, चंडीगढ़ की तर्ज पर बनारस को विकसित करने का वादा किया। उन्होंने कहा कि इस शहर को भी नियमित आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाएंगे। मोदी ने काशी से जुड़ाव, गंगा से लगाव के साथ विकास के प्रति झुकाव जाहिर करते हुए मतदाताओं से समर्थन मांगा। रोहनिया विधानसभा क्षेत्र के जगतपुर में मोदी ने कहा कि उनके पास काशी के विकास का एजेंडा है। बेनीयाबाग में सभा की अनुमति नहीं मिलने के बाद लंका पर सुबह किया गया शक्ति प्रदर्शन शाम को काशी की सड़कों पर केसरिया सैलाब उमड़ पड़ा। बीएचयू सिंधद्वार स्थित मालवीय की प्रतिमा पर शीश नवाकर अपने केंद्रीय चुनाव कार्यालय के लिए चले नरेन्द्र मोदी के स्वागत में पूरा काशी सड़कों पर उतर आया। शाम 6.05 बजे से बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से चला मोदी का काफिला रात करीब सवा नौ बजे भाजपा कार्यालय पहुंचा। 25 मिनट का रास्ता भीड़ के कारण साढ़े तीन घंटे में तय हो पाया। भले ही भाजपा ने रोड शो की अनुमति नहीं ली हो लेकिन बीएचयू से केंद्रीय चुनाव कार्यालय तक चले काफिले के स्वागत के लिए पार्टी ने सड़क के दोनों ओर केसरिया जवान उतार दिए। मोदी ने रोहनिया की सभा में खुद को किसानों, बुनकरों, गरीबों, बेरोजगारों के खेवनहार के रूप में पेश किया। कट्टर हिन्दूवादी नेता की छवि के आरोपों से उबरने और गंगा-जमुनी संस्कृति के शहर से दिल का नाता जोड़ने का उनका जुदा अंदाज लोगों का बरबस ध्यान खींच रहा था। भीड़ के बीच मंच पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के करीबी कर्नल निजामुद्दीन के पैर छूकर बड़ों के सम्मान के प्रति अपनी परिपाटी जाहिर की तो शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की गंगा के प्रति गहरी आस्था का बखान कर दूर की कौड़ी खेली। करीब 103 साल की उम्र में चलने-फिरने में असमर्थ हो चुके कर्नल निजामुद्दीन को कुछ लोग गोद में बिठाकर मंच पर ले आए। मोदी ने उनका पैर छूकर जब आशीर्वाद लिया तो भीड़ में खड़े लोग चेहरे का पसीना पोंछने की बजाय एक-दूसरे का मुंह देखने लगे। आठवें चरण का चुनाव सम्पन्न हो चुका है। अब अंतिम चरण में पूर्वी यूपी की 18 और बिहार की छह सीटों पर चुनाव होना है। इन सीटों पर भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। मोदी ने यहां पर प्रियंका गांधी वाड्रा के बयान पर अपने को निचली जाति का बताकर अपनी पकड़ दलित और पिछड़ी जातियों में बनाने की कोशिश की है। इसका फायदा भी मिल सकता है। पिछड़ी जातियां समाजवादी पार्टी की तरफ और दलित बहुजन समाज पार्टी का मजबूत वोट बैंक है। इसकी वजह से भाजपा को हराने के लिए मुस्लिम सपा या बसपा को एक साथ वोट कर सकते हैं। भाजपा एक तरफ नमो लहर के सहारे बनारस सीट पर भारी जीत का दावा कर रही है वहीं जातीय आधार पर वोटों के गुणा-भाग को भी देख रही है। चुनाव प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि चुनाव में जातीय समीकरण हावी हो रहे हैं, इसके आगे विकास और बेहतरी के दावे भी असर नहीं करते। वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली ने कहा कि बनारस में जनता को तय करना पड़ेगा कि उनका प्रतिनिधि कौन होगा। एक तरफ भावी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं तो दूसरी तरफ मुख्तार अंसारी द्वारा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय। दरअसल वाराणसी की सीट महज एक सीट नहीं है  बल्कि देश के भविष्य और प्रतिष्ठा का भी सवाल है। अरविन्द केजरीवाल यदि वाराणसी में वोटरों से यह कह रहे हैं कि मैं झोली फैलाकर भीख मांगने आया हूं तो इसके पीछे अहम वजह है। दरअसल केजरीवाल की साख ही नहीं आम आदमी पार्टी का भविष्य भी निर्भर है। दूसरी ओर वाराणसी के मतदाता महज एक उम्मीदवार को नहीं चुन रहे वह देश के भावी प्रधानमंत्री को चुन रहे हैं। मैं बात अब कर रहा हूं नरेन्द्र मोदी की। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी सभी की प्रतिष्ठा काशी पर टिकी है। वाराणसी में संघ ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। हजारों की संख्या में बाहर से आए संघ  के स्वयंसेवक घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं और कांग्रेस के पास ऐसा प्रचार करने के लिए पर्याप्त संख्या में कार्यकर्ता भी नहीं हैं। कांग्रेस को तो राहुल के रोड शो के लिए सेवा दल के कार्यकर्ता बाहर से बुलाने पड़े हैं। वाराणसी में एक मिनी गुजरात भी बसता है। यहां का चौखम्भा इलाका गुजरातियों से भरा पड़ा है। स्थानीय लोगों के अनुसार चार सौ साल पहले गुजरात से रोजगार की तलाश में आए लोग यहां बस गए। चौखम्भा इलाके में गुजरातियों की सबसे घनी आबादी वाली गलियों का जाल है और 50 हजार से ज्यादा गुजराती यहां रहते हैं। नरेन्द्र मोदी यह भी बताने में चूक नहीं करते कि गुजरात में बसे मुसलमान देश के सबसे सम्पन्न मुसलमान हैं। मोदी ने साहस का परिचय देते हुए अवैध रूप से देश में बसे बंगलादेशियों को भी निकाल बाहर करने की धमकी दे दी। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत सभी विपक्षी नेताओं पर वोट बैंक की राजनीति के चलते बंगलादेशियों का स्वागत करने का आरोप लगाया जिससे ममता तिलमिला उठी हैं और मोदी को गालियां दे रही हैं। वाराणसी में नया इतिहास बनने जा रहा है। भगवान शिव की इस ऐतिहासिक नगरी काशी में साधारण चुनाव नहीं हो रहा बल्कि कुरुक्षेत्र की लड़ाई चल रही है। यहां नरेन्द्र मोदी बनाम सारे की इस लड़ाई में हमें तो कोई संदेह नहीं कि मोदी भारी बहुमत से जीत दर्ज करेंगे और बाकी सभी की रणनीति धरी-धराई रह जाएगी। वह बेशक चाहे जितने भी चक्रव्यूह रचें नरेन्द्र मोदी चक्रव्यूह को भेद कर विजयी रहेंगे। बाकी तो चुनाव हैं। देखें, 16 मई को ईवीएम मशीनों से क्या परिणाम निकलते हैं। (समाप्त)
-अनिल नरेन्द्र


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