Friday, 9 May 2014

अब कांग्रेस भी मानने लगी है कि एनडीए को सत्ता में आने से रोकना असम्भव है

लोकसभा चुनाव के आठवें चरण का मतदान पूरा हो चुका है। लगभग 500 सीटों पर मतदान हो चुका है और नई सरकार की किस्मत ईवीएम मशीनों में कैद हो चुकी है। अब केवल 43 सीटों पर मतदान बचा है। मतदाताओं ने अपनी नई सरकार चुन ली है। यह सरकार किसकी होगी इस प्रश्न का उत्तर तो 16 मई को मतों की गिनती के बाद ही मिलेगा पर सम्भावना इसकी लग रही है कि भाजपा नीत राजग की सरकार बनने जा रही है। अब तो सत्तारूढ़ कांग्रेस भी यह मानने लगी है कि अगली सरकार एनडीए की बन रही है। पार्टी का कहना है कि इस चुनाव में दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों कांग्रेस तथा भाजपा को 300 से अधिक सीटें मिलेंगी तो फिर तीसरे मोर्चे के पास बहुमत कहां से आएगा। कांग्रेस के नियमित संवाददाता सम्मेलन में पार्टी प्रवक्ता शशि थरूर ने कहा कि इस बात का दुप्रचार किया जा रहा है कि कांग्रेस अपने लिए नहीं बल्कि तीसरे मोर्चे की सरकार बनवाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी पहले ही सार्वजनिक तौर पर इस बात से इंकार कर चुके हैं कि कांग्रेस किसी तीसरे मोर्चे को अपना समर्थन नहीं देगी। उन्होंने कहा कि चुनावी परिणाम चाहे जो हों लेकिन एक बात पूरी तरह से स्पष्ट है कि कांग्रेस और भाजपा के 300 से ज्यादा सीटें हर बार की तरह मिलने जा रही हैं। शशि थरूर के  बयान से इतना तो साफ लगता है कि हर हाल में नरेन्द्र मोदी की सरकार को बनने से रोकने में जुटी कांग्रेस भी मान चुकी है कि तीसरे मोर्चे के भरोसे वह भाजपा को नहीं रोक सकती। इसीलिए उसने समय रहते तीसरे मोर्चे को समर्थन देने की रणनीति से अपना कदम पीछे खींचते हुए खुद को आगे करने का ऐलान किया है। मौजूदा सियासी हवा और माहौल समझने के बाद अब कांग्रेस के प्रबंधक मजबूत विपक्ष के विकल्प पर विचार करने के लिए मजबूर हो गए हैं। दरअसल चार चरणों के चुनाव के बाद एकदम से निराशा में आई कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने मोदी को रोकने के लिए तीसरे मोर्चे को समर्थन देने के बयान देने शुरू कर दिए थे। इसका एक संदेश यह जरूर गया कि कांग्रेस ने नतीजों से पहले ही हार मान ली है, साथ ही कांग्रेस काडर के मनोबल पस्त होने की खबरें भी आने लगीं। वास्तव में कांग्रेस प्रबंधकों को यह समझ भी आने लगा है कि लोकसभा का सम्भावित स्वरूप किसी भी कीमत में तीसरे मोर्चे के पक्ष में नहीं है। एक दिलचस्प रिपोर्ट मीडिया में इस सिलसिले में छपी है। आम चुनावों में कांग्रेस के गिरते ग्रॉफ और घटती सीटों का आभास खुफिया ब्यूरो ने सरकार को करा दिया है। शुरू में आईबी ने विभिन्न पार्टियों को मिलने वाली सीटों का अनुमान भी लगाया जिसमें कांग्रेस को 87 सीटें मिलने की सम्भावना जताई गई थी, लेकिन इतनी सीटों के अनुमान के साथ आईबी अधिकारी अपने राजनीतिक आकाओं के सामने जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके और इसे बढ़ाकर 117 करना पड़ा। उस समय आईबी ने एनडीए गठबंधन को 210 से 220 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। कांग्रेस इससे भी खुश थी कि इतनी सीटों पर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से रोका जा सकता है। लेकिन हाल में जब आईबी ने आंकलन किया तो उसमें एनडीए को लगभग 300 सीटें मिलने की सम्भावना सामने आई। आईबी अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए और उन्होंने इस अनुमान को रद्दी की टोकरी में फेंकना बेहतर समझा।

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