जनता
की इच्छा के अनुसार नरेन्द्र मोदी की सरकार बन तो गई किन्तु जनाकांक्षाओं के अनुरूप
सरकार को काम भी करना होगा। यदि सब्सिडी के
12 गैस सिलेंडरों की संख्या घटाकर 9 की जानी है
तो फिर सरकार की छवि जनता में कैसी बनेगी इसका अनुमान लगाने के लिए मस्तिष्क पर ज्यादा
दबाव डालने की जरूरत नहीं है।
अच्छे
दिन आने वाले हैं का जो सपना बांटा गया वह बिखर भी सकता है। यदि सरकार जड़कटे लोगों
के इशारे पर चली तो। कितना आश्चर्यजनक है कि पिछली सरकार को जनविरोधी साबित करने के
लिए भाजपा और नरेन्द्र मोदी ने क्या-क्या तरीके नहीं अपनाए।
कांग्रेस
नीत यूपीए सरकार के प्रति लोगों में धारणा बन गई कि वह जनविरोधी है। पूर्व सरकार चिल्लाती
रही कि पेट्रोलियम उत्पाद के दाम तय करना उसके हाथ में नहीं है लेकिन देश की जनता की
एक न सुनी और यूपीए सरकार ने जनविरोधी साबित करने वाले उन सारे तर्कों को मान्यता दी
जो विरोधी पार्टियों द्वारा पेश किए गए। अब सत्ता संभालते ही पेट्रोलियम मंत्री कह
रहे हैं कि उनके अधिकारियों ने उन्हें जो रिपोर्ट दी है उसके मुताबिक देश के 89 प्रतिशत लोग 9 सिलेंडर ही इस्तेमाल करते हैं। इसलिए 12 से घटाकर
9 किए जा सकते हैं। मंत्री को अधिकारियों द्वारा दी गई उस रिपोर्ट पर
ज्यादा भरोसा लगता है जिसके मुताबिक 70 प्रतिशत परिवार
6 सिलेंडर में काम चला लेते हैं।
भगवान
ऐसे मंत्रियों को सद्बुद्धि दें कि वे अधिकारियों की रिपोर्ट पर पूरी तरह से भरोसा
करके फैसले न लें अन्यथा इस सरकार के बारे में यदि जन धारणा गलत बनी तो देश के लिए
बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी।
असल
में मोदी सरकार के मंत्रियों में ज्यादातर तो अनुभवहीन और जड़कटे हैं जिनकी मजबूरी
है कि वे अफसरशाहों के इशारे पर काम करेंगे। बहरहाल जन धारणाओं को गंभीरता से लेना
होगा मोदी सरकार को।
-अनिल नरेन्द्र
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