Thursday, 1 May 2014

तीन पूर्व मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री की पत्नी, पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा उत्तराखंड से मैदान में

आमतौर पर उत्तराखंड से आम चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही मुकाबला होता रहा है और इस बार भी है पर इस बार चुनाव से ठीक पहले नेतृत्व परिवर्तन तथा सतपाल महाराज के पाटी बदलने से बने समीकरण से मुख्यमंत्री हरीश रावत की पतिष्ठा तथा सरकार दोनों दांव पर लगी हैं। उत्तराखंड में लोकसभा के लिए 7 मई को मतदान होगा। इस बार का चुनाव 2004 और 2009 से ज्यादा दिलचस्प है क्योंकि भाजपा ने अपने तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों मेजर जनरल (अवकाश पाप्त) भुवन चंद्र खंडूरी को पौड़ी संसदीय क्षेत्र से, भगत सिंह कोश्यारी को नैनीताल व डा. रमेश पोखरियाल निशंक को हरिद्वार से चुनाव में उतारा है। दरअसल भाजपा पदेश में अपनी दूसरी लाइन तैयार करना चाहती है। सूत्रों के अनुसार इन तीनों वरिष्ठ नेताओं को चुनाव मैदान में उतारने के पीछे मंशा साफ है कि यदि पदेश भाजपा के तीनों वरिष्ठ नेता चुनाव जीतते हैं तो इन तीनों का सीधा दखल पदेश की सियासत में कम हो जाएगा। इससे पदेश में गुटबाजी पर भी लगाम लगेगी। राज्य की पांचों सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों पर विकास की अनदेखी, जनता से कटना और जातिगत खाई को बढ़ावा देने समेत कई पकार के आरोप जग रहे हैं। इस बार चुनाव में एक बड़ा मुद्दा करीब एक साल पहले 15-16 जून को उत्तराखंड में आई आपदा का पबंध भी है, कांगेस के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को इसीलिए कुसी छोड़नी पड़ी। इसके बावजूद आपदा से पीड़ित लोगों की पीड़ा कम नहीं हुई है। पीड़ित चाहे पहाड़ के हों या फिर मैदान के। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में विजय बहुगुणा को सीएम पद से हटाया ताकि यह संदेश जा सके कि आपदा के कार्यें में कोताही बरतने वालों को माफ नहीं किया जाएगा। मगर हरीश रावत भी आपदा पीड़ितों की पीड़ा अब तक कम नहीं कर पाए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में आपदा सबसे बड़ा मुद्दा है। इसका जवाब दोनों कांग्रेस और भाजपा से जनता मांग रही है। अब बात करते हैं कुछ पमुख सीटों की। पौड़ी गढ़वाल संसदीय सीट भुवन चंद्र खंडूरी के लिए नई नहीं है। वह यहां से चार बार सांसद रह चुके हैं। भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल से चुनाव लड़ रहे हैं। यहां कांग्रेस ने 2009 में विजयी रहे अपने सांसद केसी बाबा को फिर से मैदान में उतारा है। बाबा यदि चुनाव जीतते हैं तो उनकी हैट्रिक होगी। कोश्यारी वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से चुनाव मैदान में हैं और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक हरिद्वार से चुनाव मैदान में हैं। यह सीट कांग्रेस के लिए बेहद खास है क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत चुनाव मैदान में हैं। वर्ष 2009 में  यहीं से हरीश रावत विजयी हुए थे। हरिद्वार में आम आदमी पाटी के पदेश के पूर्व डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य भी चुनाव मैदान में हैं जबकि बसपा से हाजी मो. इस्लाम यहीं से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मुख्यमंत्री की पत्नी रेणुका रावत के यहां से लड़ने से हरिद्वार वीआईपी सीट हो गई है। टिहरी से कांग्रेस पत्याशी के तौर पर दूसरी बार मैदान में उतरे पूर्व सीएम विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत बहुगुणा के लिए भी इस बार चुनौती कड़ी है।  जैसा मैंने कहा कि इस चुनाव पर न केवल हरीश रावत, उनकी पाटी का भविष्य दांव पर है बल्कि उनकी सरकार की आयु भी 16 मई के परिणामों पर निर्भर करेगी। तीन पूर्व मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री की पत्नी, पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा, कुल मिलाकर उत्तराखंड लोकसभा चुनाव मजेदार है।

-अनिल नरेन्द्र

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