कांग्रेस ने लोकसभा 2014 चुनाव में एक तरह से अपनी हार मान ली है। यह हम इसलिए
कह रहे हैं क्योंकि कांग्रेस ने चुनाव बाद के घटनाक्रम पर अब ध्यान देना शुरू कर दिया
है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि यदि वह चुनाव हार गई तो वह भाजपा का खेल बिगाड़ने
की हर सम्भव कोशिश करेगी। इसके लिए चुनाव बाद बनने वाले तीसरे मोर्चे की सरकार को बाहर
से समर्थन देने से लेकर उसमें शामिल होने तक के तमाम विकल्पों को पार्टी ने खुला रखा
है। कांग्रेस नरेन्द्र मोदी को चुनाव बाद भी प्रधानमंत्री बनने से रोकने की पूरी कोशिश
करेगी, कांग्रेस के नेताओं के बयानों से साफ हो गया है। सूत्रों
के मुताबिक अगर एनडीए 220 से 230 सीटों
पर सिमटता है तो कांग्रेस गैर एनडीए दलों को अपने साथ जोड़ने की रणनीति पर काम करेगी।
बशर्ते उस स्थिति में कांग्रेस के पास भी 100 से 120 सीटें हों। कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि अगर पार्टी को 140 के आसपास सीटें मिलती हैं तो वह 2004 की तरह एनडीए विरोधी
गठबंधन का नेतृत्व करने की भूमिका में आ सकती है। इसके साथ कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों
को इस तरह के संकेत भी दे रही है कि उन्हें मोदी के नेतृत्व से कहीं ज्यादा तवज्जों
कांग्रेस के नेतृत्व में मिलेगी। सूत्रों ने कहा कि अगर कांग्रेस अग्रणी भूमिका में
नहीं आती है तो या पीएम पद को लेकर उसका रुख लचीला है। वह खुद को क्षेत्रीय दलों के
लिए भाजपा से बेहतर विकल्प के तौर पर पेश करना चाहती है। कपिल सिब्बल, महाराष्ट्र में पृथ्वीराज चव्हाण तथा यूपी में सलमान खुर्शीद ने यही बात डंके
की चोट पर कही है। पार्टी के लोग मानते हैं कि यदि राजग 225 सीटों
तक रुक गया तो भी बाकी का बहुमत हासिल करने के लिए उसे मोदी को मैदान से हटाना होगा।
क्योंकि उनके नाम पर जयललिता भले ही सहमत हो जाएं लेकिन ममता और मायावती किसी भी हाल
में रजामंद नहीं होंगी। क्योंकि यूपी और पश्चिम बंगाल में यह दोनों ही दल मुस्लिम मतदाताओं
को किसी हाल में नजरअंदाज नहीं कर सकते। जबकि सपा और वामपंथी तो कभी भी भाजपा का साथ
नहीं देने वाले और नीतीश ने मोदी से ताजा दुश्मनी की है। यही कारण है कि कांग्रेसी
दिग्गज मुस्लिम बहुल इलाकों में इस बात का इशारा कर रहे हैं कि वो अगर कांग्रेस को
वोट न दे सकें या न देना चाहें तो वह ऐसी पार्टी, ऐसे उम्मीदवार
का समर्थन करें जो भाजपा को हरा सकता है और किसी भी हाल में चुनाव बाद भाजपा से हाथ
न मिला सके। बहरहाल एक दिलचस्प रिपोर्ट बिहार की छपी है। दरभंगा ः हम बिहारी लड़के
अब किसी उद्वव या राज ठाकरे की जलालत नहीं सहने वाले, हमारी तो
आत्मा काम्प जाती है जब मुंबई या महाराष्ट्र में परीक्षा देने की बात आती है। यह टीस
बिहार सहित उन राज्यों के युवाओं की है जो क्षेत्रवाद से प्रभावित हैं। लेकिन अब मोदी
की लहर से इन युवाओं में भी विश्वास और भरोसे की एक उम्मीद जगी है। तभी तो दरभंगा के
राज मैदान में मोदी का भाषण सुनने के
बाद में युवा कहते हैं कि हमें बिहार में ही विकास के अवसर मिलें
ताकि हमें मुंबई या और किसी जगह का रुख न करना पड़े। केंद्र में तो हमें एक ताकतवर
पीएम चाहिए जो विकास कर सके और हमारे युवाओं की उम्मीदें पूरी कर सके। इसीलिए मोदी
को भी एक मौका देने में हर्ज क्या है? युवाओं ने कहा कि इस बार
हम उम्मीदवार का नहीं नरेन्द्र मोदी का मुंह देख रहे हैं। युवाओं को उम्मीद है कि मोदी
विकास की लहर सभी राज्यों में लाएंगे ताकि युवाओं का भविष्य उज्ज्वल हो और हम इस अंधेरे
की काल कोठरी से बाहर निकलें। आज मोदी युवाओं के हीरो हैं और अगर इन्होंने अपना वोट
मोदी को दिया तो कांग्रेस की सारी स्कीमें धरी-धराई रह जाएंगी।
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