Tuesday 16 June 2015

महंगाई से परेशान दिल्लीवासियों पर महंगी बिजली की मार

दिल्ली की सियासत में बिजली पसंदीदा विषय रहा है। आम आदमी पार्टी को दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचाने में भी बिजली की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कम बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल में 50 प्रतिशत कमी करने की घोषणा की थी। इससे दिल्लीवासियों ने राहत की सांस ली थी लेकिन अब एक बार फिर से राजधानी में बिजली महंगी हो गई है। जहां एक तरफ दिल्ली सरकार है तो दूसरी तरफ दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) आमने-सामने आ गए हैं। दिल्ली सरकार में ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने ट्विट किया कि सरकार डीईआरसी को बिजली टैरिफ बढ़ाने के आदेश पर पुनर्विचार को कहेगी। हम इस आदेश से असहमत हैं। डीईआरसी ने एपीलेट ट्रिब्यूनल ऑफ इलैक्ट्रिसिटी (एटीई) के निर्देश का हवाला देकर बिजली वितरण कंपनियों को उपभोक्ताओं से बिजली खरीद समायोजन लागत शुल्क (पीपीएसी) अधिभार वसूलने की अनुमति दे दी है। इससे बिजली चार से छह प्रतिशत तक महंगी हो गई है। इसे रोकने के लिए न तो दिल्ली सरकार और न ही डीईआरसी ने कोई कदम उठाया। राजनीतिक दल अब इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार जहां आयोग के इस निर्णय को अदालत में चुनौती देने की बात कह रही है वहीं विपक्ष का कहना है कि बिजली के दाम बढ़ाने के लिए पूरी तरह से दिल्ली सरकार जिम्मेदार है। रेजीडेंट वैलफेयर एसोसिएशन की भी नाराजगी बढ़ गई है। भाजपा का कहना है कि जिस तरह से शीला दीक्षित सरकार बिजली के दाम बढ़ने पर बयानबाजी करती थी ठीक उसी तरह से आप सरकार भी बात कर रही है। यदि सरकार आयोग के सामने सही ढंग से जनता के हित का पक्ष रखती तो यह स्थिति नहीं होती। अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और ऊर्जा मंत्री सतेंद्र जैन लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि कांग्रेस सरकार की तरह आप सरकार भी बिजली कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए पीपीएसी के बहाने दिल्लीवासियों पर आर्थिक बोझ डाल रही है। आप सरकार इस फैसले को वापस ले तथा कैग से बिजली कंपनियों के खातों की जांच शीघ्र पूरी कर इसे सार्वजनिक करने का अनुरोध करे। उधर नॉर्थ-ईस्ट रेजीडेंट वैलफेयर फैडरेशन के अध्यक्ष अशोक भसीन का कहना है कि एटीई के आदेश पर अमल करने के लिए तीन सप्ताह का समय था लेकिन डीईआरसी ने ट्रिब्यूनल के फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी। साथ ही पीपीएसी निर्धारित करने के लिए जन सुनवाई भी नहीं की गई। आयोग ने कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए चुपचाप पीपीएसी लगाकर दिल्लीवासियों की परेशानी बढ़ा दी है। बिजली महंगी होने से पहले से ही महंगाई से परेशान दिल्लीवासियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ गया है। झुलसा देने वाली इस गर्मी में जहां लोग बिजली की किल्लत से परेशान हैं वहीं कीमत बढ़ने से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

No comments:

Post a Comment