Thursday, 4 June 2015

ऐसे असंवेदनशील अधिकारियों को दंडित करें हरीश रावत

हमारे देश में कुछ अफसरों का चरित्र इतना गिर गया है कि किसी भी त्रासदी को यह अपना लाभ उठाने का मौका बना देते हैं। करीब दो साल पहले उत्तराखंड के केदारनाथ में आई तबाही भीषणतम त्रासदियों में से एक थी जिसमें हजारों लोग मारे गए, अनेक लोग लापता हो गए, कई गांवों और कस्बों का नक्शा ही विलुप्त हो गया और राज्य की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई। ऐसी एक त्रासदी के बाद राहतपुनर्वास और पुनर्निर्माण का काम पतिबद्धता के अलावा संवेदना की भी मांग करता है। जब 2013 में उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ में फंसे लाखें लोगों को पीने का पानी तक मयस्सर नहीं था, वहीं बाढ़ राहत कार्यें की निगरानी में जुटे राज्य सरकार के अधिकारियों ने रोजाना हजारों रुपए का तर माल उठाया। बाढ़ पीड़ित दाने-दाने को मोहताज थे और ये अफसर होटल में बैठकर मटन चांप, चिकन, दूध, पनीर, और गुलाब जामुन खाते हुए राहत और बचाव कार्यें की निगरानी में व्यस्त थे। आरटीआई के जरिए हुए खुलासे के अनुसार अधिकारियों के होटल में ठहरने की अवधि 16 जून 2013 को बाढ़ आने से पहले की दिखाई गई है। आधा लीटर दूध की कीमत 194 रूपए दिखाई गई है जबकि बकरे का गोश्त, मुगी का मांस, अंडे, गुलाब जामुन जैसी चीजें भी बाजार दाम से बहुत उंढची दरों पर  खरीदी दिखाई गई। ऐसी बड़ी त्रासदी के बाद राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण  का काम पतिबद्धता के अलावा संवेदना की भी मांग करता है। लेकिन तबाही की दूसरी बरसी से पहले एक आरटीआई के जरिए हुआ यह खुलासा चौंकाने वाला है। हमारी कार्य संस्कृति में भ्रष्टाचार नई चीज नहीं है। सरकारी कार्य संस्कृति में तो और भी नहीं। लेकिन जब बाढ़ की विनाशलीला के बीच फंसे पड़े भक्तगण और दुर्गम इलाकों मे स्थानीय लोगों को बचाने और उनकी पीड़ा को महसूस करने की जरूरत थी तब भी कुछ अधिकारीगण मौज-मस्ती और बिलों के फजीवाड़े में जुटे थे, तो इससे उनके सिर्फ भ्रष्ट होने का नहीं बल्कि संवेदनहीन होने का भी पता चलता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जो राशि पीड़ितों के खाने के लिए भेजी गई उससे भी इन अधिकारियों ने अपनी दावत का पबंध किया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पूरे मामले के जांच के आदेश दिए हैं। इस घोटाले का खुलासा उस वक्त हुआ जब राज्य सूचना आयुक्त अनिल शर्मा एक आरटीआई आवेदनकर्ता की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों पर सुनवाई की। दस्तावेजों से पता चला कि जब लोगों को अपनी जान बचाने के लाले पड़े हुए थे तब यह अधिकारी मौजमस्ती कर रहे थे, चिकन, मीट खाने में व्यस्त थे। आरोपें का संज्ञान लेते हुए सीएम ने मुख्य सचिव से कहा है कि वह मामले की जांच करें और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें। अधिकारियों ने आधे लीटर दूध की कीमत 194 रुपए दिखाई तथा उस होटल में रुके जहां का किराया 7000 रुपए पति दिन का था तथा इन अधिकारियों ने मटन, चिकन और गुलाब जामुन जैसे व्यंजनों का लुफ्त उठाए। यह एक बेहद गंभीर मामला है। भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करके ही राज्य सरकार अपनी छवि पर लगे धब्बे से मुक्त हो सकती है।

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