थूक के चाटने की आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल की आदत-सी बन गई है। मुचलका न भरने को खुद का
व पार्टी का अहम नियम बताकर इसे भरने से इंकार करने पर जेल भेजे गए अरविंद केजरीवाल
ने मंगलवार को मामले में यू-टर्न लेते हुए खुद ही पार्टी के अहम
नियम को तोड़ दिया। केजरीवाल ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती हाई कोर्ट में दी थी
जिसके तहत बांड न भरने पर उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया था। मंगलवार को हाई कोर्ट ने
कड़ी फटकार लगाते हुए केजरीवाल से कहाöपहले बांड भरकर बाहर आएं
फिर कानूनी सवाल खड़े करें। वह इसे सम्मान से जोड़कर न देखें। केजरीवाल ने निचली अदालत
में जाकर बांड भरा और बाहर आए। अरविंद केजरीवाल को बाहर आने के लिए कई तरह के दबाव
थे। छह महीने पहले जिस आम आदमी पार्टी से वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद दिखी थी वह आज
बिखरने के कगार पर आ गई है। आम आदमी पार्टी ने ख्वाबों में उम्मीदों की जो इमारत तामीर
की थी उसकी दीवारें अब दरकने लगी हैं। दिल्ली के आम आदमी की नब्ज पकड़कर एका एक देश
के सियासी आसमान पर छा जाने वाली आम आदमी पार्टी पर अब अविश्वास के बादल छाने लगे हैं,
साथ ही नाउम्मीदी भी बढ़ने लगी है। तभी तो शाजिया इल्मी और कैप्टन
गोपीनाथ जैसे लोग पार्टी छोड़ गए, वह भी स्वराज की बात करने वाली
पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र न होने की तोहमत लगाकर। जानकारों की मानें तो पार्टी के
अंदर मची उथल-पुथल का यह शुरुआती नतीजा है। अभी कई और बड़े दिग्गज
पशोपेश में हैं कि उन्हें अब आगे क्या करना चाहिए? शाजिया ने
जिस तरह के गम्भीर सवाल उठाते हुए पार्टी से इस्तीफा दिया है वह चौंकाने वाला जरूर
है। शाजिया न केवल पार्टी की संस्थापक सदस्य और प्रमुख मुस्लिम चेहरा रही हैं बल्कि
अन्ना आंदोलन के वक्त से ही बेहद सक्रिय रही हैं। पार्टी छोड़ते वक्त शाजिया ने न केवल आप में आंतरिक लोकतंत्र के
अभाव का आरोप लगाया बल्कि केजरीवाल की जेल और बेल की राजनीति को भी निशाना बनाया। यह बेहद गम्भीर बात है कि जो पार्टी
स्वराज को अपना मुख्य मुद्दा बताती रही हो उसकी एक संस्थापक सदस्य खुद पार्टी में आंतरिक
लोकतंत्र के अभाव का आरोप लगाए। आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता का ग्रॉफ कितनी तेजी
से गिर रहा है इसका एक परिचायक पार्टी को आने वाला चंदा भी है। सोमवार को शाम
4 बजे तक दिल्ली से महज 4 लोगों ने 711
रुपए का चंदा पार्टी को दिया। यह इस महीने के किसी एक दिन में दिल्ली
से पार्टी को तीसरी बार मिला सबसे कम चंदा है। पिछले छह दिनों में दिल्ली से पार्टी
को कुल मिलाकर एक लाख रुपए का चंदा भी नहीं मिला। दानी लोगों का कहना है कि हमारी नाराजगी
के कई कारण हैं। पहले केजरीवाल का सरकार से भागना और उसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति
शासन, लोकसभा चुनाव में पार्टी को करारी शिकस्त, पार्टी के बड़े नेताओं का इस्तीफा और नदारद रहना, विधानसभा
चुनाव को लेकर पार्टी का बदला स्टैंड और अब केजरीवाल का बेल-जेल
का चक्कर। दो कदम आगे और फिर दो कदम पीछे की सियासत करने की वजह से पार्टी की छवि को
भारी नुकसान हुआ है। अरविंद केजरीवाल अब बाहर आ गए हैं। उनका पहला काम होगा अपने बिखरते
कुनबे को सम्भालना।
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